बंगाली, तमिल भाषा सीख रहे हैं शाह, ममता को देंगे उन्हीं की भाषा में जवाब

Amit Shah learns Bengali and Tamil to win over states

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी पार्टी का पश्चिम बंगाल, दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में विस्तार करने के लिए सिर्फ दौरे ही नहीं कर रहे बल्कि अब वह उन राज्यों की भाषाएं भी सीख रहे हैं।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी पार्टी का पश्चिम बंगाल, दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में विस्तार करने के लिए सिर्फ दौरे ही नहीं कर रहे बल्कि अब वह उन राज्यों की भाषाएं भी सीख रहे हैं ताकि उक्त राज्यों की जनता से सीधे संवाद कर सकें। जी हाँ, अंग्रेजी समाचारपत्र टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अपने व्यस्त समय के बावजूद शाह इन दिनों बंगाली, तमिल, असमिया और मणिपुरी भाषा सीख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बकायदा ट्यूटर रखे हुए हैं। तमिल और बंगाली तो शाह ने बहुत जल्दी सीख भी ली है और अब सारा ध्यान धाराप्रवाह बोलने पर लगाया हुआ है।

इस तरह लोकसभा चुनावों के समय चुनाव प्रचार के दौरान शाह का एक नया रूप देखने को मिल सकता है जब वह बंगाल में बंगाली भाषा में, तमिलनाडु में तमिल में, गुजरात में गुजराती में और असम में असमिया में मोदी सरकार की उपलब्धियों का बखान करते नजर आयेंगे।

गौरतलब है कि बंगाल और तमिलनाडु पर भाजपा बहुत फोकस कर रही है। बंगाल में जहां वह लगातार सक्रिय रहते हुए एक तरह से मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल कर चुकी है वहीं तमिलनाडु में जयललिता के स्वर्गवास के बाद अन्नाद्रमुक के कमजोर होने का पार्टी फायदा उठाना चाहती है। अभी तक दक्षिणी राज्यों में शाह और पार्टी के अन्य नेताओं की सभाओं में उनके हिंदी भाषणों का मंच पर ही अनुवाद किया जाता रहा है लेकिन इससे जनता से सीधा संवाद नहीं हो पाता।

यह भी अकसर देखा जाता है कि जब राजनीतिज्ञ किसी राज्य में जाकर वहां की स्थानीय भाषा में सिर्फ अभिवादन भी कर दें तो जनता खुश हो जाती है ऐसे में यदि पूरा भाषण स्थानीय भाषा में हो तो जनता उस पार्टी से जुड़ाव महसूस करने लगती है क्योंकि उसे लगता है कि नेता उनकी भाषा जान गया है तो उनकी समस्या भी जानेगा। 

शाह कड़ी मेहनत करने और अपनी टीम से भी कड़ी मेहनत करवाने वाले नेता माने जाते हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि अमित शाह को वह यहां तक नहीं लाये बल्कि अपनी मेहनत के बल पर वह यहां पहुँचे हैं। पार्टी नेता भी स्वीकार करते हैं कि वर्षों बाद भाजपा को ऐसा राष्ट्रीय अध्यक्ष मिला है जो चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ बड़ी जनसभाएं नहीं करता बल्कि गलियों गलियों में घूम कर जनसंपर्क भी करता है।

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