Parliament Diary। दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा, अमित शाह ने कही यह बात

Amit Shah
प्रतिरूप फोटो

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के दौरान कैदियों की पहचान संबंधी 1920 के कानून की जगह लेने वाले दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022 को लोकसभा में चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि उक्त विधेयक को पृथक रूप से देखने के बजाय भावी मॉडल जेल मैनुअल के साथ देखना होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के निचले सदन में दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक को पेश किया। इस दौरान पक्ष-विपक्ष ने अपनी-अपनी राय रखी। अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार एक नया मॉडल कारागार मैनुअल बना रही है जिसमें कैदियों के पुनर्वास, महिला कैदियों के लिए अलग जेल और खुली जेल समेत अनेक बिंदुओं को समाहित किया जाएगा। अमित शाह ने औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के दौरान कैदियों की पहचान संबंधी 1920 के कानून की जगह लेने वाले दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022 को लोकसभा में चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि उक्त विधेयक को पृथक रूप से देखने के बजाय भावी मॉडल जेल मैनुअल के साथ देखना होगा।

लोकसभा की कार्यवाही

दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के विष्णु दयाल राम ने कहा कि हमें इस विधेयक को राजनीति के चश्मे से ऊपर उठकर देखना चाहिए। 102 साल पुराने कानून में संशोधन किया गया है ताकि आधुनिक तकनीक के आधार पर अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि इन उपायों से जांच अधिकारियों को अपराध की जांच एवं दोष सिद्धि में मदद मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि आज अपराधियों एवं अपराध का दायरा असीमित हो गया है, नए-नए अपराध सामने आ रहे हैं और अपराधी नए तौर-तरीकों को अपना रहे हैं। भाजपा सांसद ने कहा कि ऐसे में जांच एजेंसियों को सबल बनाना जरूरी है।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि 1920 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को डराने और धमकाने के मकसद से बंदी शिनाख्त कानून लाई थी जिसकी मंशा स्वतंत्रता आंदोलन को कमजोर करने की थी। उन्होंने कहा कि आज 102 वर्ष बाद यह सरकार नया कानून लाई है तो उम्मीद थी कि कानून उदारवादी होगा, इसमें मानवीय व्यवहार और मानवाधिकारों का ध्यान रखा जाएगा। दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि यह विधेयक ऐसे किसी मापदंड के ऊपर खरा नहीं उतरता। यह संविधान में प्रदत्त मूलभूत अधिकारों का हनन करता है। मनीष तिवारी ने नए विधेयक में जैविक नमूनों और उनके विश्लेषण संबंधी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए इस बाबत परिको अस्पष्ट बताया और कहा कि क्या इसका मतलब है कि आरोपी की ब्रेन मैपिंग और नार्को विश्लेषण भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस पर गृह मंत्री अमित शाह को स्पष्टीकरण देना चाहिए। मनीष तिवारी ने आरोपी के व्यावहारिक रुझान के अध्ययन की संभावना को लेकर भी चिंता जताई।

सरकार ने लोकसभा को बताया कि महामारी शुरू होने के बाद से कोविड-19 रोधी दवाएं एवं उपकरण 5 प्रतिशत जीएसटी की दर पर बेचे जा रहे हैं जबकि अन्य दवाओं की 5 से 12 प्रतिशत जीएसटी दर पर बिक्री हो रही है। लोकसभा में बेनी बेहनन के पूरक प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी। चौधरी ने कहा कि देश में 66 प्रतिशत सरकार प्रायोजित बीमा योजना केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही हैं।

राज्यसभा की कार्यवाही

सरकार ने संसद में कहा कि सेंट्रल विस्टा विकास और पुनर्विकास मास्टर प्लान के तहत विभिन्न परियोजनाओं में कोई वृक्ष नहीं काटा गया है और अब तक अन्य स्थानों पर 1,051 वृक्ष लगाए गए हैं। आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उनसे सवाल किया गया था कि क्या यह सच है कि चालू सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए सैकड़ों पेड़ों को उखाड़ा जाएगा। उन्होंने इसके जवाब में कहा कि सेंट्रल विस्टा विकास / पुनर्विकास मास्टर प्लान के तहत विभिन्न परियोजनाओं में न तो कोई वृक्ष गिराया गया है और न काटा गया है। अब तक अन्य स्थानों पर 1,051 वृक्ष लगाए जा चुके हैं।

ईंधन की कीमतों में वृद्धि पर विपक्ष का हंगामा

पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के मुद्दे पर राज्यसभा में विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया। इसकी वजह से उच्च सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, पीठासीन उपसभापति सस्मित पात्रा ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देने के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का नाम पुकारा। इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रयान ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि कई सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दों पर नोटिस दिए हैं। उन्होंने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम ने महंगाई के मुद्दे पर नोटिस दिया है जबकि कुछ अन्य सदस्यों ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर नोटिस दिए हैं। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसे नियम 138 के तहत सदन में पेश किया जाना चाहिए।

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