चीता पुनरुप्तादन योजना: मप्र के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बनेंगे हेलीपैड

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चीता पुनरुत्पादन योजना के तहत चीतों को दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाने के लिए कुनो में कम से कम सात हेलीपैड बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एक शीर्ष अधिकारी ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि केएनपी के अंदर तीन हेलीपैड बनाए जा रहे हैं, जबकि चार उद्यान के बाहर वीवीआईपी आवाजाही के लिए बनाए जा रहे हैं।

भोपाल, 6 सितंबर। चीता पुनरुत्पादन योजना के तहत चीतों को दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाने के लिए कुनो में कम से कम सात हेलीपैड बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हेलीपैड का निर्माण इस संकेत के बीच किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महत्वाकांक्षी योजना के उद्घाटन के लिए कुनो पहुंच सकते हैं। चीतों को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से यहां लाया जाएगा।

एक शीर्ष अधिकारी ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि केएनपी के अंदर तीन हेलीपैड बनाए जा रहे हैं, जबकि चार उद्यान के बाहर वीवीआईपी आवाजाही के लिए बनाए जा रहे हैं। अधिकारी से जब पूछा गया कि प्रधानमंत्री के 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर इस परियोजना का उद्घाटन करने की क्या कोई योजना है, उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की और कहा कि चीजें जल्द ही स्पष्ट हो जाएंगी। श्योपुर लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता संकल्प गोल्या ने ‘पीटीआई भाषा’ से पुष्टि की कि हेलीपैड का निर्माण किया जा रहा है।

प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे एस चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, हमें कोई लिखित आधिकारिक सूचना नहीं मिली है कि चीते 17 सितंबर को आ रहे हैं। हमें इस बारे में भी कोई लिखित आधिकारिक सूचना नहीं मिली है कि प्रधानमंत्री उस तारीख को आ रहे थे। उन्होंने कहा , ‘‘पूरी संभावना है कि चीते इसी माह केएनपी पहुंचेंगे, लेकिन मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता कि वे 17 सितंबर को आएंगे।’’ इस बीच, एक वन अधिकारी ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका का एक दल वर्तमान में राजस्थान के रणथंभौर टाइगर अभयारण्य में है और मंगलवार को केएनपी पहुंचने वाला है।

दक्षिण अफ्रीका ने वहां से चीतों लाने के लिए अभी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। जाहिर है कि चीतों को भेजने से पहले कुछ मुद्दों को दूर करने के लिए दल केएनपी आ रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन और वरिष्ठ प्रोफेसर यादवेंद्रदेव विक्रम सिंह झाला, जो कि चीता स्थानांतरण योजना में अहम भूमिका निभा रहे हैं, का भी मंगलवार को केएनपी पहुंचने का कार्यक्रम है। अधिकारियों के अनुसार, नामीबिया में चीतों को पृथक रखा गया है और वे भारत आने के लिए तैयार हैं।पिछले माह वहां से चीतों के आने की उम्मीद थी, लेकिन यह नहीं हो सका।

अधिकारियों ने बताया कि वहां से चीतों को यहां जंगल में छोड़ने से पहले दो से तीन माह तक बाड़े में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि चार से पांच मादा जानवर समेत 12 चीतों को टीकाकरण कर पृथक रखा गया है ताकि उन्हें भारत लाया जा सके। वन्यजीव विशेषज्ञ एवं ‘प्रयत्न’ के संस्थापक सचिव अजय दुबे ने कहा, ‘‘चीतों के व्यापक शिकार के कारण वे विलुप्त हो गए। अंतिम तीन चीतों को कोरिया के राजा ने जंगलों में मार दिया जो कि अब घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र है।’’ कोरिया जिला वर्तमान में छत्तीसगढ़ में है। इस जिले में देश के अंतिम चीते की मौत 1947 में हुई थी।

चीते और इसकी प्रजातियों को 1952 में विलुप्त घोषित किया गया था। महत्वाकांक्षी स्थानान्तरण परियोजना के तहत चीतों के दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से केएनपी आने की उम्मीद है, हालांकि उनके आगमन की सटीक तिथि तय नहीं है। वर्ष 1952 में चीते भारत से विलुप्त हो गए थे। ‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया’ 2009 से चल रहा है, जिसने हाल के कुछ साल में गति पकड़ी है। भारत ने चीतों को लाने के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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