पूर्व मंत्री Amarmani Tripathi के खिलाफ गैर जमानती वारंट को चुनौती खारिज किया
छह दिसंबर, 2001 को धर्मेन्द्र नामक एक व्यक्ति ने बस्ती में भादंसं की धारा 364ए (फिरौती के लिए अपहरण) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कराकर आरोप लगाया गया था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने उनके बेटे का अपहरण कर लिया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी। त्रिपाठी ने अपने खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट और 2001 के अपहरण मामले में भगोड़ा घोषित करने वाले आदेश को चुनौती दी थी।
अमरमणि त्रिपाठी की अर्जी खारिज करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा, “यदि आवेदक निचली अदालत में हाजिर होता है और नियमित जमानत के लिए आवेदन करता है तो सतेन्दर कुमार अंतिल बनाम सीबीआई एवं अन्य के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के आलोक में उसी दिन आवेदन पर निर्णय लिया जाएगा।”
इससे पूर्व, उच्च न्यायालय ने बस्ती के विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) को 14 मार्च तक एक विशेष संदेशवाहक द्वारा सीलबंद लिफाफे में इस मुकदमे की पूर्ण ‘आर्डरशीट’ की प्रति भेजने का निर्देश दिया था।
छह दिसंबर, 2001 को धर्मेन्द्र नामक एक व्यक्ति ने बस्ती में भादंसं की धारा 364ए (फिरौती के लिए अपहरण) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कराकर आरोप लगाया गया था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने उनके बेटे का अपहरण कर लिया है।
इस मामले के जांच के दौरान अमरमणि त्रिपाठी का नाम सामने आया। अमरमणि त्रिपाठी को जेल भेज दिया गया था और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
इसके बाद, इस मामले में गैंगस्टर अधिनियम के तहत एक पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया। यह एक नवंबर, 2023 का दिन था जब विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए), बस्ती ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत आवेदक के खिलाफ प्रक्रिया शुरू की और उसे इस मामले में भगोड़ा घोषित किया। त्रिपाठी ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अर्जी लगाई।
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