साइबर बुलिंग, इंटरनेट हेट, फॉक्स चैनल के टांप एजेंडे पर रहीं, क्लिंटन स्कैंडल से वोटिंग के लिए महिलाओं को प्रेरित करने तक मोनिका लेविंस्की की पूरी कहानी
राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ संबंध ने 1990 के दशक के अंत में एक राजनीतिक भूचाल पैदा कर दिया था। आइए एक नज़र डालें कि इस घटना के बाद से उन्होंने खुद को कैसे नया रूप दिया है।
अमेरिकी कार्यकर्ता मोनिका लेविंस्की आगामी संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में लोगों से मतदान करने का आग्रह करने के अपने अभियान के तहत एक प्रमुख फैशन ब्रांड के लिए मॉडल बन गई हैं। 50 वर्षीय महिला कपड़ों के ब्रांड रिफॉर्मेशन की नवीनतम वोटिंग पहल का चेहरा हैं। व्हाइट हाउस की पूर्व प्रशिक्षु लेविंस्की, जिनके तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ संबंध ने 1990 के दशक के अंत में एक राजनीतिक भूचाल पैदा कर दिया था। आइए एक नज़र डालें कि इस घटना के बाद से उन्होंने खुद को कैसे नया रूप दिया है।
क्लिंटन स्कैंडल क्या था?
1998 में उनके और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन के अफेयर का खुलासा होने के बाद से लेविंस्की की दुनिया पूरी तरह से बदल गई। इस स्कैंडल की वजह से 49 वर्षीय डेमोक्रेटिक नेता को महाभियोग का सामना करना पड़ा। क्लिंटन और लेविंस्की की फोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग वायरल हो गई थी। क्लिंटन और लेविंस्की की फोन पर बातचीत क्लिंटन को अंततः सीनेट द्वारा बरी कर दिया गया।
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क्या थी दोनों के अफेयर की कहानी
1995 में लेविस एंड क्लार्क कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मोनिका को एक पारिवारिक दोस्त की बदौलत व्हाइट हाउस में एक प्रशिक्षु के तौर पर काम करने का मौका मिला। मोनिका की उम्र उस वक्त केवल 22 साल थी। प्रशिक्षण के बाद मोनिका को पेड इंटर्न के तौर पर नियुक्त किया गया। इसी दौरान वह पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के संपर्क में आई और उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हो गई। पिछले कुछ वर्षों में क्लिंटन के साथ अपने अफेयर की खबरें आने के बाद उन्होंने अपनी आपबीती के बारे में खुलकर बात की है। इन दोनों का प्यार कई साल तक परवान चढ़ा और इस बीच दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बने, लेकिन इस बात को किसी को खबर तक नहीं लगी।
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मोनिका लेविंस्की ने कैसे अपनी कहानी बयां की
स्कैंडल के बाद लेविंस्की ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने 2015 में TED टॉक के साथ अपनी सार्वजनिक चुप्पी तोड़ी और तब से अपने कष्टदायक अनुभव के बारे में मुखर रही हैं। लेविंस्की महिलाओं के लिए एक वकील के रूप में उभरी हैं और उन्होंने साइबरबुलिंग के खिलाफ अपनी आवाज का इस्तेमाल किया है। पिछले साल द गार्जियन में प्रकाशित तकनीकी पत्रकार टेलर लोरेंज के साथ एक साक्षात्कार में लेविंस्की ने बताया कि कैसे रातों रात उसे "आवारा, तीखी, फूहड़, वेश्या, बिम्बो कहकर अपमानित किया गया। अपने मित्र द्वारा धोखा दिए जाने और एफबीआई एजेंटों द्वारा जेल भेजने की धमकी दिए जाने पर, लेविंस्की मजाक का पात्र बन गई। लेविंस्की ने 2016 में द गार्जियन को बताया कि मुझे ऐसा लगा जैसे 1998 और 1999 में मेरी त्वचा की हर परत और मेरी पहचान मुझसे छीन ली गई थी। यह एक तरह की त्वचा की खाल उतारना है।
मोनिका लेविंस्की बनीं मॉडल
मॉडल के रूप में लेविंस्की के नवीनतम कार्यकाल ने जनता का ध्यान खींचा है। नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में लोगों से मतदान करने का आग्रह करने के लिए सोमवार को शुरू किए गए "यू हैव गॉट द पावर" वर्क वियर अभियान के लिए कार्यकर्ता को विभिन्न प्रकार के परिधानों में देखा गया था। उन्हें विभिन्न प्रकार के ऑफिस परिधानों में पावर पोज़ देते हुए देखा जा सकता है, जिसमें एक स्कार्लेट टॉप और स्कर्ट सेट, एक काली पोशाक के साथ एक मैचिंग ब्लैक बेल्ट, स्वेटर, एक चमड़े का ट्रेंच कोट आदि शामिल हैं।
करना चाहती थी आत्महत्या
पांच साल पहले मोनिका ने एक कार्यक्रम में खुद इस बात का खुलासा किया था कि वे साइबर बुलिंग की वजह से आत्महत्या करना चाहती थीं। उन्होंने अपने आप को साइबर बुलिंग के शुरुआती भुक्तभोगियों में से एक बताया। मोनिका ने कहा था कि 45 के होते हुए भी वो दोबारा 22 की नहीं होना चाहती। 22 साल की उम्र में मुझे अपने बॉस से प्यार हुआ और 24 साल की उम्र में इसके भयानक परिणाम मुझे झेलने पड़े।
फॉक्स न्यूज के निशाने पर
न्यूज चैनल फॉक्स के सीईओ रोजर आइल्स 24 घंटे केवल उनकी खबरें दिखाकर सुर्खियों में रहता था।मीडिया जगत के लोगों का कहना है कि क्लिंटन-लेविंस्की प्रकरण से पहली बार फॉक्स चैनल के बारे में लोगों की रुचि बढ़ी। नके प्रकरण से फॉक्स चैनल अमेरिका में 15 साल तक राज करता रहा और विज्ञापन के जरिए करीब 2.3 बिलियन डॉलर की कमाई भी की।
वोटिंग को लेकर अब क्या कहा
अभियान की घोषणा करते हुए एक रिलीज में कहा कि मतदान हमारी आवाज को सुनने के लिए है और ये लोकतंत्र का सबसे निर्णायक व शक्तिशाली पहलू है। मतदान हमेशा महत्वपूर्ण होता है। लेकिन इस साल मतदाताओं की हताशा और उदासीनता मतदान को सार्थक रूप से प्रभावित करने की धमकी दे रही है।
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