अगर Pulwama incident की जांच हुई होती तो गृह मंत्री को इस्तीफा देना पड़ता : सत्यपाल मलिक

Satya Pal Malik
प्रतिरूप फोटो
ANI

। मलिक ने आरोप लगाया कि पुलवामा मामले में मुझे चुप रहने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा, ‘‘पुलवामा मामले की जांच नहीं हुई और अगर जांच हुई होती तो तत्कालीन गृह मंत्री (राजनाथ सिंह) को इस्तीफा देना पड़ता और कई अधिकारी जेल में होते।

जयपुर, 21 मई जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को दावा किया कि अगर पुलवामा में सैनिकों के शहीद होने की घटना की जांच हुई होती तो तत्कालीन गृह मंत्री को इस्तीफा देना पड़ता। मलिक ने आरोप लगाया कि पुलवामा मामले में मुझे चुप रहने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा, ‘‘पुलवामा मामले की जांच नहीं हुई और अगर जांच हुई होती तो तत्कालीन गृह मंत्री (राजनाथ सिंह) को इस्तीफा देना पड़ता और कई अधिकारी जेल में होते। इन लोगों ने जांच नहीं कराई।’’ सत्यपाल मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव सैनिकों की लाशों पर लड़ा गया था। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।

मलिक ने पुलवामा आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि अगर जांच की गई होती तो गृह मंत्री (राजनाथ सिंह) को इस्तीफा देना पड़ता। अलवर जिले के बानसूर कस्बे के फतेहपुर गांव में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए मलिक ने रविवार को कहा, ‘‘चुनाव (लोकसभा 2019) हमारे सैनिकों की लाश पर लड़े गए और कोई जांच नहीं की गई। अगर जांच होती तो गृह मंत्री को इस्तीफा देना पड़ता, कई अधिकारियों को जेल जाना पड़ता और बड़ा विवाद होता।’’ मलिक ने कहा कि उन्होंने घटना की जानकारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दी थी, लेकिन उन्हें चुप रहने को कहा गया था। मलिक ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में अपनी शूटिंग कर रहे थे।

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जब वे वहां से बाहर आए तो मुझे फोन आया, मैंने उनसे कहा कि हमारे सैनिक मारे गए हैं और वे हमारी गलती से मारे गए हैं, इसलिए उन्होंने मुझे चुप रहने के लिए कहा और इस पर बात नहीं करने के लिए कहा।” पूर्व राज्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों के बारे में मुखर रहे हैं और तीन कृषि कानूनों (अब निरस्त) के विरोध के दौरान किसानों के साथ खड़े थे। उन्हें हाल में 23 अगस्त, 2018 और 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को निपटाने के लिए रिश्वत के रूप में 300 करोड़ रुपये की पेशकश के अपने दावे के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का सामना करना पड़ा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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