Bhore Assembly Seat: भोरे सीट पर NDA के लिए अग्निपरीक्षा, जानिए इस बार कौन मारेगा बाजी

nitish kumar jp nadda
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भोरे विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने 8 बार जीत हासिल की है। इसके साथ ही जनता दल, भारतीय जनता पार्टी और आरजेडी ने भी यहां से 2-2 बार जीत हासिल की है। वहीं जेडीयू और जनता पार्टी को एक-एक बार जीत मिली है। साल 2020 के चुनाव में यहां से जेडीयू ने जीत का परचम लहराया था।

बिहार के गोपालगंज जिले का भोरे विधानसभा सीट राज्य की राजनीति में एक खास पहचान रखती है। यह सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। साल 1957 में इस सीट का गठन हुआ था। इनमें कटेया, भोरे और विजयीपुर प्रखंड शामिल हैं। यह क्षेत्र न सिर्फ सियासी रूप से बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी दिलचस्प है। भोरे विधानसभा क्षेत्र में अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। इस दौरान यहां से सत्ता का संतुलन कई बार बदलता रहा है। इस सीट पर पहले चरण यानी की 06 नवंबर को मतदान होने हैं।

भोरे विधानसभा क्षेत्र

इस सीट से कांग्रेस पार्टी ने 8 बार जीत हासिल की है। इसके साथ ही जनता दल, भारतीय जनता पार्टी और आरजेडी ने भी यहां से 2-2 बार जीत हासिल की है। वहीं जेडीयू और जनता पार्टी को एक-एक बार जीत मिली है। साल 2020 के चुनाव में यहां से जेडीयू ने जीत का परचम लहराया था। लेकिन जीत का अंतर 500 वोटों से भी कम था। वहीं यहां की राजनीतिक दिशा यत करने में जातीय समीकरणों की अहम भूमिका है। भोरे सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

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किसके बीच टक्कर

बता दें कि इस सीट पर जेडीयू ने सुनील कुमार पर भरोसा जताया है। तो वहीं (CPI ML(L) से धनंजय कुमार को टिकट दिया गया है। प्रशांत किशोर ने बिहार की सियासत में नया और अनोखा प्रयोग करने के साथ ही गोपालगंज जिले के भोरे विधानसभा से थर्ड जेंडर प्रीति किन्नर को अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रीति की सामाजिक कार्यों और स्थानीय जुड़ावों के कारण जनता के बीच खास कनेक्शन है।

लालू प्रसाद यादव का गृह जिला

गोपालगंज लालू प्रसाद यादव का गृह जिला होने के साथ ही आरजेडी का भी यहां पर मजबूत प्रभाव माना जाता है। हालांकि आरजेडी और जेडीयू दोनों की मुस्लिम समुदाय पर अच्छी पकड़ देखी जाती है। हर बार यह सीट जेडीयू और आरजेडी के बीच सीधे संघर्ष का केंद्र रहती है।

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