CBI चीफ से लेकर इलेक्शन कमिश्नर तक के चयन में भूमिका, कितना ताकतवर होता है लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद

Leader of Opposition
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jun 13 2024 2:23PM

राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी से कहा कि वह बहुत जल्द निर्णय लेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए 10% सांसद क्यों जरूरी, कितना ताकतवर होता है लोकसभा में विपक्ष का नेता, उसकी नियुक्ति के नियम, सैलरी, भत्ते और अधिकार क्या-क्या होते हैं।

लोकसभा का चुनाव हो गया। नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने अपना कामकाज भी संभाल लिया। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर चर्चा हो रही है। आखिरकार इस पद पर कौन बैठेगा? आपको बता दें कि पिछले 10 सालों से ये पद खाली है। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी से लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद लेने का अनुरोध किया है। इस सवाल पर कि क्या राहुल ने पद स्वीकार कर लिया है, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा उन्होंने सीडब्ल्यूसी की भावनाओं को सुना है। राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी से कहा कि वह बहुत जल्द निर्णय लेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए 10% सांसद क्यों जरूरी, कितना ताकतवर होता है लोकसभा में विपक्ष का नेता, उसकी नियुक्ति के नियम, सैलरी, भत्ते और अधिकार क्या-क्या होते हैं।

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कांग्रेस राहुल को LoP के रूप में क्यों चाहती है?

2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों ने राहुल गांधी को सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़ा कर दिया है। हालाँकि राहुल को मोदी के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा गया। लेकिन विपक्षी दलों के इंडिया गुट के पीएम फेस को लेकर कुछ साफ नहीं किया था। मोदी के खिलाफ राहुल के जोरदार अभियान के बाद कांग्रेस ने चुनावों में 99 सीटें जीतीं और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी, राहुल अब निर्विवाद रूप से सबसे बड़े विपक्षी नेता के रूप में उभरे हैं। अगर उन्हें LoP मिलता है तो उनके कद पर आधिकारिक मुहर लग जाएगी। सभी प्रतिभागी इस बात पर सहमत हुए कि राहुल को नेता प्रतिपक्ष का पद संभालना चाहिए। चुनाव के दौरान हमने बेरोजगारी, महंगाई, महिला समानता और सामाजिक न्याय के मुद्दे उठाए। वेणुगोपाल ने कहा कि इन मुद्दों को संसद के अंदर बड़े पैमाने पर उठाने की जरूरत है। संसद के अंदर इस अभियान का नेतृत्व करने के लिए राहुल सबसे अच्छे व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर, मजबूत और अधिक सतर्क विपक्ष के लिए लोग संविधान की रक्षा करना चाहते हैं उन्हें राहुल के नेतृत्व में सुरक्षित महसूस करना चाहिए। सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि हम सभी ने राहुल गांधी से विपक्ष के नेता बनने की अपील की है। वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो प्रधानमंत्री का सामना कर सकते हैं। और जब राहुल गांधी खड़े होंगे, तो युवा देश सुरक्षित महसूस करेगा।

नेता प्रतिपक्ष का इतिहास

2014 में कांग्रेस ने न केवल सत्ता खो दी, बल्कि नेता प्रतिपक्ष का पद भी खो दिया। विपक्ष के नेता पद की कांग्रेस की मांग को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने खारिज कर दिया। तब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पत्र लिखकर सदन में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने का अनुरोध किया था। सोनिया के पत्र के जवाब में स्पीकर ने कहा था कि लागू प्रावधानों और पिछले उदाहरणों पर विचार करने के बाद उनके अनुरोध को स्वीकार करना संभव नहीं है। मैंने नियमों और परंपराओं का अध्ययन करने और इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय लेने के बाद निर्णय लिया है। ऐसा कहा गया कि एलओपी का दर्जा दिए जाने के लिए किसी भी विपक्षी दल के पास 55 (सीटें) से अधिक नहीं हैं। आज तक, नियम है कि एक पार्टी के पास सदन में न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए। कोई बदलाव नहीं आया है। कांग्रेस ने केवल 44 सीटें जीती थीं और वह सबसे बड़ी पार्टी थी। अध्यक्ष ने यह भी कहा कि 1980 और 1984 में सदन में विपक्ष का कोई नेता नहीं था क्योंकि किसी भी दल के पास आवश्यक संख्याबल नहीं था। लोकसभा सचिवालय ने कार्यकर्ता को यह भी सूचित किया कि पहली, दूसरी, तीसरी, पांचवीं, छठी, सातवीं और आठवीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। 2019 में कांग्रेस फिर से एलओपी के लिए न्यूनतम 54 सीटों के आंकड़े से पीछे रह गई और उसे फिर से वह दर्जा नहीं दिया गया। हालाँकि, 2024 के चुनावों में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं और उसे LoP का दर्जा मिलेगा।

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फिर कांग्रेस के खरगे और अधीर रंजन कौन थे?

