Azad ने Jammu and Kashmir में आर्थिक स्थिति में सुधार होने तक संपत्ति कर नहीं वसूलने की मांग की

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डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को केंद्र शासित प्रदेश में आर्थिक स्थिति में सुधार होने तक कुछ वर्षों के लिए संपत्ति कर लेने संबंधी फैसले को स्थगित कर देना चाहिए।

डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को केंद्र शासित प्रदेश में आर्थिक स्थिति में सुधार होने तक कुछ वर्षों के लिए संपत्ति कर लेने संबंधी फैसले को स्थगित कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह ‘रोशनी’ अधिनियम को वापस लाएगी जिसके तहत राज्य की भूमि पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक दिया गया था।

इस अधिनियम 2001 में नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था, और नवंबर 2018 में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा निरस्त कर दिया गया था। अतिक्रमण विरोधी अभियान पर आजाद ने कहा कि अभियान को रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इसे (अतिक्रमण विरोधी अभियान) रोका जाना चाहिए। अगर मेरी सरकार बनती है तो हम एक बार फिर से ‘रोशनी’ योजना लागू करेंगे।’’

‘रोशनी’ अधिनियम को आधिकारिक तौर पर जम्मू- कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) अधिनियम, 2001 के रूप में जाना जाता है और इस अधिनियम को तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के शासन के दौरान अधिनियमित किया गया था। आजाद ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में पत्रकारों से कहा कि पिछले 35 वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण आर्थिक स्थिति ‘‘खराब’’ हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘बेरोजगारी, मंहगाई कई गुना बढ़ गई है। हमारे पर्यटन, हस्तकला, बागवानी को बहुत नुकसान हुआ है और व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर, दुकानदारों सहित जम्मू-कश्मीर के लोगों को नुकसान हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लखनपुर से तंगधार तक कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे नुकसान न हुआ हो। ऐसे में जब हम उनसे जमीन ले रहे हैं, बिजली शुल्क बढ़ा रहे हैं तो लोग संपत्ति कर देने की स्थिति में नहीं हैं।’’

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने और कोविड महामारी के कारण पिछले चार वर्षों में लोगों की कमर टूट गई है। उन्होंने कहा, ‘‘राशन आपूर्ति 35 किलोग्राम से घटाकर पांच किलोग्राम कर दी गई है। ऐसे में लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। उनकी कोई आमदनी नहीं है, ऐसे में वे कर (टैक्स) कैसे देंगे। हमारे लोगों को कर देने में दिक्कत नहीं है, लेकिन पहले आय भी तो होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि सरकार को जनता के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए और कार्यालयों में बैठकर नहीं बल्कि लोगों से विचार-विमर्श कर नीतियां बनानी चाहिए। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश में संपत्ति कर लगाने की अधिसूचना जारी की थी जो अगले वित्तीय वर्ष से लागू होगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि कांग्रेस 2024 में गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेगी, आजाद ने कहा, ‘‘2024 आने पर देखते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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