Abu Salem के मददगार को 1997 फर्जी पासपोर्ट मामले में जेल भेजा गया

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अधिकारियों ने बताया कि छह जुलाई, 1993 को लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय से क्रमशः अकील अहमद आजमी और सबीना आजमी की फर्जी पहचान के तहत सलेम और जमानी को फर्जी पासपोर्ट प्राप्त करने में आलम ने मदद की।

लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 1997 में गैंगस्टर अबू सलेम और उसकी पत्नी को फर्जी पासपोर्ट प्राप्त करने में मदद करने के लिए दो साल पहले दोषी ठहराए जाने के खिलाफ पासपोर्ट एजेंट की याचिका बुधवार को खारिज कर दी। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि अदालत ने मोहम्मद परवेज आलम को जेल भेज दिया है। अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई)के विशेष कार्यबल ने 16 अक्टूबर, 1997 को सलेम के खिलाफ अकील अहमद आजमी और सबीना आजमी के नाम से फर्जी पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

पासपोर्ट एजेंट की सेवाओं का उपयोग करके सलेम और उसकी पत्नी की नयी पहचान बनाई गई। उन्होंने बताया कि आजमगढ़ के सराय मीर निवासी आलम सलेम का परिचित था। उसने विस्फोटों के बाद पहचान छिपाकर देश से भागने में सलेम की मदद करने के लिए अपनी लिखावट में पासपोर्ट फॉर्म भरे थे।

अधिकारियों ने बताया कि छह जुलाई, 1993 को लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय से क्रमशः अकील अहमद आजमी और सबीना आजमी की फर्जी पहचान के तहत सलेम और जमानी को फर्जी पासपोर्ट प्राप्त करने में आलम ने मदद की।

एक विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दो साल पहले मामले में आलम और सलेम को दोषी ठहराया था और विभिन्न अपराधों के तहत दो से तीन साल की सजा सुनाई थी। आलम ने सजा को अपीलीय अदालत में चुनौती दी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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