क्या पिता की विरासत को संभाल पाएंगे युवा चिराग पासवान?
चिराग पासवान पहले ही चुनावी रण में जीत हासिल करने के बाद अपना दम दिखा चुके है। चिराग रामविलास पासवान के पुत्र हैं और उनकी पार्टी को वंशवाद की राजनीति से कोई परहेज भी नही है।
केंद्रीय मंत्री, दिग्गज दलित नेता और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान अब सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं। 1969 से वह चुनावी राजनीति में सक्रिय रहे है। पासवान विधायक और राज्यसभा सदस्य होने के अलावा आठ बार हाजीपुर से लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। अलग-अलग सरकारों में उन्होंने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली है। पर अब यह सवाल उठ रहा है कि उनकी राजनीतिक विरासत को संभालेगा कौन? 2014 से पहले पुत्र चिराग पासवान की जिद्द पर उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया। सात सीटों में से लोजपा छह सीटों पर जीतने में कामयाब रही। 2014 से अब तक लोक जनशक्ति पार्टी के काम-काज को उनके पुत्र चिराग पासवान ही देखते रहे हैं और आगे भी यही उम्मीद की जा रही है।
मजबूत पक्ष
चिराग पासवान पहले ही चुनावी रण में जीत हासिल करने के बाद अपना दम दिखा चुके है। चिराग रामविलास पासवान के पुत्र हैं और उनकी पार्टी को वंशवाद की राजनीति से कोई परहेज भी नही है। चिराग ने उस दौर में राजनीति में कदम रखा था जिस दौर में उनकी पार्टी की हालत बिहार में लगातार गिरती जा रही थी। पिता के साएं में रहकर उन्होंने पार्टी को अच्छे से संभाला। चिराग पासवान अपने राजनीतिक कद को भी लगातार बढ़ाते रहें। उन्होंने पार्टी के संगठन को दोबारा से स्थापिक किया। चिराग एक अच्छे वक्ता होने के साथ-साथ लोगों में काफी लोकप्रिय भी हैं। चिराग (36) अभी युवा हैं और उनकी छवि भी बेदाग है। इसके अलावा चिराग गठबंधन की राजनीति में मोल-भाव भी अच्छे से कर लेते हैं जिसका उदाहरण हाल में ही देखने को मिला।
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कमजोरी
चिराग पासवान के पास राजनीतिक अनुभव की कमी है। पिता की गैरमौजुदगी में पार्टी चलाना उनके लिए कठिन हो सकता है। वंशवाद और दलित की राजनीति पर वह अपने पिता की सोच से अलग की सोच रखते है। जमीन पर ज्यादा से ज्यादा काम करना होगा क्योकि चिराग को विपक्ष द्वारा VIP नेता का दर्जा दिया जा चुका है। लोजपा बिहार NDA में जदयू और भाजपा के बाद तीसरे नंबर पर आता है। अत: गठबंधन धर्म का पालन करते हुए पार्टी के संगठन को बड़ा करना एक बड़ी चुनौती होगी। चिराग फिल्मी बैकग्राउण्ड से आते है इसलिए राजनीति में ढ़लने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है।
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मुश्किलें
2014 में जीते हुए छह सांसदों में से दो सांसद लोजपा से नाराज चल रहे हैं। महबूब अली कैसर और रामा सिंह पार्टी में नहीं मिल रहे सम्मान से से पार्टी छोड़ने की धमकी दे चुके है। इसका मतलब साफ है कि चिराग सबको साथ लेकर चलने में फिलहाल नाकामयाब साबित हो रहे हैं। वहीं खुद अपने घर में ही उन्हें चुनौती दी जा रही है। राम विलास पासवान की पहली पत्नी और उनके बेटी-दामाद भी चिराग को लकर लगातार हमलावर हैं।
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