Prabhasakshi NewsRoom: अंतरिक्ष में इतिहास रचने के बाद भारत ने अब की चंद्रमा पर सैर

Chandrayaan 3 walk
Pic source - Pawan K Goenka's Twitter handle

हम आपको यह भी बता दें कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और जिन्हें चंद्रमा के वातावरण के अध्ययन के उद्देश्य से एक चंद्र दिवस अवधि (करीब 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालन के लिए डिजाइन किया गया है।

अंतरिक्ष की दुनिया में नया इतिहास रचने के एक दिन बाद भारत ने आज एक और कीर्तिमान रचा। सुबह सुबह जब इसरो ने खबर दी कि भारत ने चंद्रमा पर सैर की है तो हर भारतीय का मन प्रफुल्लित हो गया। हम आपको बता दें कि चंद्रमा की सतह पर पहुंचे चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकल आया है। इस प्रकिया पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने कहा, ‘‘भारत ने चांद पर सैर की।’’ अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर इसरो ने कहा कि ‘‘रोवर बाहर निकल आया है’’। इसरो ने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 रोवर : ‘मेड इन इंडिया- मेड फॉर मून’। चंद्रयान-3 का रोवर लैंडर से बाहर निकल आया है और भारत ने चांद की सैर की।’’ 

दूसरी ओर, भारत ने जो इतिहास रचा है उसको लेकर दुनिया भर में खुशी की लहर है। दुनिया भर के देशों के राष्ट्राध्यक्ष और उन देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों की ओर से भारत को लगातार बधाइयां मिल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई राष्ट्राध्यक्षों के बधाई संदेश के लिए उनका आभार एक्स पर प्रकट भी किया है।

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हम आपको यह भी बता दें कि आधिकारिक सूत्रों ने पहले ही लैंडर ‘विक्रम’ से रोवर ‘प्रज्ञान’ के सफलतापूर्वक बाहर निकलने की पुष्टि कर दी थी। इसरो ने इससे पहले कहा था कि 26 किलोग्राम वजनी छह पहियों वाले रोवर को लैंडर के अंदर से चांद की सतह पर उसके एक ओर के पैनल को रैंप की तरह इस्तेमाल करते हुए बाहर निकाला जाएगा। हम आपको यह भी बता दें कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और जिन्हें चंद्रमा के वातावरण के अध्ययन के उद्देश्य से एक चंद्र दिवस अवधि (करीब 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो के अधिकारियों ने हालांकि इसके अगले चंद्र दिवस तक काम करते रहने की संभावना से इंकार नहीं किया है। रोवर इस दौरान चांद की सतह पर घूमकर वहां मौजूद रसायन का विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर के पास वैज्ञानिक पेलोड हैं जो चांद की सतह पर प्रयोग करेंगे।

रोवर अपने पेलोड ‘एपीएक्सएस’ (अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) के जरिए चंद्रमा की सतर का अध्ययन करेगा ताकि रासायनिक संरचना की जानकारी प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की सतह के बारे में ज्ञान को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके। ‘प्रज्ञान’ में भी एक पेलोड- ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एलआईबीएस) है जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना का पता लगाएगा।

उल्लेखनीय है कि इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इससे पहले कहा था, ‘‘लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद रैंप और लैंडर के अंदर से रोवर को निकालने की प्रक्रिया की जाएगी। इसके बाद एक के बाद एक सभी प्रयोग होंगे- इन सभी को चंद्रमा पर सिर्फ एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन में पूरा करना होगा।’’

हम आपको यह भी बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर ‘विक्रम’ ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए अपेक्षाकृत एक समतल क्षेत्र को चुना। उसके कैमरे से ली गयी तस्वीरों से यह पता चला है। इसरो ने कहा कि विक्रम के सफलतापूर्वक चंद्रमा पर पहुंचने के तुरंत बाद ‘लैंडिंग इमेजर कैमरा’ ने ये तस्वीरें कैद कीं। तस्वीरें चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का एक हिस्सा दिखाती हैं। इसरो ने कहा, ‘‘लैंडर का एक पैर और उसके साथ की परछाई भी दिखायी दी।’’ इसरो ने यह भी बताया कि लैंडर और इसरो के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) के बीच संचार भी स्थापित हुआ है। इसरो ने चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर उतरते वक्त ली गयी तस्वीरें भी जारी की हैं।

अब हमारी नजर मंगल पर यान उतारने पर

हम आपको यह भी बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए इसका श्रेय वैज्ञानिकों को दिया जिन्होंने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए बेहद कष्ट और पीड़ा सही। साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में इसरो का यान इसी तरह मंगल ग्रह पर उतरेगा। सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता इसरो नेतृत्व और वैज्ञानिकों की पीढ़ियों की मेहनत का नतीजा है और यह सफलता ‘बहुत बड़ी’ और ‘प्रोत्साहित करने वाली’ है। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की यात्रा कठिन है और प्रौद्योगिकी क्षमता हासिल करने के बावजूद आज किसी भी देश के लिए किसी खगोलीय पिंड पर यान को सफलतापूर्वक उतारना मुश्किल कार्य है।

