न्यायालय ने कुछ मामलों में ऑनलाइन याचिका दायर करने को अनिवार्य बनाने को कहा

Supreme Court
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उच्च न्यायालयों को लिखे गए पत्र के मुताबिक, ई-फाइलिंग को उन सभी मामलों के लिए अनिवार्य किया जाएगा, जिन्हें उच्च न्यायालय द्वारा उपयुक्त पाया जाता है, जैसे राजस्व, कर, मध्यस्थता, वाणिज्यिक विवाद और किसी भी अन्य श्रेणी को लेकर।

नयी दिल्ली| उच्चतम न्यायालय ने न्यायपालिका के डिजिटलीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए देश के सभी उच्च न्यायालयों से उनके समक्ष कुछ निश्चित मामलों में दायर होने वाली याचिकाओं को अगले साल एक जनवरी से ई-फाइलिंग (ऑनलाइन दाखिल करना) अनिवार्य करने को कहा।

शीर्ष अदालत की ई-समिति के अध्यक्ष ने नौ अक्टूबर को भेजे पत्र में सभी उच्च न्यायालयों की रजिस्ट्री से कहा, वे एक जनवरी, 2022 से सभी प्रकार के मामलों में सरकार द्वारा दायर मामलों/याचिकाओं की ई-फाइलिंग अनिवार्य किया जाना सुनिश्चित करें। इस तारीख के बाद सरकार द्वारा किसी भी मामले में भौतिक रूप से याचिका दायर नहीं की जानी चाहिए।

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इस पत्र को कोविड-19 महामारी के दौरान न्यायपालिका की कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किए जाने के बीच अदालतों को तकनीक से और अधिक लैस किए जाने के नजरिए से भी अहम माना जा रहा है।

उच्च न्यायालयों को लिखे गए पत्र के मुताबिक, ई-फाइलिंग को उन सभी मामलों के लिए अनिवार्य किया जाएगा, जिन्हें उच्च न्यायालय द्वारा उपयुक्त पाया जाता है, जैसे राजस्व, कर, मध्यस्थता, वाणिज्यिक विवाद और किसी भी अन्य श्रेणी को लेकर।

पत्र में कहा गया कि धन वसूली के वाद, चेक बाउंस की शिकायतें, भरण-पोषण के लिए आवेदन, आपसी सहमति से तलाक के लिए याचिका और जमानत संबंधी आवेदनों को भी अनिवार्य ई-फाइलिंग के तहत विचार किया जा सकता है।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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