17 IPL Win को सेलिब्रेट कर चुके देश में RCB की जीत को इस बार कैसे बना दिया गया यादगार? लेकिन इन सवालों से कैसे बच पाएगी कर्नाटक सरकार

अगर बेंगलुरु पुलिस ने बार बार ये चेतावनी दी थी कि इतनी ज्यादा भीड़ को संभालना बहुत मुश्किल है। हम सुरक्षा नहीं दे सकते, अगर आप खुले में ट्रैवल करेंगे। तो फिर इस चेतावनी को हल्के में क्यों लिया गया। क्या सरकार खिलाड़ियों का आपस में रील बनाना, कैमरे घुमाना, मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाना, सोशल मीडिया पर ट्रेंड करना। क्या ये सब आम लोगों के जीवन से ज्यादा कीमती था?
मुंबई इंडियंस पांच बार, चेन्नई सुपर किंग्स पांच बार, कोलकाता नाइट राइडर्स 3 बार, इसके अलावा राजस्थान, हैदराबाद, गुजरात जैसी टीमों ने भी आईपीएल का खिताब अपने नाम किया। भारत में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की 17 सीजन की जीत को पूरे देश ने उत्साह के साथ मनाया है। लेकिन 4 जून 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल 2025 की जीत के बाद कर्नाटक सरकार का जश्न और नजरिया दोनों ही दूसरे राज्यों की तुलना में अनूठा और अतिशयोक्तिपूर्ण भरा रहा। एक ही वक्त एक ही जगह लेकिन दो अलग अलग दुनिया की तस्वीरें किसी भी मुल्क को शर्मशार करने के लिए काफी हैं। बेंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम की दीवार के इस पार एक तरफ सांसे टूट रही थी। चीखें गूंज रही थी। लोग कुचले जा रहे थे। जिंदगियां बिखर रही थी। लेकिन दीवार के उस पार जीत का जश्न मनाया जा रहा था। दीवार के उस पार मुख्यमंत्री के साथ रंगारंग कार्यक्रम हो रहे थे। तालियों की गर्रगराहट के बीच में 18 साल बाद मिली जीत का शोर चारो ओर था। जो लाल रंग आरसीबी की जर्सी का था वही बाहर बिखर रहा था। लेकिन अंदर उसी रंग की खुमारी छाई हुई थी। अगर बेंगलुरु पुलिस ने बार बार ये चेतावनी दी थी कि इतनी ज्यादा भीड़ को संभालना बहुत मुश्किल है। हम सुरक्षा नहीं दे सकते, अगर आप खुले में ट्रैवल करेंगे। तो फिर इस चेतावनी को हल्के में क्यों लिया गया। क्या सरकार खिलाड़ियों का आपस में रील बनाना, कैमरे घुमाना, मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाना, सोशल मीडिया पर ट्रेंड करना। क्या ये सब आम लोगों के जीवन से ज्यादा कीमती था? 12th मैन आर्मी का नारा वो उन फैन्स के लिए था तो पागलों की तरह हर जगह उनके लिए खड़े होते हैं। ऐसे में जब पुलिस चेतावनी देती है तो क्या उन्हें इस बात का एहसास नहीं था।
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रात भर के जश्न के बाद शाम को फिर से जश्न की जरूरत क्यों थी?
18 साल बाद आरसीबी को जीत मिली थी तो ऐसे में एक हुजूम उमड़ना तय था। अगले दिन 4 जून को पूरी आरसीबी टीम की चेन्नास्वामी स्टेडियम से विधान सौदा तक एक परेड कराई जानी थी। लेकिन कमिश्नर ऑफ ट्रैफिक पुलिस ने इसको लेकर आपत्ति जताई। बहुत ज्यादा भीड़ के एकट्ठा होने का हवाला दिया। जिसके बाद कहा गया कि चेन्नास्वामी स्टेडियम में ही एक कार्यक्रम होगा। वहीं पर मुख्यमंत्री आकर खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे। डीके शिवकुमार भी पहुंचे। शिवकुमार पहले भी एयरपोर्ट पर खिलाड़ियों को रिसीव करने पहुंचे थे। इस तरह के आयोजन की फैन्स को खबर लगी तो कम से कम 50 हजार लोग स्टेडियम के बाहर एकट्ठा हो गए। उससे पहले 10 हजार लोग एयरपोर्ट के बाहर एकट्ठा थे। फिर भीड़ बढ़ने पर भगदड़ मच गई। भगदड़ तो मचना ही था। सवाल उठता है कि रात भर के उत्सव के बाद तुरंत शाम को फिर जश्न की क्या जरूरत थी, और क्या इसे कुछ दिन बाद आयोजित नहीं किया जा सकता था?
पुलिस ने बार बार दी चेतावनी, फिर क्यों नहीं मानी सरकार?
