विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को चुनौती दी जा रही हैः अंसारी

[email protected] । Mar 25 2017 5:42PM

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को संकीर्ण विचारों द्वारा चुनौती दी जा रही है और इन्हें मुक्त क्षेत्रों तथा उदार मूल्यों के नवीकरण के स्रोतों के रूप में पोषित करने की आवश्यकता है।

चंडीगढ़। उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने आज कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को ‘‘संकीर्ण विचारों’’ द्वारा चुनौती दी जा रही है और इन्हें ‘‘मुक्त क्षेत्रों’’ तथा उदार मूल्यों के नवीकरण के स्रोतों के रूप में पोषित करने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने पंजाब विश्वविद्यालय के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मुद्दों पर तेजी से बढ़ते अविश्वास के माहौल में बुद्धिजीवियों को विश्वविद्यालयों को मुक्त क्षेत्र, स्वतंत्र, ज्ञान के महत्वपूर्ण खजाने, और उदार मूल्यों के नवीकरण के स्रोतों के रूप में पोषित करने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है, जो लोगों को सामाजिक गतिशीलता और समानता के अवसर उपलब्ध कराती हैं।

अंसारी ने कहा कि देश में हाल ही में हुई घटनाएं यह दर्शाती हैं कि ‘‘एक विश्वविद्यालय को क्या होना चाहिए और क्या नहीं इस बात को लेकर काफी असमंजस है।’’ उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को ‘‘संकीर्ण विचारों के आधार पर चुनौती दी जा रही है और उसे सबके हित के तौर पर देखा जा रहा है।’’ अंसारी ने कहा कि असहमत होने और आंदोलन का अधिकार संविधान के तहत मिलने वाले मौलिक अधिकारों में निहित है जो कि एक बहुलवादी ढांचे का निर्माण करता है और देश को संकीर्ण जातीय, वैचारिक अथवा धार्मिक अधार पर परिभाषित करने की किसी भी गुंजाइश को नकारता है।

उन्होंने जोर दिया, ‘‘अवैध आचरण अथवा हिंसा के मामलों को छोड़कर किसी विश्वविद्यालय को संकाय के सदस्यों या अपने छात्रों को किसी विशेष स्थिति को अंगीकार करने के लिए चुप कराने अथवा प्रभावित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। बल्कि विश्वविद्यालयों को अपनी अकादमिक अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए आवश्यक सभी कानूनी कदम उठाने चाहिए।’’ अंसारी का यह बयान विभिन्न शिक्षण संस्थानों में घटी हालिया घटनाओं पर उठे विवादों के बीच आया है।

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