असम मंत्रिमंडल ने एसटी का दर्जा मांग रहे समुदायों के लिए मेडिकल की सीटें बढ़ाईं

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असम मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग कर रहे छह समुदायों के लिए शैक्षणिक सत्र 2022-23 से चिकित्सा शिक्षा में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है।

असम मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग कर रहे छह समुदायों के लिए शैक्षणिक सत्र 2022-23 से चिकित्सा शिक्षा में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। असम के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद शुक्रवार देर रात मीडिया को बताया कि ये छह समुदाय-चाय बागान आदिवासी, कूच राजबंशी, ताई अहोम, मटक, मोरान और चुटिया फिलहाल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आते हैं और इनमें से प्रत्येक समुदाय के लिए एमएमबीएस पाठ्यक्रम में दो-दो आरक्षित सीटें बढ़ा दी गई हैं।

बरुआ ने बताया कि अब चाय बागान आदिवासियों को 26 आरक्षित सीटें मिलेंगी, जबकि कूच राजबंशी के लिए ऐसी सीटों की संख्या 10, ताई अहोम के लिए सात, चुटिया के लिए छह और मटक व मोरान के लिए पांच-पांच होगी। उन्होंने बतया कि डेंटल सर्जरी में स्नातक की तीन सीटें पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित होंगी। बरुआ के मुताबिक, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चिकित्सा के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए तय अधिकतम उम्र सीमा भी बढ़ाने का फैसला किया गया है।

उन्होंने बताया कि अब सामान्य वर्ग के छात्र 38 के बजाय 40 साल तक की उम्र तक इस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए दाखिले की अधिकतम उम्र सीमा 41 से बढ़ाकर 43 साल और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 43 से बढ़ाकर 45 वर्ष करने का फैसला लिया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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