सशस्त्र सेनाएं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह लैस: जेटली
![Armed forces sufficiently equipped, says Defence Minister Arun Jaitley in Parliament Armed forces sufficiently equipped, says Defence Minister Arun Jaitley in Parliament](https://images.prabhasakshi.com/2017/7/_650x_2017072814585342.jpg)
रक्षा अधिकारियों और गोला बारूद की उपलब्धता पर उठाए गए सवालों के मद्देनजर रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के पूरी तरह लैस हैं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में रक्षा अधिकारियों और गोला बारूद की उपलब्धता पर उठाए गए सवालों के मद्देनजर रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के पूरी तरह लैस हैं। कैग में कुछ रक्षा अधिकारियों के संबंध में की गयी नकारात्मक टिप्पणियों के मद्देनजर उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने के संबंध में जेटली ने कहा, ''संसदीय प्रक्रिया के अनुसार कैग की रिपोर्ट संसद के पटल पर रखे जाने के बाद लोक लेखा समिति (पीएसी) को भेजी जाती है और पीएसी उसके बाद अपनी टिप्पणियों के साथ अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजती है। इसके बाद सरकार कार्रवाई करती है। यदि पीएसी की सिफारिशों के अनुसार कार्रवाई की जरूरत महसूस की गयी तो सरकार निश्चित रूप से कार्रवाई करेगी।’’
उन्होंने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि कैग ने वर्ष 2012–13 से लेकर 2016 की समयावधि को लेकर अपनी टिप्पणी की हैं जो रक्षा सेनाओं में गोला बारूद की उपलब्धता को लेकर हैं। उन्होंने कहा कि गोला बारूद की उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए खरीद प्रक्रिया का विकेन्द्रीकरण किया गया है और सैन्य प्रमुख को भी इस बारे में कुछ अधिकार दिए गए हैं। लेकिन उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के पूरी तरह लैस हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारी संबंधी नीति को अंतिम रूप दिया है जिसके तहत एक पारदर्शी, वस्तुनिष्ठ तथा कार्यात्मक तंत्र को लागू करने का लक्ष्य है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि बड़े रक्षा प्लेटफार्मों और विमान, पनडुब्बियों, हेलिकाप्टरों तथा कवच वाहनों के विनिर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों के अलावा निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी को भी प्रोत्साहन देने पर सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह भी एक सच्चाई है कि भारत की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए हमें विदेशों से भी रक्षा उपकरण मंगाने पड़ते हैं लेकिन अब देश के भीतर रक्षा उत्पादन इकाइयों में स्वदेशी योगदान 50 से 85 और 90 फीसदी तक बढ़ रहा है और आगे भी हर प्लेटफार्म पर एक निजी कंपनी को उत्पादन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है।
देश की रक्षा सेनाओं की गोला बारूद की जरूरत, उत्पादन और कमी के संबंध में एक सदस्य द्वारा किए गए सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि व्यापक हित में इस प्रकार की सूचना का खुलासा नहीं किया जा सकता।
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