आपातकाल के 46 साल, लोकतंत्र की रक्षा में शामिल लोगों को राजनाथ ने किया याद, अमित शाह का कांग्रेस पर प्रहार

 Rajnath and Amit Shah
अंकित सिंह । Jun 25 2021 9:46AM

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल एक ‘काले अध्याय’ के रूप में जाना जाता है। देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं पर कुठाराघात करने के लिए जिस तरह संविधान का दुरुपयोग हुआ उसे कभी भूला नहीं जा सकता। आज भी वह दौर हम सभी की स्मृतियों में ताज़ा है।

आज से 46 साल पहले ही इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में आपातकाल लगाया था। 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी जिसके साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए थे। इमरजेंसी की बरसी पर आज केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया है। दोनों नेताओं ने अपने ट्वीट के जरिए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल एक ‘काले अध्याय’ के रूप में जाना जाता है। देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं पर कुठाराघात करने के लिए जिस तरह संविधान का दुरुपयोग हुआ उसे कभी भूला नहीं जा सकता। आज भी वह दौर हम सभी की स्मृतियों में ताज़ा है।

राजनाथ ने आगे कहा कि इस दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए देश में आंदोलन भी हुए और लोगों ने न जाने कितनी यातनायें सहीं। उनके त्याग, साहस और संघर्ष को हम आज भी स्मरण करते हैं और प्रेरणा प्राप्त करते हैं। लोकतंत्र की रक्षा में जिन लोगों की भी भूमिका रही है, मैं उन सभी को नमन और अभिनंदन करता हूँ। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अंहकार में देश पर आपातकाल थोपकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या कर दी। असंख्य सत्याग्रहियों को रातों रात जेल की कालकोठरी में कैदकर प्रेस पर ताले जड़ दिए। नागरिकों के मौलिक अधिकार छीनकर संसद व न्यायालय को मूकदर्शक बना दिया।

अमित शाह ने लिखा कि एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। 21 महीनों तक निर्दयी शासन की क्रूर यातनाएं सहते हुए देश के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले सभी देशवासियों के त्याग व बलिदान को नमन। आपको बता दें कि आपातकाल को लेकर जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन चला था। इस आंदोलन के तहत राज नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, चौधरी चरण सिंह, मोरारजी देसाई, नानाजी देशमुख, एच डी देवगौड़ा, अरुण जेटली, रामविलास पासवान, सुब्रमण्यम स्वामी, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं को जेल में डलवा दिया गया था।

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