अरुणाचल प्रदेश में सेना ने किया मार्च, मुख्यमंत्री बोले- PRC मामला बंद
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में सुबह से किसी बड़ी हिंसा की कोई खबर नहीं है और सेना की रेजीमेंट अरूणाचल स्काउट्स ने दो इलाकों में फ्लैग मार्च किया।
ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश में छह समुदायों के लोगों को स्थायी निवास का प्रमाणपत्र देने के मामले को मुख्यमंत्री पेमा खांडू के द्वारा ‘‘बंद मामला’’ करार दिए जाने के बाद भी राजधानी ईटानगर में सोमवार को लोग कर्फ्यू का उल्लंघन करके सड़कों पर उतर आये जिससे सेना को सड़कों पर गश्त लगानी पड़ी। ईटानगर और उससे सटे नाहरलागुन कस्बे में शनिवार को कर्फ्यू लगा दिया गया था लेकिन इसका प्रदर्शनकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा और वे सड़कों पर उतर आये। पिछले तीन दिनों से ये सड़कें सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष की गवाह रही हैं। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से दो लोग रविवार को पुलिस की गोली का निशाना बन गये थे। राज्य में शनिवार से ही इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं थीं।
Arunachal Pradesh CM Pema Khandu on incidents of violence over Permanent Residence Certificate: We feel that there is somebody's hands behind these incidents. Arunachal Pradesh is otherwise a peaceful state. https://t.co/lDKmT3EWBT
— ANI (@ANI) February 25, 2019
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में सुबह से किसी बड़ी हिंसा की कोई खबर नहीं है और सेना की रेजीमेंट अरूणाचल स्काउट्स ने दो इलाकों में फ्लैग मार्च किया। सेना की यह रेजीमेंट पर्वतीय क्षेत्रों में युद्ध के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित की जाती है। सेना के सड़कों पर उतरने का उद्देश्य लोगों का विश्वास जीतना और किसी संभावित हिंसा में लोगों को शामिल होने से रोकना है। खांडू ने राष्ट्रीय टीवी को कहा, ‘‘पीआरसी का मामला अब दोबारा कभी नहीं उठाया जायेगा। यह मुद्दा अब बंद हो गया है।’’ राज्य में संयुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति के छह समुदायों को स्थायी आवास प्रमाणपत्र (पीआरसी) देने की अनुशंसा के बाद बीते शुक्रवार से राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। ये छह समुदाय राज्य के मूल निवासी नहीं हैं लेकिन वे दशकों से नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं। ये समुदाय देवरिस, सोनोवाल कचारिस, मोरांस, गोरखा, आदिवासी और मिशिंग्स हैं।
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राज्य की भाजपा सरकार ने संयुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति की इन समुदायों को पीआरसी देने की अनुशंसा को लागू करने का फैसला किया था। समिति की अनुशंसायें शनिवार को विधानसभा के पटल पर रखीं गईं थीं लेकिन हिंसा फैलने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। खांडू ने रविवार को ट्वीट करके कहा था, ‘‘हमारे राज्य में शांति और नीरवता के लिए सरकार ने नामसाई और चांगलांग जिलों में पीआरसी मामलों को पहले से छोड़ दिया है।’’ इस हिंसा में सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में सैकड़ों बसों को जला दिया गया और सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। उपद्रवियों ने उपमुख्यमंत्री चोना मेन के निजी आवास को भी नहीं बख्शा। ईटानगर उपायुक्त के कार्यालय को भी इस दौरान क्षति पहुंचाई गई। उग्र भीड़ मुख्यमंत्री आवास पर भी पहुंच गई और तब पुलिस को सुरक्षा कारणों से गोली चलानी पड़ी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और सुरक्षा कर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए।
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