Mossad की साजिश या अपनों का घात, रईसी की मौत का गुमनाम रहस्य, हेलिकॉप्टर क्रैश पर चल रही कौन-कौन सी कॉन्सपिरेसी थ्योरी
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा कि दुख की घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है। पाकिस्तान ने एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि बीजिंग ने एक अपना अच्छा दोस्त खो दिया है। एक तरफ ईरान के सहयोगी और पड़ोसी देश शोक जता रहे थे। दूसरी तरफ कुछ देशों की चुप्पी और उनके नेताओं की रहस्यमयी बातों ने कई कॉन्सपिरेसी थ्योरी को जन्म दिया।
ठिठुरन वाली ठंड, घना कोहरा और कोहरे से घिरे पहाड़ के बीच एक हेलीकॉप्टर को ढूंढ़ने की तलाश 20 घंटे बाद पूरी हुई। इसके साथ ही दुनिया को आधिकारिक तौर पर ईरान की तरफ से बताया गया कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी यात्रियों की मौत हो गई है। उस हेलीकॉप्टर में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री अब्दुल्ला हियान बैठे थे। पुष्टि के तुंरत बाद दुनियाभर से श्रद्धांजलि आनी शुरू हो गई। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा कि दुख की घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है। पाकिस्तान ने एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि बीजिंग ने एक अपना अच्छा दोस्त खो दिया है। एक तरफ ईरान के सहयोगी और पड़ोसी देश शोक जता रहे थे। दूसरी तरफ कुछ देशों की चुप्पी और उनके नेताओं की रहस्यमयी बातों ने कई कॉन्सपिरेसी थ्योरी को जन्म दिया।
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रईसी को अमेरिका ने मरवा दिया?
हेड ऑफ स्टेट के हेलीकॉप्टर का इस क्रैश होना कई सवाल खड़े करते हैं। जिस हेलीकॉप्टर से रईसी अमेरिका के बने हेलीकॉप्टर की सवारी कर रहे थे। हैरानी की बात है कि ईरानी राष्ट्रपति को ले जा रहा ये हेलीकॉप्टर लगभग पांच दशक पुराना था। 1989 की क्रांति के बाद से ईरान को ये हेलीकॉप्टर नहीं बेचे गए थे। ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद इन हेलीकॉप्टर के रखरखाव को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को अमेरिका ने जिस तरह ड्रोन अटैक से मारा था। दोनों मुल्कों की दुश्मनी की गहराई समझी जा सकती है। ईरान के परमाणु बम बनाने का अमेरिका घोर विरोधी है। माना ये भी जाता है कि एविएशन सेक्टर में ईरान के कमजोर होने की वजह भी अमेरिका के प्रतिबंध ही हैं। खास बात ये है कि रईसी के काफिले में तीन हेलीकॉप्टर थे। ऐसे में ऐसा कैसे हुआ कि दो होलीकॉप्टर सही सलामत वापस लौट आए और राष्ट्रपति का ही हेलीकॉप्ट हादसे का शिकार हो गया। क्या अमेरिकी हेलीकॉप्टर रईसी की सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं था? एयर ट्रांसपोर्ट की सुरक्षा के लिहाज से ईरान का रिकॉर्ड बेहद खराब है। लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रपति ऐसे हेलीकॉप्टर में यात्रा क्यों कर रहे थे। ये किसी से छुपा नहीं है कि ईरान लगातार अपने परमाणु मिशन को आगे बढ़ा रहा था। परमाणु मिशन की वजह से अमेरिका नाराज था। ईरान जल्द ही परमाणु परिक्षण की तैयारी कर रहा था। पश्चिमी देशों की चिंताएं ईरान के न्यूक्लियर पॉवर बनने की कोशिशों से बढ़ गई थी। अमेरिका समेत कई देशों ने ईरान पर नकेल कसने के लिए कई कोशिश की। एक समझौता भी जेसीपीओ हुआ। लेकिन बाद में इससे अमेरिका बाहर हो गया। जिसके बाद ईरान को रास्ता मिल गया कि वो अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा सके।
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हेलीकॉप्टर क्रैश में इज़रायली का हाथ है?
