Top Colleges का क्यों हो गया ऐसा हाल, IITians को नौकरी नहीं मिलने का क्या है सच?

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अभिनय आकाश । Apr 5 2024 2:27PM

इस उम्मीद के साथ कि उन्हें देश के 23 में से किसी एक आईआईटी में दाखिला मिले। इन लाखों छात्रों में से करीब 17 हजार छात्रों को आईआईटी में जगह मिल जाती है और इसके बाद शुरू होता है अच्छे से पढ़ाई से लेकर किसी अच्छी कंपनी में नौकरी पाने का संघर्ष शुरू होता है। अमूमन अच्छी नौकरी इन्हें मिल भी जाती है। आज आईआईटी के ऊपर चर्चा करने से पहले कुछ आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है।

 'काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे भागेगी..' 2009 में आई मूवी थ्री इडियट्स का डायलॉग आज के यूथ का फ्यूचर संवारने के लिए बिल्कुल सटीक बैठता है। आईआईटी यानी इंडियन इंस्ट्यीयूट ऑफ टेक्नोलॉजी भारत के टॉप इंस्टीट्यूट में से एक है। हमारे देश में न जाने कितने छात्र आईआईटी में जाने का सपना संजोते हैं। ये सपना कभी कभी उन पर लाद भी दिया जाता है। आईआईटी की लोकप्रियता की मुख्य वजह वो उम्मीज है कि आईआईटी में पढ़ाई करने के बाद अच्छी नौकरी मिलेगी। हर साल करीब 10 से 12 लाख छात्र जेई मेन्स की परीक्षा देते हैं। इस उम्मीद के साथ कि उन्हें देश के 23 में से किसी एक आईआईटी में दाखिला मिले। इन लाखों छात्रों में से करीब 17 हजार छात्रों को आईआईटी में जगह मिल जाती है और इसके बाद शुरू होता है अच्छे से पढ़ाई से लेकर किसी अच्छी कंपनी में नौकरी पाने का संघर्ष शुरू होता है। अमूमन अच्छी नौकरी इन्हें मिल भी जाती है। आज आईआईटी के ऊपर चर्चा करने से पहले कुछ आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है। 

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26 मार्च को इंडिया एम्प्लॉयमेंट 2024 नाम से एक रिपोर्ट आई। इसे इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट के साथ मिलकर रिलीज किया। इस रिपोर्ट के हिसाब से अगर भारत में 100 लोग बेरोजगार हैं, तो उनमें से 83 लोग युवा हैं। इसमें भी ज्यादातर युवा शिक्षित हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि आईआईटी बॉम्बे के 36 प्रतिशत छात्रों को इस साल प्लेसमेंट नहीं मिला। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की स्नातक बेरोजगारी लगभग 30% तक पहुंच गई है। इसने भारत के नौकरी बाजार की स्थिति और इस बदलते समय में इंजीनियरिंग की डिग्री के मूल्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस खबर के सामने आने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर बेरोजगारी के सवाल को खड़ा किया। क्या है पूरा मामला, क्यों इन छात्रों को नौकरी नहीं मिली, क्या आपके लिए अपनी डिग्री पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है? पूरे मामले का आज हम एमआरआई स्कैन करेंगे। 

36 प्रतिशत छात्रों को अबतक नहीं मिले नौकरी के ऑफर

हर साल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के छात्र बड़ी नौकरियों पर नजर रखते हुए दिसंबर और फरवरी के बाद के प्लेसमेंट सीजन का इंतजार करते हैं। हालाँकि, इस वर्ष आईआईटी-बॉम्बे में 2024 प्लेसमेंट के लिए पंजीकृत लगभग 2,000 छात्रों में से 712 यानी लगभग 36% को अभी तक नौकरी नहीं मिली है। प्लेसमेंट सीज़न आधिकारिक तौर पर मई तक समाप्त हो जाएगा। इसका खुलासा संस्थान के पूर्व छात्र और ग्लोबल आईआईटी एलुमनी सपोर्ट ग्रुप के संस्थापक धीरज सिंह द्वारा साझा किए गए आईआईटी प्लेसमेंट के आंकड़ों से हुआ, जो दो वर्षों से छात्रों को सलाह भी दे रहे हैं। इस वर्ष, जब 35.8% छात्र बिना प्लेसमेंट के रह गए, तो पिछले सत्र की तुलना में 2.8 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला। 2023 में आईआईटी बॉम्बे में पंजीकृत 2,209 छात्रों में से 1,485 को नौकरी मिल गई, जिसका मतलब है कि पिछले सत्र में भी 32.8% को नौकरी नहीं मिली, जिससे कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से भर्ती किए गए छात्रों की अपेक्षाकृत कम संख्या पर चिंता बढ़ गई है।

किस आईआईटी में प्लेसमेंट की क्या हालत

अब बात अगर बॉम्बे आईआईटी की हो गई तो आइए जानते हैं कि दूसरे आईआईटी कैंपस का क्या हाल है। आईआईटी खड़गपुर प्लेसमेंट 2024 में रजिस्टर्ड 2644 छात्रों में से दिसंबर 2023 के अंत तक 1259 छात्रों को जॉब मिली। वहीं आईआईटी इंदौर में रजिस्टर्ड 452 छात्रों में से 230, आईआईटी भिलाई में 195 में से 41, आईआईटी भुवनेश्वर में 298 में से 212 और आईआईटी पटना में 342 में से 202 छात्रों का प्लेसमेंट हुआ है। आईआईटी दिल्ली में इस साल 28 फरवरी तक 1036 छात्रों को जॉब के ऑफर मिले हैं। हालांकि संस्थान ने ये नहीं बताया कि कितने छात्रों ने प्लेसमेंट के लिए आवेदन किया था। 