2014 में कांग्रेस की तरफ से लीडरशिप मल्लिकार्जुन खड़गे कर रहे थे, लेकिन वे नेता प्रतिपक्ष नहीं थे। इसी तरह 2019 में सबसे बड़ी पार्टी के नेता होने के नाते दूसरे विपक्षी दलों ने भी अधीर रंजन को समर्थन दिया, लेकिन मोदी सरकार ने कभी भी अधीर रंजन को प्रोटोकाल के तहत नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया। लोकसभा टीवी के प्रसारण में भी सुषमा स्वराज के नाम के आगे लीडर ऑफ अपोजिशन लिखा दिखता था, लेकिन अधीर रंजन के आगे सिर्फ उनकी सीट का नाम लिखा था। हालांकि ईडी, सीवीसी और लोकलेखा समिति में अधीर रंजन चौघरी को शामिल किया गया था। वैसे तो इसमें नेता प्रतिपक्ष को शामिल किए जाने का प्रावधना है। लेकिन मोदी सरकार ने सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता होने के नाते कमेटी में अधीर रंजन चौघरी को शामिल किया था। 

क्यों मायने रखती है

एलओपी पद न केवल एक नेता और पार्टी की स्थिति का प्रतीक है, बल्कि यह कई शक्तियों और विशेषाधिकारों के साथ भी आता है। नेता प्रतिपक्ष सदन में सीटों और कमरों के आवंटन, आधिकारिक दस्तावेजों की आपूर्ति, संसदीय समितियों के गठन और सदन के दैनिक कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि एलओपी सीबीआई, केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, एनएचआरसी और चुनाव आयोग जैसे विभिन्न निकायों के प्रमुखों के चयन पैनल का हिस्सा है।

नेता प्रतिपक्ष को क्या क्या सुविधाएं मिलती हैं

वेतन: 50 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी

भत्ताः 45 हजार प्रतिमाह निर्वाचन भत्ता, 2 हजार प्रतिमाह सत्कार भत्ता

मकानः दिल्ली में उच्च श्रेणी का फनिश्ड सरकारी बंगला

यात्रा: देश के भीतर सरकारी कामकाज के लिए मुफ्त हवाई और रेल यात्रा

ट्रांसपोर्ट: आधिकारिक कार्यों के लिए एक सरकारी कार और ड्राइवर

स्टाफः सरकारी सचिवालय में ऑफिस और आवश्यक स्टाफ

इलाज: सरकारी अस्तपतालों में मुफ्त चिकित्सा सेवाएं

सुरक्षा: उच्च स्तर की सुरक्षा व्यवस्था

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राहुल के अलावा रेस में और कौन-कौन 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कलफदार खादी शर्ट और धोती पहने अपने साथी के बिना देखना दुर्लभ है। जब सवालों का सामना करना पड़ता है, तो राहुल अक्सर केरल के अनुभवी राजनेता केसी वेणुगोपाल का जिक्र करते हुए कहते हैं केसी से पूछे। केसी से जांचें। केसी कैसे बने राहुल के विश्वासपात्र और राहुल को उन पर भरोसा क्यों? इन सवालों से कांग्रेस पार्टी के महासचिव (संगठन) जैसे शक्तिशाली पद पर आसीन केसी के बारे में कांग्रेस नेताओं के बीच मिली-जुली राय सामने आती है। वेणुगोपाल के प्रबल प्रशंसक और आलोचक दोनों हैं। लेकिन फिलहाल वह राज्यसभा सांसद हैं और उसके साथ संगठन (कांग्रेस के) में प्रभारी और कांग्रेस के महासचिव हैं। इसके अलावा तीन बार के सांसद गौरव गोगोई  लोकसभा में कांग्रेस की ओर से डिप्टी-स्पीकर और डब्ल्यूईएफ यंग ग्लोबल लीडर हैं। उनकी रुचि अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और पर्यावरण जैसे मुद्दों में रहती है। केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर का नाम भी चर्चा में है। वो ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस के संस्थापक हैं। 25 से अधिक किताबें लिख चुके शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र में अंडर सेक्रेट्री जनरल भी रह चुके हैं। चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी पेशे से वकील हैं और केंद्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. उन्होंने चार किताबें भी लिखी हैं। 


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