वायु प्रदूषण: दिल्ली-एनसीआर में निर्माण पर प्रतिबंध के खिलाफ बिल्डरों का संगठन न्यायालय पहुंचा

Supreme Court
प्रतिरूप फोटो

याचिका में कहा गया है, “बेहद सम्मानपूर्वक यह अनुरोधकिया जाता है कि प्रासंगिक आंकड़ों के मद्देनजर इस अदालत द्वारा एक व्यापक प्रतिबंध लगाने वाले उपरोक्त निर्देश पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।”

नयी दिल्ली| बिल्डरों की एक संस्था ने उच्चतम न्यायालय से उसके उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसके तहत उसने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्माण गतिविधियों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है।

न्यायालय में दायर याचिका में 60 से अधिक बिल्डरों के एक निकाय, ‘डेवलपर्स एंड बिल्डर्स फोरम’ ने कहा है कि वे नवीनतम निर्माण प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं ताकि धूल से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके और निर्धारित मानदंडों का भी पालन किया जाता है।

याचिका में कहा गया है, “बेहद सम्मानपूर्वक यह अनुरोधकिया जाता है कि प्रासंगिक आंकड़ों के मद्देनजर इस अदालत द्वारा एक व्यापक प्रतिबंध लगाने वाले उपरोक्त निर्देश पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।”

इसमें कहा गया, “निर्देश सभी हितधारकों के विचारों को जाने बिना और विभिन्न प्रकृति की निर्माण गतिविधियों के बीच अंतर किए बिना जारी किया गया है।” याचिका में कहा गया, “यह कहा जाता है कि सभी निर्माण गतिविधियों पर वर्तमान पूर्ण प्रतिबंध आवासीय और अन्य इकाइयों के छोटे निर्माणों को भी अपने दायरे में ले लेता है, जिन्हें किसी भी तरह से बड़े पैमाने पर प्रदूषण का कारण नहीं कहा जा सकता है।”

इस याचिका का सुनवाई के लिये सोमवार को उल्लेख किये जाने की उम्मीद है।

शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को केंद्र और एनसीआर के राज्यों को निर्देश दिया था कि वे एनसीआर और आसपास के इलाकों में प्रदूषण की रोकथाम के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेशों को लागू करें तथा यह सुनिश्चित करने के लिये प्रस्ताव देने को कहा था कि सभी औद्योगिक इकाइयां समयबद्ध रूप से पीएनजी या स्वच्छ ईंधन का उपयोग करना शुरू करें या बंदी का सामना करें।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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