Birch by Romeo Lane Club के मालिक Gaurav Luthra को Phuket Airport पर देखा गया, ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी हुआ

गोवा पुलिस के डीजीपी आलोक कुमार ने बताया है कि दोनों भाई आग लगने वाली रात के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे और रविवार सुबह 5:30 बजे इंडिगो की फ्लाइट 6E-1073 से फुकेट के लिए रवाना हो गए। यह स्पष्ट रूप से जांच से बचने की मंशा दर्शाता है।
गोवा के ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइटक्लब के फरार चल रहे मालिकों सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा की लोकेशन से जुड़ी नई जानकारी सामने आई है। गौरव लूथरा की पहली तस्वीर थाईलैंड के फुकेट एयरपोर्ट से सामने आई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि दोनों भाई भारत से निकलकर थाईलैंड पहुँच चुके हैं। गोवा मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार इंटरपोल ने दोनों भाइयों के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है। यह नोटिस किसी संदिग्ध व्यक्ति की पहचान, लोकेशन या गतिविधियों से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी इकट्ठा करने के लिए जारी किया जाता है। अधिकारियों का कहना है कि रेड कॉर्नर नोटिस, जो गिरफ्तारी की औपचारिक मांग होती है उसके लिए आवश्यक है कि पहले चार्जशीट दायर की जाए और अदालत द्वारा नॉन-बेलेबल वारंट जारी हो।
गोवा पुलिस के डीजीपी आलोक कुमार ने बताया है कि दोनों भाई आग लगने वाली रात के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे और रविवार सुबह 5:30 बजे इंडिगो की फ्लाइट 6E-1073 से फुकेट के लिए रवाना हो गए। यह स्पष्ट रूप से जांच से बचने की मंशा दर्शाता है। इस बीच, गोवा पुलिस के अनुरोध पर ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने दोनों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया है। हम आपको यह भी बता दें कि लूथरा भाइयों को गिरफ्तार करने के प्रयास में गोवा पुलिस दिल्ली भी पहुँची और उनके घर व कार्यालयों पर छापेमारी की गई, लेकिन दोनों वहां नहीं मिले। उनकी संपत्तियों पर नोटिस टांग दिए गए हैं।
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उधर, मुंबई स्थित इमिग्रेशन ब्यूरो से मिली जानकारी ने पुष्टि की है कि दोनों भारत से निकल चुके हैं। इसी कड़ी में, गोवा पुलिस द्वारा साझा की गई इंटेलिजेंस के आधार पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उत्तर दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके से भरत कोहली नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर गोवा पुलिस के हवाले किया है। माना जा रहा है कि वह इस मामले की जांच में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता है।
देखा जाये तो गोवा नाइटक्लब में हुई त्रासदी ने एक बार फिर भारत में नाइटलाइफ़ स्थलों की सुरक्षा व्यवस्थाओं और उनकी नियामकीय निगरानी पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। 25 लोगों की जान चली जाना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस ढीली प्रशासनिक और नियामकीय संरचना का प्रमाण है जो बार-बार चेतावनियों के बावजूद कुछ नहीं बदलती। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि घटना के तुरंत बाद आरोपी नाइटक्लब मालिक देश छोड़कर निकल गये। यह न केवल जांच एजेंसियों की तत्परता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रभावशाली लोग किस आसानी से व्यवस्थागत कमियों का फायदा उठाकर बच निकलते हैं।
दूसरी ओर, इंटरपोल ब्लू नोटिस और अंतरराष्ट्रीय समन्वय यह दर्शाता है कि जांच अब सीमाओं से परे जा रही है, लेकिन ऐसे कदम अक्सर घटना के बाद उठते हैं जबकि ज़रूरत इस बात की है कि ऐहतियाती कदम पहले ही उठा लिये जाएं। आग जैसी विनाशकारी घटनाओं को रोका जा सकता है यदि सुरक्षा मानकों, भवन स्वीकृति और अग्नि सुरक्षा प्रमाणन को लेकर नियमों का कठोर पालन कराया जाए। लेकिन कई मामलों में लाइसेंस, निरीक्षण और मानकों का पालन महज़ औपचारिकता बनकर रह जाता है।
बहरहाल, इस घटना को सिर्फ एक क्राइम केस या आपराधिक लापरवाही के रूप में नहीं, बल्कि एक वेक अप कॉल के रूप में देखा जाना चाहिए। जब तक नियामक तंत्र मजबूत नहीं होगा, जब तक प्रभावशाली आरोपी आसानी से देश छोड़कर भाग सकते हैं और जब तक सुरक्षा मानक कागजों से बाहर निकलकर ज़मीन पर लागू नहीं होंगे, तब तक ऐसे हादसे हमारे समाज के लिए दुखद लेकिन दोहराए जाने वाले अध्याय बने रहेंगे।
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