उप्र में 2012 से हुई नियुक्तियों की होगी सीबीआई जांच: योगी

CM Yogi announces CBI probe into UPPSC recruitments during Akhilesh Yadav''s Government
[email protected] । Jul 20 2017 11:47AM

उत्तर प्रदेश की सिविल सेवा में प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 2012 से अब तक की गयी नियुक्तियों की सीबीआई जांच करायी जाएगी। यह ऐलान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सिविल सेवा में प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 2012 से अब तक की गयी नियुक्तियों की सीबीआई जांच करायी जाएगी। यह ऐलान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राज्य विधानसभा में किया। योगी ने 2017—18 के बजट पर चर्चा के अंत में कहा कि अपराधियों को संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी कड़ा कानून बनाया जाएगा। अगर मौजूदा सत्र में इस आशय का विधेयक पारित नहीं हो पाया तो विधेयक पारित कराने के लिए विधानसभा का अगला सत्र जल्द बुलाया जाएगा।

पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार पर हमलावर तेवर अपनाते हुए योगी ने कहा, 'आपने (सपा) यूपी पीसीएस का क्या कर दिया... इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं। हम यूपी पीसीएस में 2012 से अब तक हुई सभी नियुक्तियों की सीबीआई जांच कराएंगे।' मुख्यमंत्री ने कहा कि 2012 से अब तक एक भी ऐसी नियुक्ति नहीं है, जिसे लेकर उंगली ना उठ रही हो। पुलिस के डेढ़ लाख पद खाली पड़े हैं क्योंकि 'आपके (सपा) इरादे साफ नहीं थे और उच्चतम न्यायालय ने नियुक्तियों पर रोक लगा दी।' उन्होंने कहा कि हरियाणा के एक पूर्व मुख्यमंत्री नियुक्तियों में धांधली के चलते ही दस वर्ष से जेल में हैं। योगी ने कहा कि राज्य सरकार पुलिस के डेढ़ लाख पद तीन साल में भरेगी। इसके लिए एकदम पारदर्शी व्यवस्था की जाएगी। भर्तियां किसी जाति, मत या मजहब के आधार पर नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीने के दौरान अपराध का ग्राफ गिरा है। मौजूदा सरकार के आते ही शत प्रतिशत एफआईआर दर्ज हो रही हैं।

आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों की घटना का उल्लेख करते हुए योगी ने विपक्षी बेंचों पर बैठे सपा सदस्यों से सवाल किया, 'क्या इस प्रकरण में गिरफ्तार व्यक्ति के सपा से संबंध नहीं हैं? वह राजनीतिक संरक्षण में फल फूल रहा था।' मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे अपराधियों के खिलाफ ना सिर्फ कार्रवाई करेगी बल्कि उन्हें संरक्षण देने वालों के खिलाफ कड़ा कानून भी लाएगी। उन्होंने कहा कि सीतापुर और रायबरेली की हाल की हत्याओं के प्रकरणों में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।

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