अयोध्या मुद्दा कोर्ट से बाहर सुलझाने के समर्थन में हैंः संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या मुद्दे का समाधान बातचीत के जरिये करने के उच्चतम न्यायालय के सुझाव का आज स्वागत किया और कहा कि इसे जल्द सुलझाया जाना चाहिए।
कोयंबटूर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या मुद्दे का समाधान बातचीत के जरिये करने के उच्चतम न्यायालय के सुझाव का आज स्वागत किया और कहा कि इसे जल्द सुलझाया जाना चाहिए और सभी की भागीदारी से एक भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए। आरएसएस के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के सुझाव का स्वागत करते हैं..आरएसएस ने हमेशा ही इस संवेदनशील मुद्दे को अदालत के बाहर सुलझाने या इसके समाधान के लिए एक कानून का समर्थन किया है।’’
आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारी यहां आयोजित आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में हिस्सा लेने आये हैं। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आरएसएस की निर्णय करने वाली शीर्ष निकाय है। तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आज समाप्त हुई। होसबोले उच्चतम न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर के नेतृत्व वाली एक पीठ के सुझाव के बारे में एक सवाल का उत्तर दे रहे थे जिसमें कहा गया था कि ऐसे धार्मिक मुद्दे बातचीत के जरिये सुलझाये जा सकते हैं। पीठ ने इसके साथ ही एक सौहार्दपूर्ण हल पर पहुंचने के लिए मध्यस्थता की भी पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि यद्यपि आरएसएस मुकदमे में सीधे तौर पर शामिल नहीं है, वह धर्मसंसद की ओर से किये गए किसी भी निर्णय का समर्थन करेगा जिसने रामजन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया।
होसबोले ने कहा, ‘‘इसका (राममंदिर मुद्दा) निर्णय धर्मसंसद द्वारा किया जाना है क्योंकि वे ही वह लोग थे जिन्होंने पूरे रामजन्मभूमि आंदोलन को संचालित किया और अदालत जाने वाले पक्ष भी हैं। आरएसएस निर्णय नहीं करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस धर्मसंसद के निर्णय का समर्थन करेगा। मुद्दे का जल्द समाधान होना चाहिए और सभी भारतीयों की भागीदारी से एक भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए।’’ आरएसएस प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने पीटीआई से कहा कि अयोध्या में राममंदिर का निर्माण ‘‘या तो बातचीत या एक कानून से’’ होना चाहिए।
वहीं दिल्ली से मिली खबर के अनुसार विश्व हिंदू परिषद (विहिप) प्रमुख प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि केंद्र सरकार को राममंदिर निर्माण के लिए एक कानून लाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को अयोध्या में (भगवान) श्रीराम के जन्मस्थान पर राममंदिर के निर्माण के लिए एक कानून बनाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि न्यास और विहिप ने इस रूख का हमेशा ही समर्थन किया है कि विवादास्पद भूमि भगवान राम की है और उस स्थान पर श्रीराम के एक भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए। तोगड़िया ने कहा कि 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने विहिप और बाबरी एक्शन कमेटी के बीच एक सौहार्दपूर्ण हल के लिए बातचीत का प्रयास किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जब विहिप ने वहां मंदिर होने के सभी सबूत दिये तो बाबरी एक्शन कमेटी ने बैठक छोड़ दी।
तोगड़िया ने कहा, ‘‘जियोराडार और उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ के तहत एएसआई द्वारा की गई खुदाई से यह पहले ही साबित हो गया है कि बाबरी ढांचे के स्थल पर एक भव्य मंदिर था। उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने स्वीकार किया कि बाबरी ढांचे के स्थल पर मंदिर होने के पर्याप्त सबूत हैं।’’ उन्होंने कहा कि मुस्लिम भी इस पर सहमत थे कि विवादास्पद स्थल पर यदि मंदिर अस्तित्व में होगा तो वे अपना दावा वापस ले लेंगे।
इस बीच केंद्रीय मंत्री एवं कट्टर हिंदुत्व नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि यदि राममंदिर का निर्माण यहां नहीं होगा तो क्या पाकिस्तान में होगा। वहीं एक अन्य केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने मांग की कि मंदिर का निर्माण अयोध्या में विवादास्पद स्थल पर हो। सिंह ने कहा, ‘‘सभी (पक्षों) को अब पहल करनी चाहिए। भगवान राम करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र में हैं। मुस्लिमों को भी आगे आना चाहिए, एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनने दीजिये।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर का निर्माण भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान या बांग्लादेश में होगा? मुझे विश्वास है कि अल्पसंख्यक मुद्दे को एक सौहार्दपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाएंगे।’’ 1990 के दशक में रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी रही उमा भारती ने इस बात पर जोर दिया कि विवादास्पद स्थल के स्वामित्व के मुद्दे का समाधान बातचीत से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिसके पास भी भूमि का स्वामित्व था उसे ‘‘उपहार’’ स्वरूप भगवान राम को दे देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इससे बड़ा उपहार नहीं हो सकता..हमें ऐसे हल पर पहुंचना चाहिए जिसे हजारों वर्षों तक याद रखा जाए।’’ उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्थल पर एक ‘‘भव्य’’ राममंदिर का निर्माण गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर होना चाहिए।
अन्य न्यूज़