विपक्षी दलों ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया
कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने आज प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही के लिए नोटिस देने का निर्णय लिया। संसद भवन में हुई विपक्षी दलों की एक बैठक में इस पर सहमति बनी।
कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने आज प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही के लिए राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एक सहयोगी दलों के नेताओं के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू से मिले और उन्हें राज्यसभा के 71 सांसदों के हस्ताक्षर वाला महाभियोग प्रस्ताव नोटिस दिया। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सभापति इस प्रस्ताव को स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका का स्थान अहम है और वर्तमान प्रधान न्यायाधीश ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।
कपिल सिब्बल ने कहा कि दीपक मिश्रा के प्रशासनिक फैसलों से न्यायाधीशों के बीच भी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से चार जजों ने बताना चाहा कि चीजें सही तरह से नहीं हो रही हैं। सिब्बल ने कहा कि तीन महीने बाद भी प्रधान न्यायाधीश अन्य न्यायाधीशों की भावना नहीं समझे और कुछ भी बदलाव नहीं हुआ।
इससे पहले संसद भवन में हुई विपक्षी दलों की एक बैठक में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर सहमति बनी। विपक्षी दलों के नेता बैठक के बाद उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू से मिलने पहुँचे। महाभियोग को समर्थन देने वाले दलों में माकपा, भाकपा, राकांपा, सपा और बसपा शामिल हैं।
Opposition leaders led by Ghulam Nabi Azad reach Venkaiah Naidu's residence for a meeting over impeachment motion against CJI Dipak Mishra. Leaders from 7 opposition parties have signed the impeachment notice. #Delhi pic.twitter.com/yBHqtIj7Wg
— ANI (@ANI) April 20, 2018
उधर, उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने के संबंध में जन-प्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों के सार्वजनिक बयानों को आज बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी इसे लेकर बहुत विक्षुब्ध हैं।’’ पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने के संबंध में नेताओं के सार्वजनिक बयानों का मुद्दा उठाया। शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर दायर याचिका के निपटारे में उसकी मदद करे। याचिका में ऐसे बयानों से जुड़ी खबरें प्रकाशित/प्रसारित करने के लिए मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का भी अनुरोध किया गया है।
शीर्ष अदालत की टिप्पणी इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आज ही प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग संबंधी नोटिस संबंधित प्राधिकार को सौंपा है। गौरतलब है कि न्यायालय ने गुरुवार को ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी.एच. लोया मामले में फैसला सुनाया है। हालांकि, आज की सुनवाई में संक्षिप्त दलील के दौरान प्रधान न्यायाधीश का कोई संदर्भ नहीं आया था। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में अटॉर्नी जनरल से मदद करने का आग्रह करते हुये कहा कि अटार्नी जनरल का पक्ष सुने बगैर मीडिया पर अंकुश लगाने के बारे में कोई भी आदेश नहीं दिया जायेगा। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की सुनवाई सात मई के लिये स्थगित कर दी।
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