मैनपुरी में मिले 4 हजार साल पुराने हथियार, ASI का दावा भगवान कृष्ण के काल के हैं यह वेपन

Archaeological Survey of India
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रेनू तिवारी । Jun 26 2022 4:21PM

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। एएसआई के आगरा परिमंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल ने बताया कि कुरावली तहसील के गणेशपुरा गांव में मिली वस्तुएं ताम्रपाषाण काल ​​या ताम्र युग की हैं।

आगरा(उप्र)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में तांबे के मानवरूपी आंकड़े और तलवार और हापून जैसे हथियार मिलने का दावा किया है, जो संभवत: 3,800 साल पुराने हैं। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में 1600-2000 ईसा पूर्व के तांबे के हथियार और मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े पाए गए हैं। कॉपर होर्ड्स दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व की पहली छमाही में पाए जाने वाले पुरावशेष हैं। 19वीं शताब्दी की शुरुआत से, इन प्राचीन वस्तुओं की खोज उस क्षेत्र में की गई है जहाँ यमुना और गंगा नदियाँ मिलती हैं। एएसआई के संरक्षण निदेशक और प्रवक्ता वसंत स्वर्णकार ने दिप्रिंट को बताया कि खोज से पता चलता है कि क्षेत्र के निवासी लड़ाई में लगे हुए थे, जैसे कि बागपत के सनौली में 2018 के निष्कर्ष, हालांकि वह एक दफन स्थल था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। एएसआई के आगरा परिमंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल ने बताया कि कुरावली तहसील के गणेशपुरा गांव में मिली वस्तुएं ताम्रपाषाण काल ​​या ताम्र युग की हैं। उन्होंने बताया कि एक किसान को 10 जून को गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तन, मानव सदृश्य आकृतियां और तांबे के हथियार एक खेत में मिले थे। अधिकारी ने कहा, शुरुआत में, उसने इन चीजों को यह सोचकर छिपाने की कोशिश की कि उसे कुछ कीमती वस्तुएं मिली हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने बाद में उसके पास से ये वस्तुएं बरामद कर लीं।

पटेल ने कहा, हम गांव में करीब आठ दिन रहे और जिस खेत से वस्तुएं मिलीं, वहां की वैज्ञानिक जांच की। उन्होंने कहा, यह पाया गया कि जो हथियार और अन्य वस्तुएं मिली हैं, वे 3800-4000 साल पुरानी हैं और ताम्रपाषाण या ताम्र युग की हैं। हथियार शुद्ध तांबे से बने हुए हैं।

पटेल ने कहा कि हथियारों में एक मीटर तक की तलवारें और कई प्रकार की बर्छी शामिल हैं तथा एक बर्छी चारधारी है। उन्होंने कहा कि हथियारों के आकार को देखते हुए ऐसा लगता है कि इनका इस्तेमाल योद्धाओं या सैनिकों द्वारा किया गया होगा। उन्होंने कहा, हमें गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े भी मिले हैं। एएसआई के प्रवक्ता वसंत कुमार स्वर्णकार ने कहा कि गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में अकसर ऐसी वस्तुएं पाई जाती हैं। उन्होंने कहा, हमारी जांच जारी है और उपयुक्त जांच के बाद ही हम निष्कर्षों पर अधिक बात कर पाएंगे।

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