अलगाववादियों के बंद के कारण कश्मीर की जनता प्रभावित, सड़कें खाली

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[email protected] । Oct 27 2018 2:37PM

कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा आहूत बंद के चलते शनिवार को सामान्य जनजीवन प्रभावित हो गया। यह बंद पाकिस्तान के हमलों का मुकाबला करने के लिए 1947 में आज के ही दिन घाटी में सेना उतारी जाने के खिलाफ बुलाया गया था।

श्रीनगर। कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा आहूत बंद के चलते शनिवार को सामान्य जनजीवन प्रभावित हो गया। यह बंद पाकिस्तान के हमलों का मुकाबला करने के लिए 1947 में आज के ही दिन घाटी में सेना उतारी जाने के खिलाफ बुलाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि यहां श्रीनगर में दुकानें, पेट्रोल-डीजल पंप, निजी कार्यालय और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक परिवहन सड़कों से लगभग नदारद रहे जबकि शहर के कई इलाकों में निजी कार, कैब और ऑटो-रिक्शा चलती नजर आई।

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अधिकारियों ने बताया कि बंद के कारण कुछ निजी स्कूल भी बंद रहे। उन्होंने बताया कि घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों से भी हड़ताल की इसी तरह की खबरें सामने आई हैं। साथ ही किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए संवेदनशील जगहों पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) के बैनर तले अलगाववादियों ने 27 अक्टूबर 1947 को कश्मीर में सेना भेजी जाने के खिलाफ शनिवार को बंद का आह्वान किया।

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जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराज हरि सिंह द्वारा कश्मीर के भारत में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर के एक दिन बाद ही सेना ने क्षेत्र से पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ करने वाले कबायली हमलावरों को खदेड़ने के लिए अभियान शुरू किया था। अलगाववादी संगठन राज्य में 1989 में आतंकवाद के पनपने के बाद से हर साल इस दिन बंद का आह्वान करते हैं।

सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख और मोहम्मद यासिन मलिक के नेतृत्व वाले संगठन जेआरएल ने लोगों से शनिवार को ‘अधिग्रहण दिवस’ मनाने का आह्वान किया।

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