कश्मीर के बेहतर हालात वाले सरकारी दावे पर उमर अब्दुल्ला ने उठाये सवाल

Omar Abdullah
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उमर ने कहा कि भारत एक राष्ट्रभाषा अपनाने के लिहाज से बेहद विविधता वाला देश है और भारत का विचार यह है कि इसमें सभी के लिये जगह है। उन्होंने कहा कि देश में चुनाव अब केवल हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर लड़े जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कुछ नया नहीं है, “लेकिन अब, वृद्धि हुई है”।

कश्मीर में भले शांति हो, पूरा जम्मू-कश्मीर भले विकास की राह पर आगे बढ़ चला हो लेकिन उन लोगों को सिर्फ अंधेरा ही दिखाई दे रहा है जिनके घरों से दशकों पुरानी सत्ता वाली रौशनी चली गयी है। अब पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को ही लीजिये। उन्होंने मोदी सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा है कि कश्मीर में सामान्य स्थिति होने के जो दावे किये जा रहे हैं वह झूठे हैं। उमर अब्दुल्ला का कहना है कि सिर्फ पर्यटकों के आगमन को सामान्य स्थिति नहीं कहा जा सकता। लेकिन हम यहां उमर से पूछना चाहेंगे कि यदि पर्यटकों के आगमन को सामान्य स्थिति नहीं कहा जा सकता तो वह ऐसी बातें तब खुद क्यों कहते थे जब वह मुख्यमंत्री थे। खैर...राजनीतिज्ञ समय देखकर बात बदलने में माहिर होते हैं। फिलहाल उन्होंने कहा है कि अगर कश्मीर में सामान्य स्थिति है तो ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज पर रोक क्यों लगाई गयी। साथ ही उमर अब्दुल्ला ने सवाल पूछा है कि इफ्तार में बिजली कटौती क्यों की जा रही है? उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र में भी बिजली कटौती चरम पर है।

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उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भारत एक राष्ट्रभाषा अपनाने के लिहाज से बेहद विविधता वाला देश है और भारत का विचार यह है कि इसमें सभी के लिये जगह है। उन्होंने कहा कि चुनाव अब केवल हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर लड़े जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कुछ नया नहीं है, “लेकिन अब, वृद्धि हुई है”। उन्होंने कहा, “इसे पहले की तरह मुख्यधारा में लाया गया है। यह सच है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है।'' यह पूछे जाने पर कि अब पूरे देश में स्थिति को देखते हुए, क्या उन्हें लगता है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय एक गलती थी, नेकां नेता ने नकारात्मक जवाब दिया, और कहा कि कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि चीजें कैसे होंगी।

उन्होंने कहा, “कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि चीजें कैसे होंगी। विलय कोई गलती नहीं थी। मुझे विश्वास नहीं है कि भारत ने इस रास्ते को अपरिवर्तनीय रूप से अपनाया है। लेकिन यह चिंता का विषय है। हो भी क्यों नहीं? जब आप मस्जिदों के बाहर जुलूस निकालते हैं और वहां ‘क्या मुल्क में रहना है तो जय श्री राम कहना है’ के नारे हैं, आपको क्या लगता है लोग क्या महसूस करेंगे? अब्दुल्ला ने कहा, “माफ कीजिएगा, लेकिन जब मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाते हैं और टेलीविजन चैनल के एंकर कहते हैं कि अब बुलडोजर की कमी हो जाएगी, हमें बुलडोजर आयात करना होगा, या भारत में बने बुलडोजर होंगे, आपको क्या लगता है हमें कैसा महसूस होता है?”

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अब्दुल्ला ने पूछा, “जब टेलीविजन चैनल के एंकर बुलडोजर पर चढ़ते हैं और ड्राइवर से कहते हैं कि आपने केवल छत को नष्ट किया है और दीवारें अब भी खड़ी हैं, आप इसे भी नष्ट कर दें, आपको क्या लगता है कि लोग क्या महसूस करेंगे? कृपया समझें कि इससे जुड़ी भावनाएं हैं, हम समझते हैं कि राजनेता राजनीतिक उद्देश्यों के लिए चीजें करेंगे, लेकिन जिन लोगों से हम अपेक्षा करते हैं वे निष्पक्ष होंगे, जब वे इस तरह पक्षपात करते हैं, तो आप हमसे कैसा महसूस करने की उम्मीद करते हैं?''

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