अमेरिका और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों ने बधाई दी

अमेरिका और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों ने चंद्रमा पर चंद्र मिशन की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बनने पर भारत को बधाई दी और इसरो की इस उपलब्धि को अंतरिक्ष इतिहास में एक "अतुल्य" क्षण करार दिया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग के लिए इसरो को बधाई! चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान की सफलतापूर्वक सॉफ्ट-लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बनने पर भारत को बधाई। हमें इस मिशन में आपका भागीदार बनकर खुशी हो रही है।” यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के महानिदेशक जोसेफ एशबैकर ने ‘एक्स’ पर लिखा, “अतुल्य! इसरो और भारत के सभी लोगों को बधाई!!" उन्होंने लिखा, “भारत ने नई तकनीकों का प्रदर्शन करते हुए किसी अन्य खगोलीय पिंड पर पहली सॉफ्ट लैंडिंग की। शाबाश, मैं पूरी तरह प्रभावित हूं।” ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसी ने ‘एक्स’ पर लिखा, "इतिहास बन गया! इसरो को बधाई।" रूस के सरकारी अंतरिक्ष निगम ‘रोस्कोस्मोस’ ने भी भारत को बधाई दी। ‘रोस्कोस्मोस’ ने एक बयान में कहा, “रोस्कोसमोस चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग पर भारत को बधाई देता है।”

दुनियाभर में खुशी की लहर

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने की भारत की सफलता पर दुनियाभर में रहने वाले भारतीय प्रवासियों सहित विभिन्न लोगों ने खुशी जतायी है। यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी ने कहा कि यह भारत के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा, “यह दर्शाता है कि भारत एक उभरती हुई वैज्ञानिक ताकत है जो दुनियाभर के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह गर्व का एक क्षण है जिसे हमें संजोने की जरूरत है। दुनिया युद्ध, गरीबी, जलवायु परिवर्तन और भूख से जूझ रही है, ऐसे में भारत इन मानव निर्मित चुनौतियों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।” 

‘एपेक्स एडवाइजर्स सिंगापुर’ के अध्यक्ष गिरिजा पांडे ने कहा कि वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की इस शानदार वैज्ञानिक उपलब्धि से बहुत खुश हैं। पांडे ने कहा, “यह सभी भारतीयों को गौरवान्वित करेगा। इससे विशाल बाह्य अंतरिक्ष उद्योग में भारत के लिए दरवाजे खुलेंगे।” 

अंतरिक्ष यान इंजीनियर और बर्मिंघम विश्वविद्यालय में व्याख्याता डॉ. लीह-नैनी अलकोनसेल ने कहा कि चंद्रयान -3 की लैंडिंग इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के वर्षों के गहन प्रयासों से हासिल हुई बड़ी उपलब्धि है। अल्कोनसेल ने कहा, “इस जटिल, सामूहिक प्रयास को सफल होते देखना बहुत रोमांचक है। चंद्रयान-3 के मिशन के समर्पित विशेषज्ञों और बर्मिंघम विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष विज्ञान एवं इंजीनियरिंग समुदाय की उपकरण टीमों को बहुत-बहुत बधाई।”

ब्रिटिश भारतीय थिंक टैंक ‘1928 इंस्टीट्यूट’ ने एक बयान में कहा कि यह “अग्रणी और साहसी” यात्रा ब्रह्मांड की गहन जानकारी की खोज में एक बड़ी छलांग है। थिंकटैंक ने कहा, “इस मिशन के निष्कर्ष चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में हमारी समझ को तेजी से बढ़ाएंगे और यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि भारत इसे हासिल करने वाला पहला देश है।”

इसरो वैज्ञानिकों के इस कारनामे की प्रशंसा पाकिस्तान में भी हो रही है, जिसे अक्सर भारत का शत्रु कहा जाता है। चंद्रयान-3 मिशन ने पड़ोसी देश के आम लोगों को भी प्रभावित किया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस्लामाबाद के निवासी अयूब अख्तर ने कहा, “भारत आगे बढ़ रहा है, हम कहीं नहीं हैं।” अख्तर के विचारों से सहमति जताते हुए कराची की शमीना बेगम ने कहा कि भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में पाकिस्तान से आगे निकल गया है, जबकि पाकिस्तान अत्यधिक महंगाई और आंतरिक संघर्षों के बीच भोजन व शिक्षा जैसी बुनियादी चीजों के लिए संघर्ष कर रहा है।

सिंगापुर इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसआईसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. टी चंद्रू ने कहा कि चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण भारत की वैज्ञानिक उन्नति की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास ज्ञान की सीमाओं से आगे बढ़ने, नवाचार को बढ़ावा देने और पीढ़ियों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करने की भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले उद्यमी अरुण अग्रवाल ने कहा कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग एक ऐसी उपलब्धि है जिस पर न केवल भारतीयों को बल्कि पूरी दुनिया को गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत प्रगति करता रहेगा तो इससे दुनिया को प्रगति करने में मदद मिलेगी।”

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