केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ब्रिटेन का वातायन शिखर सम्मान

रमेश पोखरियाल

माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी को आज वातायन-यूके संगठन द्वारा ‘वातायन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार’ से नवाजा जा रहा है। यह सम्मान इनसे पहले साहित्यिक योगदान के लिए प्रसून जोशी, जावेद अख्तर सरीखे जाने-माने व्यक्तियों को ही मिल पाया है।

लेखन, काव्य और अन्य साहित्यिक कार्यों के लिए देश के शिक्षा मंत्री माननीय डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पटलों पर मिले सम्मान और पुरस्कार की सूची में एक अतिविशिष्ट सम्मान जुड़ गया है, जिस पर शिक्षा जगत से जुड़ा प्रत्येक भारतीय स्वयं को अलंकृत, वैभवशाली एवं गौरवान्वित अनुभव कर रहा है। देश में भारत केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने के लिए भागीरथ प्रयत्न कर रहे माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी को आज वातायन-यूके संगठन द्वारा ‘वातायन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार’ से नवाजा जा रहा है। यह सम्मान इनसे पहले साहित्यिक योगदान के लिए प्रसून जोशी, जावेद अख्तर सरीखे जाने-माने व्यक्तियों को ही मिल पाया है। इस पुरस्कार की शुरुआत कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान के रीडर डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने ब्रिटेन के साउथ बैंक हॉल के रॉयल फेस्टिवल में की थी।

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वातायन-यूके अंतरराष्ट्रीय संस्था अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संघों की सहकारिता के लिए प्रयासरत रहा है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह संगठन यूनाइटेड किंगडम हिंदी समिति और वैश्विक हिंदी परिवार के सहयोग से प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय लेखकों के जीवन और उपलब्धियों पर आधारित अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। 21 नवम्बर 2020 को लंदन में होने वाले वातायन अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मान में भारत के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी को वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करने के लिए प्रतिष्ठित लेखक एवं नेहरु केंद्र, लंदन के निदेशक डॉ. अमीश त्रिपाठी और वातायन-यूके संगठन की अध्यक्ष श्रीमती मीरा कौशिक विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। 

रमेश पोखरियाल से निर्भय, निडर और निशंक तक का सफ़र:

उत्तराखंड के गढ़वाल जिले के गांव पिनानी, जनपद पौड़ी में 1959 में एक अत्यंत निर्धन परिवार में माता स्व. विश्वेश्वरी देवी एवं श्री परमानन्द पोखरियाल के घर में जन्में डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी ने 1980 में पृथक उत्तराखंड हेतु संघर्ष की शुरुआत की, और 2009 में उत्तराखंड राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2014 से 2019 तक लोकसभा की सरकारी आश्वासन समिति के सभापति के रूप में अपनी सेवाएं दीं और वर्तमान में बतौर भारत सरकार के शिक्षा मंत्री के रूप अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉ. निशंक का प्रथम कविता संग्रह 1983 में प्रकाशित हुआ। विश्व में शायद ही किसी देश के पास ऐसा पढ़ा-लिखा, सूझवान और साहित्यिक शिक्षा मंत्री हो, जो अब तक राजनैतिक एवं सामाजिक योगदान के साथ-साथ देश को साहित्यिक ऊर्जा देने का भी कार्य कर रहा हो। माननीय निशंक जी के 14 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 11 उपन्यास, 4 पर्यटन ग्रन्थ, 6 बाल साहित्य और 4 व्यक्तित्व विकास सहित कुल 65 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

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डॉ. निशंक जी की साहित्यिक कृतियों का जर्मन, क्रियोल, स्पेनिश, अंग्रेजी, फ्रेंच, नेपाली सरीखी विदेशी भाषाओं के अलावा तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, बंगला, संस्कृत और मराठी आदि भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इतना ही नहीं डॉ. निशंक जी के साहित्य पर देश और विदेशों में 16 शोध एवं लघु-शोध हो चुके हैं। मॉरिशस के तत्कालीन राष्ट्रपति सर अनिरुद्ध जगन्नाथ एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. नवीन रामगुलाम ने डॉ. निशंक के साहित्य को हिमालय जीवन के दुःख-दर्द एवं जीवत परिस्थितियों का साक्षात् प्रतिबिम्ब दर्शाने वाले साहित्यकार की उपाधि दी है, जिनकी लेखनी में उदार हृदय, विनम्र, राष्ट्रभक्त एवं संवेदनशील साहित्यकार झलकता है। 

 

भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ज्ञानी जैल सिंह ने कहा था कि युवा साहित्यकार निशंक की लेखनी में मातृभूमि के लिए कुछ कर-गुजरने की छटपटाहट दिखती है। और आज देश में छात्र केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु प्रतिबद्ध माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी ने इतने वर्ष पूर्व डॉ. ज्ञानी जैल सिंह जी के द्वारा कही गई बात को सच कर दिखाया है। डॉ. निशंक जी को मिलने वाले पुरस्कारों का ब्यौरा नया नहीं। वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से पहले उन्हें युगांडा के राष्ट्रपति श्री रूहकाना रुगांडा द्वारा मानवीय शिखर सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। आज जब लंदन में होने वाले इस वातायन-यूके कार्यक्रम में वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी को मिलेगा, तो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा प्रत्येक भारतीय गौरवान्वित महसूस करेगा। डॉ. निशंक जी के जीवन एवं संघर्ष को दर्शाती उनके कविता संग्रह ‘सृजन के बीज’ में प्रकाशित कविता ‘वे सदा सफल’ की ये पंक्तियाँ हमें सदैव प्रेरणा प्रदान करती रहेंगी:

 

“जो समय न व्यर्थ गंवाते हैं, जो नहीं बीच में रुकते हैं, 

जो मन में एक जूनून लिए, जो झूम-झूम के गाते हैं, 

अपना तन-मन न्यौछावर कर, सदा सफलता पाते हैं।”

हम सभी भारतीयों को जीवन की अनंत विपरीत परिस्थितियों, चुनौतियों, संघर्षों को अपने साहस एवं निरंतर प्रयासों से संभावनाओं में बदलने एवं सफलता पाने का साहस प्रदान करेगा।

-प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी

कुलपति, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा; और 

सदस्य, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली  

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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