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बेंगलुरू पुलिस ने बार बार चेतावनी दी थी। कहा था कि हम ओपन बस परेड के लिए सुरक्षा नहीं दे सकते। साफ शब्दों में कहा था कि इतनी भीड़को इतने कम समय में कंट्रोल करना नामुमकिन है। लेकिन ट्राफी की चमक दिखाने में सरकार और फ्रेंचाइज ने पुलिस पर दबाव बनाया। अब सरकार खुद दबाव बना रही है और फ्रेंचाइज सरकार के साथ खड़े होकर रील्स बना रही है, फोटोज खिंचवा रही है। तो पुलिस को क्या कर सकती है? क्या परेड सिर्फ इसलिए करवाई गई कि फोटो खिची जाए, रील बने। सोशल मीडिया पर ट्रेड कर सके।
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चिन्नास्वामी स्टेडियम में आखिर हुआ क्या? 5 प्वाइंट में समझें
1. स्टेडियम में फ्री पास से एंट्री। पास आरसीबी की वेबसाइट से लेने थे। बुधवार को यह घोषणा होने के बाद बड़ी संख्या में लोग वेबसाइट विजिट करने लगे तो साइट क्रैश हो गई। पास पाने वालों के साथ ही बिना पास के लोग भी स्टेडियम पहुंचे। इससे भीड़ का अंदाजा ही नहीं हो सका।
2. प्रारंभिक जांच के मुताबिक भीड़ ने स्टेडियम में घुसने के लिए गेट नंबर 12, 13 और 10 तोड़ने की कोशिश की। पुलिस ने लाठीचार्ज किया। नाले पर रखा स्लैब ढह गया। हल्की बारिश के बीच भगदड़ मच गई।
3. दोपहर लगभग 3:30 बजे भीड़ और बढ़ी तो सभी गेट बंद कर दिए गए। इससे पास वाले भी अंदर नहीं घुस पाए। हंगामा शुरू हो गया। गेट नंबर 10 पर स्थिति ज्यादा बिगड़ी। पुलिस ने महिलाओं-बच्चों को पीछे धकेला, कुछ महिलाएं बेहोश होकर गिर गई।
4. सरकार ने कहा, 5 हजार सुरक्षाकर्मी थे, लेकिन भीड़ बहुत थी। इसलिए विक्ट्री परेड नहीं हो सकी। सूत्रों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर पुलिसकर्मी 36 घंटे से ड्यूटी पर थे।
5. शाम करीब 5 बजे स्टेडियम में कार्यक्रम शुरू हुआ, लेकिन बाहर मची भगदड़ की जानकारी यहां किसी को नहीं थी। इसलिए जश्न चलता रहा। दूसरी ओर, डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा- हादसे की सूचना मिलते । ही हमने 10-15 मिनट में कार्यक्रम खत्म कर दिया। इसके बाद टीम को वहां से होटल भेज दिया गया।
क्रिकेट की जीत जब सरकार की जीत बन जाए तब क्या होता है?
कर्नाटक सरकार ने आरसीबी की जीत को कर्नाटक की जीत के रूप में पेश किया। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल 2025 की ऐतिहासिक जीत को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने की कोशिश की। यह एक राजनीतिक रणनीति थी, जिसका उद्देश्य 2028 के चुनावों से पहले क्षेत्रीय गौरव को उभार कर फायदा उठाना था। बेंगलुरु में आरसीबी का बड़ा प्रशंसक आधार और "Ee Sala Cup Namde" का नारा कर्नाटक की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है। सिद्धारमैया ने एक्स पर लिखा, यह कर्नाटक का गौरव है. Ee Sala Cup Namde का सपना साकार हुआ! तुलनात्मक रूप से, अन्य राज्यों में, जैसे महाराष्ट्र (एमआई) या तमिलनाडु (सीएसके), सरकारें जीत की बधाई देती हैं, लेकिन इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने से बचती रही हैं।
फैन्स और उन्मादी के बीच का अंतर
एक बड़ा सवाल ये भी है कि ऐसे उन्माद के लिए उन लोगों की निंदा क्यों नहीं की जानी चाहिए, जो पेड़ों पर चढ़कर भी अपने आइकॉन को देखना चाहते थे और पुलिस की उतरने की अपील पर भी ध्यान नहीं दे रहे थे। फिर सरकार और आईपीएल क्यों न इस उन्माद का अपने-अपने हिसाब से लाभ लें? लिहाजा समारोह में नेता चेहरा दिखाना चाहते थे और आईपीएल की लोकप्रियता बढ़ाना चाहते था। युवाओं को सोचना होगा कि फैनहुड और उन्माद में अंतर होता है। इसे जान का जोखिम न बनाएं। जीवन देना है तो देशहित और समाज-कल्याण के लिए दें।
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