अयोध्या केस: शिया वक्फ बोर्ड ने चाहा बोलना, CJI ने बैठने को कहा

इससे पहले श्री रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अदालत में कहा कि हिंदू सदियों से वहां पूजा करते आ रहे हैं, ऐसे में मुसलमानों का कब्जा वहां पर नहीं रहा। वो इमारत हमारे कब्जे में थे, मुसलमान शासक होने की वजह से वहां पर जबरन नमाज़ की जाती थी।
नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आज 16वां दिन है। सुनवाई के दौरान वकील अपनी-अपनी दलीलें जजों की बेंच के सामने रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। श्री रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पीएन मिश्रा द्वारा कोर्ट में पेश दलीलों के बाद हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने अपनी बातें रखीं। हिंदू महासभा की ओर से पेश वकील हरिशंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी दलीलें कोर्ट में रखीं। हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट में कहा कि ये जगह शुरू से हिंदुओं के अधिकार में रही है। आज़ादी के बाद भी हमारे अधिकार भी सीमित क्यों रहें? सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड के काउंसल ने बहस की अपील की। उन्होंने कहा कि वह हिंदू पक्ष का समर्थन करते हैं और अपनी बात अदालत में रखना चाहते हैं। लेकिन चीफ जस्टिस ने उन्हें कहा कि आप बैठ जाइए। गौरतलब है कि शिया वक्फ बोर्ड इस केस में कोई पार्टी नहीं है।
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इससे पहले श्री रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अदालत में कहा कि हिंदू सदियों से वहां पूजा करते आ रहे हैं, ऐसे में मुसलमानों का कब्जा वहां पर नहीं रहा। वो इमारत हमारे कब्जे में थे, मुसलमान शासक होने की वजह से वहां पर जबरन नमाज़ की जाती थी। पीएन मिश्रा ने कोर्ट में कहा कि 1856 से पहले वहां कोई नमाज नहीं होती थी, 1934 तक वहां सिर्फ जुमे की नमाज़ होती रही है। पीएन मिश्रा ने कहा, 'बाबर के वंशज किसी इमारत के मालिक हो सकते हैं लेकिन वह इमारत मस्जिद नहीं हो सकती. हिंदू सदियों से वहां पूजा करते रहे लेकिन मुसलमानों का अकेले कब्जा कभी नहीं रहा.वह इमारत हमारे कब्जे में थी. मुसलमान शासक होने की वजह से जबरन वहां नमाज़ अदा करते थे। वकील पीएन मिश्रा ने बताया कि आखिरी बार 16 दिसंबर 1949 को वहां नमाज़ अदा की गई, इसके बाद ही दंगे हुए और प्रशासन ने नमाज़ बंद करा दी।
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