आईआईटी बॉम्बे ने 36% बेरोजगार छात्रों के दावे को किया खारिज 

आईआईटी बॉम्बे ने उस मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया जिसमें दावा किया गया था कि उसके वर्तमान बैच के 36% छात्रों को नौकरी नहीं मिली है और कहा है कि केवल 6.1% छात्र सक्रिय रूप से रोजगार की तलाश कर रहे थे। संस्थान ने 2022-23 के स्नातक छात्रों पर किए गए एक एग्जिट सर्वेक्षण के नतीजे एक्स पर साझा किए, जिससे उनके निष्कर्षों की जांच की जा सके। सर्वेक्षण के अनुसार, 57.1% ने संस्थान के कार्यक्रम के माध्यम से प्लेसमेंट हासिल किया, जबकि 12.2% ने उच्च डिग्री हासिल की। इसके अतिरिक्त, 10.3% को ऑफ-कैंपस नौकरियां मिलीं और 8.3% ने सार्वजनिक सेवा में रुचि दिखाई। उनमें से, 4.3% अपने करियर के बारे में अनिर्णीत रहते हैं, जबकि 1.6% का लक्ष्य अपना वेंचर शुरू करना है। आंकड़ों से यह भी पता चला कि 58.8% महिलाओं और 56.7% पुरुषों ने आईआईटी बॉम्बे के माध्यम से प्लेसमेंट हासिल किया। .

अनपढ़ लोगों की तुलना में 9 गुना ज्यादा शिक्षित बेरोजगार

आप जितने अधिक शिक्षित होंगे, आपके लिए नौकरी ढूंढना उतना ही कठिन होगा। इसे जरा आंकड़ों के जरिए और नजदीक से समझते हैं। रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, पढ़े-लिखे ग्रेजुएट्स के लिए बेरोजगारी दर 29.1 प्रतिशत थी। यह दर उन लोगों की बेरोजगारी दर से लगभग नौ गुना अधिक है, जो पढ़ या लिख नहीं सकते हैं, जिनकी बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपने अपनी स्कूल या कॉलेज की डिग्री छोड़ दें। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अपनी शिक्षा के प्रति ज्यादा स्मार्ट रहे। फर्ज करें कि अगर आईआईटी भी आपको प्लेसमेंट नहीं दिला पाए तो अन्य कॉलेजों के पास कितने विकल्प होंगे? 

आपकी कॉलेज डिग्री का मूल्य क्या है?

सबसे पहले इंजीनियरिंग पर नजर डालें तो इसका औसतन खर्च 8 लाख है। ऐसे में औसतन सैलरी क्या है- 15 से 30 हजार रुपए प्रति माह। ये भी कई सारे मानकों पर निर्भर करता है। मसलन, अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है, आपका कॉलेज कितना अच्छा है और सबसे महत्वपूर्ण आप व्यक्तिगत रूप से कितने कुशल हैं। दूसरी चर्चित एमबीए की डिग्री की अगर बात करें तो ये 2 साल का कोर्स है। इसका औसतन खर्च 15 लाख से अधिक होता है। इतना इवेंस्ट करने के बाद आपको क्या मिलता है? औसतन 45,562 रुपए प्रति माह। आपको याद दिला दें कि एमबीए पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री है। अब इन दो डिर्गी को दूसरे जॉब से तुलना कर देखें तो उदाहरण के लिए एक फ्लाइट अटेंडेंट तो इसका औसतन खर्च 50 हजार से 2 लाख तक आता है। औसतन सैलरी 40 हजार के करीब मिलती है। अब आप जानते हैं कि इन नौकरियों में डिग्रियाँ बहुत भिन्न होती हैं। जीवनशैली और स्किलिस भी भिन्न हैं। लेकिन प्वाइंट सीधा सा है। मौद्रिक परिप्रेक्ष्य से आज फ्लाइट अटेंडेंट कोर्स अधिक मूल्यवान है। एमबीए और इंजीनियरिंग में वापस लौटे तो क्या ये डिग्री का कोई वैल्यू नहीं है। कई कंपनियां ऐसा सोचती हैं। डिग्री किसी भी अन्य कमोडिटी की तरह है, जितनी अधिक आपूर्ति उतनी कम कीमत के सिद्धांत पर काम करती है। यहां पैसे से उद्देश्य आपके कॉलेज फीस नहीं बल्कि आपकी सैलरी से है। एमबीए डिग्री की बात करें तो हर साल 2 लाख 30 हजार एमबीए डिग्री धारक मार्केट में आते हैं। ये आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है। कॉमन एडमीशन टेस्ट (कैट) पर नजर डालें तो पिछले साल कैडिडेंट की लिस्ट में 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ। सीधा सा मतलब है  कि एमबीए डिर्गी धारकों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन डिमांड वहीं की वहीं है। एमबीए जॉब ओपनिंग जनवरी में 55 % ड्रॉप हो गई। ऐसे में छात्र क्या करें? एडवाइस सीधा सा है मॉर्केट को फॉलो करें। इम्प्लॉयब्लिटी पर फोकस करें डिग्री पर नहीं। इसलिए कामयाब होना है तो चतुर रामलिंगम की तरह नहीं रैंचो की तरह सोचो। जिंदगी में खुद को साबित करने के मौके अपार होते हैं। 

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