Prabhasakshi NewsRoom: चीनी नागरिकों का सब्र का बाँध टूटा, लगता है सैलाब जिनपिंग के तख्त को बहा ले जायेगा

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चीन के इस समय के हालात को देखें तो वहां विभिन्न शहरों में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए कड़े प्रतिबंधों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इस बीच, देश में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

जैसी करनी वैसी भरनी, यह कहावत चीन के मामले में एकदम सटीक लागू होती है। चीन ने कोरोना वायरस जैसा खतरनाक वायरस बनाया। उसे पूरी दुनिया में फैलाया। इस वायरस ने महामारी का रूप लेकर दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जान ली और अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया लेकिन इसने अपने जन्मदाता चीन को भी नहीं बख्शा। चीन दुनिया को भले ना बताये लेकिन यह जगजाहिर है कि वहां कोरोना से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। इस समय पूरी दुनिया कोरोना रूपी महामारी से मुक्ति पा चुकी है लेकिन चीन को इस वायरस ने बुरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया हुआ है। दुनिया आगे बढ़ रही है, फीफा फुटबाल विश्व कप का मजा ले रही है और चीनी नागरिक अपने देश की जीरो-कोविड नीति के चलते घरों में बंधक बनकर बैठे हैं। लेकिन अब जब उनके सब्र का बांध टूटा है तो इससे उमड़ा सैलाब शी जिनपिंग के तख्त को बहा ले जाने पर आमादा है।

चीन के इस समय के हालात को देखें तो वहां विभिन्न शहरों में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए कड़े प्रतिबंधों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इस बीच, देश में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और रविवार को करीब 40,000 नए मामले सामने आए। हम आपको बता दें कि चीन में इस प्रकार के प्रदर्शन होना दुर्लभ बात है। चीनी सोशल मीडिया और ट्विटर पर उपलब्ध कई वीडियो में लोग शंघाई समेत कई स्थानों पर प्रदर्शन करते और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) तथा देश के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए। ऐसा बताया जा रहा है कि कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। कई वीडियो में विभिन्न विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र लॉकडाउन का विरोध करते दिखाई दिए।

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इस बीच, चीन की सरकार ने शिनजियांग की राजधानी उरुमकी से लॉकडाउन हटाने के लिए कदम उठाए हैं। हम आपको बता दें कि उरुमकी में गुरुवार को लॉकडाउन के दौरान एक अपार्टमेंट में आग लग जाने से 10 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद वहां सप्ताहांत में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए। पुलिस ने आधी रात में ‘मिडल उरुमकी रोड’ पर एकत्र हुए करीब 300 प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया। झाओ नाम के एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि उसके एक मित्र को पुलिस ने पीटा और उसके दो मित्रों के खिलाफ मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया गया। उसने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने ‘शी जिनपिंग, इस्तीफा दो, कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता छोड़ो’, ‘शिनजियांग से प्रतिबंध हटाओ, चीन से प्रतिबंध हटाओ’, ‘हम पीसीआर (जांच) नहीं कराना चाहते, स्वतंत्रता चाहते हैं’ और ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ सहित कई नारे लगाए।

इससे पहले शनिवार को, शिनजियांग क्षेत्र के अधिकारियों ने उरुमकी में कुछ मोहल्लों से प्रतिबंध हटा दिया। उरुमकी के निवासियों द्वारा शहर में तीन महीने से अधिक समय से लागू ‘लॉकडाउन’ के खिलाफ देर रात असाधारण प्रदर्शन किए जाने के बाद अधिकारियों को प्रतिबंध हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। कई लोगों का आरोप है कि वायरस संबंधी प्रतिबंधों के मद्देनजर लगाए गए अवरोधकों के कारण आग और भीषण हो गई तथा आपात कर्मियों को आग बुझाने में तीन घंटे का समय लगा, लेकिन अधिकारियों ने इन आरोपों से इंकार किया और कहा कि इमारत में कोई अवरोधक नहीं लगाए गए थे तथा निवासियों को वहां से जाने की अनुमति थी।

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चीनी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में बीजिंग की शिंघुआ यूनिवर्सिटी परिसर में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी छात्र कोरे कागज की शीट लेकर विरोध करते दिखे। चीन में प्रदर्शन के कई वीडियो को हालांकि इंटरनेट मीडिया से सरकार ने हटा भी दिया है लेकिन असंतोष की आग फैलती जा रही है।

इस बीच, राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि देश में संक्रमण के 39,501 मामले सामने आए हैं। देश में लगातार चौथे दिन संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि शंघाई जैसे प्रमुख शहरों में कोरोना मामलों में अप्रैल में आई तेजी के बाद से यह संख्या सर्वाधिक है।

देखा जाये तो चीन में सरकार के खिलाफ इस तरह के विरोध प्रदर्शन बिल्कुल भी सामान्य नहीं हैं क्योंकि वहां पर सरकार या राष्ट्रपति की आलोचना करने या सरकार विरोधी प्रदर्शन करने पर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है। लेकिन अब चीन के लोगों को अपनी जान की परवाह नहीं है और वह आजाद जीवन की चाह में अपनी ही सरकार के खिलाफ किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। चीन सरकार ने शुरू से ही कोरोना के खिलाफ जीरो-कोविड नीति जारी रखी है जिसके तहत लोगों को सख्त प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है और प्रतिबंध तोड़ने वालों को पुलिस की सख्त कार्रवाई झेलनी पड़ती है। लेकिन अब जीरो-कोविड नीति से लोग आजिज आ चुके हैं और जनता के बीच बढ़ते असंतोष को समझने में चीन की सरकार नाकाम रही जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। हाल ही में जिनपिंग ने यह कह कर कि जीरो-कोविड नीति में कोई ढील नहीं दी जायेगी, जनता को और भड़का दिया था।

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