भारत में 1,382 आइलैंड, सिंगापुर बनाना नहीं है मुश्किल काम, क्या है ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी जिस पर पीएम मोदी चुपचाप लगे हैं

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 22 2024 3:21PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में भारत के मैरीटाइम मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि ने कहा कि वह टुकड़ों में नहीं सोचते, उनके पास बहुत व्यापक और एकीकृत दृष्टिकोण है। पीएम मोदी ने साफ किया कि सिर्फ मीडिया अटेंशन के लिए काम करना उनकी आदत में नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका विचार यह है कि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा तो हम कहां होंगे। उन्होंने देश में सिंगापुर को विकसित करने की भी बात कही।

भारत एक बड़ा देश है और इसका समुद्री तट काफी फैला हुआ है। हिंद महासागर से इसकी लंबी चौड़ी सीमा मिलती है। भारत के पास 7517 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, जो नौ तटीय राज्यों और 1382 द्वीपों का घर है। ऐसा क्षेत्र जो चारो ओर से जल से घिरा हुआ होता है, उसे ही हम आइलैंड या द्वीप कहते हैं। भारत ने साल 2047 तक विकसित देशों की वर्ग में आने का गोल सेट किया है। इसके लिए भारत अपनी शक्ति और क्षमता का लगातार प्रदर्शन कर रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में भारत के मैरीटाइम मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि ने कहा कि वह टुकड़ों में नहीं सोचते, उनके पास बहुत व्यापक और एकीकृत दृष्टिकोण है। पीएम मोदी ने साफ किया कि सिर्फ मीडिया अटेंशन के लिए काम करना उनकी आदत में नहीं है. उन्होंने कहा कि उनका विचार यह है कि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा तो हम कहां होंगे। उन्होंने देश में सिंगापुर को विकसित करने की भी बात कही।

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1300 द्वीप हैं, उनमें से कुछ सिंगापुर के आकार के हैं

पीएम मोदी के मुताबिक स्कोप, स्केल और स्पीड के साथ स्किल भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम इन चार चीजों को मिला दें तो हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। पीएम मोदी ने बताया कि वे कौशल, पैमाने और गति रखने की कोशिश करते हैं।  कमी नहीं छूटनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां लगभग 1300 द्वीप हैं, लेकिन पहले हमारे पास उनका कोई रिकॉर्ड नहीं था, हमारी सरकार ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके भारत के सभी द्वीपों का सर्वेक्षण किया है। कुछ द्वीप लगभग सिंगापुर के आकार के हैं, जिसका मतलब है कि अगर हम कड़ी मेहनत करें और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो भारत के लिए नया सिंगापुर बनाना मुश्किल नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि देश में कांग्रेस सरकार के दौरान भारत में कितने द्वीप हैं, इसकी कोई सटीक जानकारी सरकार के पास नहीं थी। हालांकि मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद सरकार ने सैटेलाइट सर्वे कराया। तब जाकर पता चला कि हमारे भारत के कटों के आसपास 1300 से ज्यादा द्वीप हैं। इसके बाद मैंने निर्णय लिया कि उनमें से कुछ चयनित द्वीपों को पर्यटन के लिए विकसित किए जाएंगे। 

ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी क्या है

ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी का ये मसौदा देश में उपलब्ध समुद्री संसाधनों के उपयोग के लिए भारत सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति को रेखांकित करती है। इसका उद्देश्य भारत की जीडीपी में ब्लू इकोनॉमी के योगदान को बढ़ावा देना, तटीय समुदायों के जीवन में सुधार करना, समुद्री जैव विविधता का संरक्षण करना और समुद्री क्षेत्रों एवं संसाधनों की राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है। इस मसौदा नीति की परिकल्पना भारत की उस रणनीति को रेखांकित करती है, जिसके द्वारा देश में उपलब्ध समुद्री संसाधनों के संधारणीय उपयोग द्वारा विकास को लाक्षित किया जा सकता है। ये मसौदा भारत सरकार के विजन ऑफ न्यू इंडिया के अनुरूप तैयार किया गया है। मसौदे में राष्ट्रीय विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में अर्थव्यवस्था को परिभाषित किया गया है। नीति की रूपरेखा, भारत की अर्थव्यवस्था के समग्र विकास को प्राप्त करने के लिए कई प्रमुख क्षेत्रों से जुड़ी नीतियों पर जोर देती है, जिसमें नेशनल अकाउटिंग फॉर द ब्लू इकोनॉमी एंड ओशियन गवर्नेंसस कस्टम मरीन स्पेशल प्लानिंग एंड टूरिज्म, मरीन फिशरीज, एक्वाकल्चर एंड फिश प्रोसेसिंग आदि शामिल है। 

समुद्री व्यापार और रोजगार पर फोकस

समुद्री मार्ग से कारोबार को सुगम बनाने और मैरीटाइम लॉजिस्टिक्स को आसान व सुलभ करने पर भी मोदी सरकार का जोर है। केंद्र सरकार ने डीप ड्राफ्ट हार्बर के त्वरित निर्माण और करीब 10 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ग्रेट निकोबार में ट्रांस शिपमेंट पोर्ट के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार इससे बड़े जहाज लंगर डाल सकेंगे और समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 

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कई द्वीप गायब होने की कगार पर 

भारत में 1,382 से अधिक द्वीपों का एक नेटवर्क है। हालाँकि, इनमें से कई द्वीप बेमौसम चक्रवाती तूफान, समुद्री कटाव और नई विकास परियोजनाओं के कारण खतरे में हैं। लक्षद्वीप में एक ऐसा द्वीप पूरी तरह से नक्शे से गायब हो गया है। पर्यावरण शोधकर्ता इन डूबते द्वीपों को संरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि इन क्षेत्रों के आसपास मैंग्रोव लगाने और अन्य भौतिक बाधाएं पैदा करने से फर्क पड़ सकता है।

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