आदतन तुमने किए वादे, आदतन हमने ऐतबार किया...नवाज ने की गलती कबूल, शहबाज सुधारेंगे भूल!

 India Pakistan
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 29 2024 2:15PM

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कबूल किया है कि अटल बिहारी वाजेपयी लाहौर दोस्ती करने के लिए आए लेकिन पाकिस्तान ने धोखा दिया। नवाज ने संकेत भी दिए हैं कि भारत की नई सरकार के साथ पाकिस्तान दोस्ती की कोशिश करने वाला है।

उठो कबड्डी- कबड्डी खेलेंगे सरहदों पर, 

जो आये अब के तो लौटकर फिर ना जाये कोई 

वैसे तो भारत-पाकिस्तान की सरहद पर जंग होती है कोई खेल नहीं, लेकिन कहा जाता है कि शायरों की रूह रूहानी होती है और गुलजार ने ये लाइनें लिखी है। 

साल 1999 में फरवरी का महीना था। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सदा-ए-सरहद की शुरुआत करने लाहौर पहुंचते हैं। सदा-ए- सरहद बस सेवा को नाम दिया गया था जो दिल्ली और लाहौर के बीच शुरू होनी थी। अटल बिहारी वाजपेयी पहले अमृतसर से बस को हरी झंडी दिखाने वाले थे। लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि साहब हमारे दर तक आए और बिना मिले लौट जाए ऐसा हो नहीं सकता। यात्रा का आगाज मेहमानवाजी से शुरू हुआ। जाते जाते अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी बातों से वो समां बांधा कि नवाज शरीफ ने उनको पाकिस्तान से चुनाव लड़ने का न्यौता तक दे डाला। ये सब सुनकर लगता है कि क्या शानदार लम्हा रहा होगा और दोनों देशों के बीच के रिश्ते कितने अच्छे रहे होंगे। लेकिन ये गर्मजोशी चंद महीनों के बीच पाक सेना के जवान कारगिल में कब्जा करके बैठ गए थे। इस घटना को ढाई दशक गुजर गए हैं और आप कह रहे होंगे की आज हम इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं। दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कबूल किया है कि अटल बिहारी वाजेपयी लाहौर दोस्ती करने के लिए आए लेकिन पाकिस्तान ने धोखा दिया। नवाज ने संकेत भी दिए हैं कि भारत की नई सरकार के साथ पाकिस्तान दोस्ती की कोशिश करने वाला है। 

इसे भी पढ़ें: दुस्साहस, गलती...Vajpayee का नाम लेकर पाकिस्तान ने ये क्या कह दिया, नवाज शरीफ के कबूलनामे से बवाल मचना तय!

नवाज शरीफ ने कबूला 25 साल पुराना 'वो' गुनाह

भारत के तेवर तो इन दिनों पाकिस्तान के खिलाफ काफी तीखे हैं। वहीं पाकिस्तान के तमाम नेता भारत के सामने हथियार डालते दिखाई दे रहे हैं। शहबाज शरीफ के बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ताजपोशी एक बार फिर से मुस्लीम लीग नवाज के अध्यक्ष के तौर पर हुई। नवाज शरीफ को पाकिस्तान को परमाणु ताकत बनाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने अपने सबसे बड़े दिन पर अपनी सबसे बड़ी गलती कबूल कर ली है। नवाज शरीफ ने कबूल किया कि 1999 में इस्लामाबाद ने समझौते का उल्लंघन हुआ। नवाज शरीफ ने ये भी माना कि पाकिस्तान की ये गलती थी। ये समझौता नवाज शरीफ और अटल बिहारी वायपेयी के कार्यकाल के दौरान लाहौर में हुआ था। आम परिषद को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने ये बात कही। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति की तरफ से कारगिल में किए गए हमले के संदर्भ में ये बात कही। 

21 फरवरी को भारत-पाकिस्तान ने साइन की एक संधि

साल 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके साथ 22 लोग एक बस में वाघा बॉर्डर से लाहौर पहुंचे थे। इन 22 लोगों में वाजपेयी का मंत्रिमंडल, कुछ फॉरेन मिनिस्टर और दिग्गज कलाकार शामिल थे। लाहौर पहुंचते ही अटल बिहारी वाजपेयी का जबरदस्त स्वागत हुआ। वाजपेयी ने कहा कि मैं अपने साथी भारतीयों की सदभावना और आशा लेकर आया हूं, जो पाकिस्तान के साथ स्थायी शांति और सौहार्द चाहते हैं। मुझे पता है कि ये दक्षिण एशिया के इतिहास में एक निर्णायक क्षण है और मुझे उम्मीद है कि हम चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। 21 फरवरी 1999 को पाकिस्तान और भारत के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर होते हैं, जिसे लाहौर समझौता कहा गया। 

