Chhattisgarh के दंतेवाड़ा में आईईडी विस्फोट में 10 पुलिसकर्मियों की मौत

IED blast
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पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिसकर्मी एक माओवादी विरोधी अभियान से लौट रहे थे, जिसे खुफिया सूचना मिलने के बाद शुरू किया गया था। एक स्थानीय समाचार चैनल में दिखाये जा रहे वीडियो में सड़क पर एक बड़ा गड्ढा दिखाई दे रहा है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में परिष्कृत विस्फोटक उपकरण(आईईडी) में हुए विस्फोट में सुरक्षाबल के 10 जवान शहीद हो गए हैं जबकि इस घटना में वाहन चालक की भी मृत्यु हुई है। पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिसकर्मी एक माओवादी विरोधी अभियान से लौट रहे थे, जिसे खुफिया सूचना मिलने के बाद शुरू किया गया था। एक स्थानीय समाचार चैनल में दिखाये जा रहे वीडियो में सड़क पर एक बड़ा गड्ढा दिखाई दे रहा है। इसके अलावा वहां प्लास्टिक की चादरों से ढके शव और वाहन के पुर्जे भी इधर-उधर बिखरे देखे गए।

राज्य में पिछले दो वर्षों के दौरान सुरक्षाबलों पर माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला है। बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया। उन्होंने बताया कि इस घटना में जिला रिजर्व गार्ड के 10 जवान शहीद हो गए हैं तथा एक वाहन चालक की भी मृत्यु हुई है। सुंदरराज ने बताया कि अरनपुर क्षेत्र में दरभा डिवीजन के नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से सुरक्षाबल के जवानों को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था।

उन्होंने बताया कि जब सुरक्षाबल के जवान एक वाहन (छोटा मालवाहक वाहन) से लौट रहे थे तब नक्सलियों ने अरनपुर और समेली गांव के मध्य शक्तिशाली बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया। सुंदरराज ने बताया कि इस घटना में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 10 जवान और वाहन चालक की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद अतिरिक्त सुरक्षा बल को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया है। शहीद जवानों के शवों को घटनास्थल से बाहर निकाला जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमलावर नक्सलियों की खोज में सुरक्षा बल ने खोजी अभियान शुरू किया है।

इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को आईईडी विस्फोट में जवानों की शहादत पर दुख जताया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात कर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘दंतेवाड़ा में छत्तीसगढ़ पुलिस पर नक्सलियों द्वारा किए गए कायराना हमले से दुखी हूं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से बात की है और राज्य सरकार को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है। शहीद जवानों के शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’’ इससे पहले, अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्री ने बघेल से बातचीत के दौरान घटनास्थल की ताजा स्थिति का जायजा भी लिया।

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने नक्सली घटना में जवानों की शहादत पर दुख जताया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने शहीद जवानों को श्रध्दांजलि दी है तथा घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि नक्सलियों के राष्ट्र विरोधी मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। केन्द्र और राज्य शासन समन्वय पूर्वक नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है, दंतेवाड़ा के थाना अरनपुर क्षेत्र अंतर्गत माओवादी कैडर की उपस्थिति की सूचना पर नक्सल विरोधी अभियान के लिए पहुंचे डीआरजी बल पर आईईडी विस्फोट से हमारे 10 डीआरजी जवान एवं एक चालक के शहीद होने का समाचार बेहद दुखद है।

हम सब प्रदेशवासी उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनके परिवारों के साथ दुःख में हम सब साझेदार हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। बघेल ने कहा, नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है। नक्सलियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। हम समन्वित तरीके से काम करेंगे और नक्सलवाद को खत्म करेंगे। दंतेवाड़ा समेत सात जिलों में शामिल बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर मार्च और जून माह के बीच बड़ी संख्या में हमले हुए हैं। वर्ष के मार्च और जून माह के मध्य नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं।

इससे पहले तीन अप्रैल 2021 में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में 22 जवान शहीद हुए थे। इससे पहले 21 मार्च, 2020 को सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। वहीं नौ अप्रैल, 2019 को दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली विस्फोट में भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षाकर्मी मारे गए थे तथा सुकमा में 24 अप्रैल, 2017 को बुरकापाल हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मृत्यु हुई थी। वहीं वर्ष 2010 में ताड़मेटला (तब दंतेवाड़ा में) में हुए सबसे बड़े नक्सली हमले जिसमें 76 जवानों की मृत्यु हुई थी वह भी टीसीओसी के दौरान अप्रैल माह में हुआ था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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