Chhattisgarh : ED ने शराब ‘घोटाला’ मामले में सेवानिवृत्त IAS अधिकारी टुटेजा को किया गिरफ्तार

Chhattisgarh
प्रतिरूप फोटो
CANVA PRO

छत्तीसगढ़ के कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया है। जाँच एजेंसी ने अधिकारी को रायपुर स्थित आर्थिक अपराध शाखा के कार्यालय से हिरासत में लिया है। जहाँ वे अपने बेटे यश टुटेजा इसी मामले में अपना बयान दर्ज कराने पहुंचे थे।

रायपुर । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में सेवानिवृत्त आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अनिल टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया। आधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। संघीय एजेंसी ने 2003 बैच के अधिकारी को शनिवार को रायपुर स्थित आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के कार्यालय से हिरासत में लिया, जहां वह और उनके बेटे यश टुटेजा इसी मामले में अपना बयान दर्ज कराने पहुंचे थे। 

ईडी ने उन्हें जांच में शामिल होने और अपने बयान दर्ज कराने के लिए ईओडब्ल्यू/एसीबी कार्यालय में तलब किया था, जिसके बाद उन्हें यहां केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में ले जाया गया। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी से पूछताछ की गई और बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत उन्हें हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ के बाद यश टुटेजा को जाने दिया गया। ईडी के वकील सौरभ पांडे ने बताया कि अनिल टुटेजा को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। 

उन्होंने कहा कि एजेंसी ने मजिस्ट्रेट से टुटेजा की 14 दिन की हिरासत का अनुरोध किया था। वकील ने कहा कि चूंकि विशेष पीएमएलए अदालत रविवार को बंद थी, इसलिए मजिस्ट्रेट अदालत ने टुटेजा को एक दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उन्होंने कहा कि टुटेजा को सोमवार को विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया जाएगा और ईडी हिरासत में पूछताछ के लिए उनकी नए सिरे से रिमांड का अनुरोध करेगी। अनिल टुटेजा पिछले साल प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। उच्चतम न्यायालय ने आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित ईडी की प्राथमिकी को हाल में रद्द कर दिया था जिसके बाद संघीय एजेंसी ने कथित शराब घोटाला मामले में धनशोधन का एक नया मामला दर्ज किया था। 

एजेंसी ने मामले में अपनी जांच का विवरण राज्य ईओडब्ल्यू/एसीबी के साथ साझा किया था और आपराधिक मामला दर्ज करने का अनुरोध किया था। राज्य ईओडब्ल्यू/एसीबी द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद ईडी ने उस शिकायत का संज्ञान लेते हुए धनशोधन का एक नया मामला दर्ज किया। ईओडब्ल्यू/एसीबी ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा कांग्रेस को हराए जाने के लगभग एक महीने बाद 17 जनवरी को यह प्राथमिकी दर्ज की थी और पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और अन्य सहित 70 व्यक्तियों तथा कंपनियों को इसमें नामजद किया था। ईडी ने अपराध से अर्जित आय लगभग 2,161 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था। 

प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की ‘‘हर’’ बोतल से ‘‘अवैध’’ धन एकत्र किया गया था और रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले शराब सिंडिकेट द्वारा कमाए गए 2,000 करोड़ रुपये के धनशोधन तथा ‘‘अप्रत्याशित’’ भ्रष्टाचार के सबूत मिले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की भाजपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि ईओडब्ल्यू/एसीबी का कदम राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा था कि पिछले तीन वर्षों से, ईडी और आयकर विभाग मामलों की जांच कर रहे थे तथा अब उन्होंने एसीबी को अपराध दर्ज करने की सिफारिश की है। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया था, ‘‘पहले हमारी पार्टी के कई नेताओं के नाम जांच में सामने नहीं आए थे, लेकिन अब उनके नाम (ईओडब्ल्यू/एसीबी की) प्राथमिकी में दर्ज किए गए हैं। यह लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है...।’’ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था, ‘‘ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है और वह अपना काम करती रही है। इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़