भारत, पाकिस्तान, रूस और चीन जैसे देशों के दोस्त के साथ इब्राहिम रईसी हिज्बुल्ला, हमास और हूती जैसे आतंकवादी संगठनों के हिमायती भी थे। उनके दुश्मनों की लिस्ट में अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के साथ साथ ईरान के कुछ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। ईरान के राष्ट्रपति की मौत की वजह मौसम थी या मोसाद इसकी भी चर्चा है। जिस हेलीकॉप्टर क्रैस में रईसी की मौत हुई उसमें हुसैन अमीर अब्दुल्ला समेत 9 लोग सवार थे। काफी मशक्त के बाद तुर्किए के ड्रोन की तलाश समाप्त हुई तो रेस्क्यू टीम पहाड़ों के पास पड़े मलबे के पास पहुंची। वहां हेलीकॉप्टर पूरी तरह से जला हुआ मिला। दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले का जवाब देते हुए ईरान ने 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया। ये ऑर्डर इब्राहिम रईसी ने दिए थे। तो क्या मोसाद ने इसका बदला ले लिया है? इजरायल की खुफिया एजेंसी ने अमेरिका की मदद से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को आक्रमकता से आगे बढ़ाने वाले रईसी का क्या किस्सा खत्म कर दिया। ऐसी भी एक थ्योरी चल रही है। मोसाद अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने की वजह से कुख्यात है। इससे पहले परमाणु बम और ईरान की सेना मोसाद के निशाने पर रहे हैं। मोसाद अपने दुश्मन को ढूंढ़ कर मारने के लिए जानी जाती है। रईसी के हेलीकॉप्टर क्रैश में ईरान ने अभी तक मोसाद का नाम नहीं लिया है। लेकिन मोसाद का कनेक्शन जोड़ा जा रहा है। जिस अजरबैजान से लौटते वक्त रईसी का हेलीकाप्टर क्रैश हुआ। वो अजरबैजान ईरान के साथ साथ इजरायल का भी करीबी है। अजरबैजान को इजरायल ने किलर ड्रोन के साथ बड़े पैमाने पर हथियार दिए हैं। उन्हीं हथियारों के बल पर अजरबैजान ने अपने दुश्मन अर्मेनिया को नागोरनोकराबाक में हराया था। अजरबैजान ने भी गाजा युद्ध के वक्त इजरायल की मदद की थी। ऐसे में कहा जा रहा है कि अजरबैजान ने मोसाद को सीक्रेट ऑपरेशन चलाने में मदद तो नहीं की। वहीं इजरायल ने इस खबरों के बाद सामने आकर सफाई दी। उसने कहा कि इस घटना में उसका कोई हाथ नहीं है।
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क्या रईसी को ईरान ने ही मरवाया?
ईरान के सबसे ताकतवर नेता का क्या सबसे ताकतवर कुर्सी से भी कोई कनेक्शन है, जिसके वो वारिस बनने जा रहे थे? बेशक सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगला सर्वोच्च नेता कौन होगा क्योंकि अयातुल्ला अली खामेनेई पहले से ही 85 साल के हैं और उन्होंने 30 साल तक देश का नेतृत्व किया है। पहले माना जा रहा था कि राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी उनके उत्तराधिकारी बनने की कतार में हैं लेकिन उनकी आकस्मिक मृत्यु ने गणित में भी अचानक बदलाव ला दिया है। परिणाम केवल ईरान के घरेलू मामलों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि विशेष रूप से ऐसे अस्थिर समय में इसकी सीमाओं से परे ईरान के कद पर भी असर पड़ने की संभावना है। हालाँकि, रायसी के चले जाने से खामेनेई के बेटे मोजतबा के लिए संभावनाएँ वास्तव में बहुत बढ़ गई हैं, जिन्हें पहले से ही कुछ हलकों में शीर्ष दावेदारों में से एक माना जाता था। हेलिकॉप्टर क्रैश में इब्राहिम रईसी समेत 9 लोगों की मौत हो गई, उसके पीछे अयातुल्ला अली खामेनेई के बेटे मोजताबा खामेनेई का हाथ बताया जा रहा है। कई ईरानी एक्टिविस्ट ने ये सवाल उठाया है। ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने सोशल मीडिया एप एक्स पर लिखा कि कई कंस्पिरेसी थ्योरीज में से एक ये भी है कि इस दुर्घटना में खामेनेई के बेटे का हाथ हो सकता है, ताकि वो अपने पिता की जगह लेने का रास्ता आसान कर सके।
स्पेस लेजर का इस्तेमाल?
अंतरिक्ष से लेजर वेपन के जरिए ईरानी राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर को क्रैश करने की थ्योरी भी सामने आ रही है। कई लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं किहेलीकॉप्टर को गिराने के लिए अंतरिक्ष लेजर जैसे निर्देशित ऊर्जा हथियारों का इस्तेमाल किया गया। हालाँकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है, और यह तथ्यात्मक समर्थन के बिना साजिश के दायरे में बना हुआ है।
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