अटल बिहारी ने नवाज शरीफ को लगाया गले

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल का एक निर्णायक लम्हा था फरवरी 1999 में उनकी लाहौर बस यात्रा। यह ऐसा फैसला था जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्तों में आमूलचूल बदलाव लाने की संभावना से वाबस्ता था। अटल बिहारी वाजपेयी 1999 में बस से लाहौर गये थे और अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को गले लगाकर अपनी प्रिय छवि की छाप छोड़ी।

क्या था लाहौर घोषणापत्र

लाहौर समझौता ज्ञापन स्पष्ट रूप से भारत और पाकिस्तान के लिए बैलिस्टिक मिसाइल उड़ान परीक्षणों के बारे में एक दूसरे को सूचित करने का संयुक्त उपक्रम है।  घोषणापत्र के मुताबिक दोनों देश इस बात पर राजी थे कि टिकाऊ शांति और सौहार्दपूर्ण रिश्तों का विकास और मैत्रीपूर्ण सहयोग, दोनों ही देशों के लोगों के हित में सहायक सिद्ध होंगे। जिससे वे अपनी ऊर्जा को बेहतर भविष्य के लिए समर्पित कर सकेंगे। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे समेत सभी मुद्दों को हल करने के अपने प्रयासों को तेजी लाने की बात इसमें कही गई थी।  

इसे भी पढ़ें: Pakistan: सरकारी लड़कियों के स्कूल में लगी भीषण आग, परिसर के अंदर मौजूद 1,400 से अधिक लोगों को निकाला गया

कश्मीर, परमाणु हथियार और इनके बीच सब कुछ

कश्मीर मुद्दे का समाधान: दोनों देश जम्मू-कश्मीर मुद्दे सहित सभी मुद्दों को हल करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करने पर सहमत हुए।

आतंकवाद: दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की और इस खतरे से निपटने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।

परमाणु हथियारों से निपटना: भारत और पाकिस्तान परमाणु हथियारों के आकस्मिक या अनधिकृत उपयोग के जोखिम को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। घोषणा में सुरक्षा माहौल में सुधार के लिए पारस्परिक रूप से सहमत विश्वास-निर्माण उपायों के महत्व पर जोर दिया गया। दोनों देशों ने परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।

बातचीत पर फोकस: सहमत द्विपक्षीय एजेंडे के शीघ्र और सकारात्मक परिणाम के लिए बातचीत प्रक्रिया को तेज करने पर सहमति हुई।

सार्क लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता: घोषणा ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के लक्ष्यों और उद्देश्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देना और त्वरित आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास के माध्यम से उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना था।

मानवाधिकारों की सुरक्षा: घोषणा में दोनों देशों को सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए भी प्रतिबद्ध किया गया।

2 महीने में ही पाकिस्तान ने दिखाया अपना असली चेहरा 

शांति और सद्भाव के इस समझौते को अभी दो महीने ही नहीं हुए थे कि मई 1999 में पाकिस्तान ने कारगिल में जंग छेड़ दी। 3 मई 1999 की वो तारीख जब कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। जिसके बाद 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा लहराने के लिए भारतीय सेना के शूरवीरों ने ऑपरेशन विजय का इतिहास रचा।

नवाज को मिली कमान, याद आया हिंदुस्तान

नवाज को ये भी लगता है कि भारत से संबंध सुधारकर ही पाकिस्तान के अच्छे दिन आ पाएंगे। नवाज शरीफ ने इस बात के संकेत भी दे दिए कि शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली सरकार भारत में नई सरकार के गठन के बाद फिर से संबंध सुधारने की तैयारी कर रही है। नवाज शरीफ कह रहे हैं कि जो काम 1998 में वो नहीं कर पाए उसे शहबाज शरीफ 2024 में करके दिखाएंगे। यानी भारत से संबंधों को सुधारेंगे। शहबाज सरकार के कई मंत्रियों ने भी भारत के साथ व्यापार शुरू करने के संकेत दिए थे। लेकिन जिस शख्स के पास इस सरकार का रिमोट कंट्रोल है। उसके बयान के बाद साफ है कि सुलह की कोशिशें शुरू कर दी गई है। अब भारत में नई सरकार के गठन के बाद पाकिस्तान की पेशकश पर फैसला हो सकता है। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़