मालेगांव ब्लास्ट मामला: कर्नल पुरोहित की याचिका को HC ने किया स्वीकार
बंबई उच्च न्यायालय ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की एक याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली, जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय और विशेष अदालत के उनके खिलाफ मामलों में उन्हें आरोप मुक्त नहीं करने के फैसलों को चुनौती दी है।
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की एक याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली, जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय और विशेष अदालत के उनके खिलाफ मामलों में उन्हें आरोप मुक्त नहीं करने के फैसलों को चुनौती दी है। 18 दिसंबर, 2017 को उच्च न्यायालय ने विस्फोट मामले में पुरोहित के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये सरकार की ओर से दी गई अनुमति को रद्द करने से मना कर दिया था।
इससे पहले पिछले साल 27 दिसंबर को विशेष एनआईए अदालत ने मामले में उन्हें आरोप मुक्त करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। पुरोहित ने तब उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के आधार पर एक बार फिर से उच्च न्यायालय का रुख किया था। उन्होंने दलील दी थी कि मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये सरकार की ओर से दी गई अनुमति कानूनन गलत थी।
पुरोहित के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये पूर्व अनुमति की आवश्यकता थी, क्योंकि वह उस वक्त सेवारत सैन्य अधिकारी थे। 17 जनवरी 2009 को यह अनुमति महाराष्ट्र के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने दी थी। पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवडे ने हालांकि कहा कि गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत राज्य का विधि एवं न्याय विभाग जो मंजूरी देने वाला प्राधिकार है, उसे उचित प्राधिकार का गठन करना चाहिये था और पहले रिपोर्ट मांगनी चाहिये थी।
उन्होंने कहा कि पुरोहित के मामले में अनुमति जनवरी 2009 में दी गई, लेकिन प्राधिकार की नियुक्ति अक्तूबर 2010 में की गई। उन्होंने कहा कि पुरोहित के मामले में अनुमति यूएपीए के प्रावधानों के तहत वैध नहीं थी और इसलिये अदालतें उनके खिलाफ आरोपों का संज्ञान नहीं ले सकती हैं। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की पीठ ने आज की सुनवाई के दौरान याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर लिया और कहा कि अनुमति पर दलीलें 16 जुलाई से सुनी जाएंगी।
मामले में अभियोजन पक्ष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इससे पहले पुरोहित की याचिका का विरोध किया था। एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने दलील दी कि पुरोहित को अनुमति के मुद्दे पर आरोप मुक्त करने की मांग को लेकर नयी याचिका दायर करनी चाहिये। पीठ ने एनआईए को यह भी सुझाव दिया कि एनआईए विशेष अदालत में मुकदमे पर तब तक आगे नहीं बढ़े जब तक कि उच्च न्यायालय अनुमति के मुद्दे पर पुरोहित की याचिका पर फैसला नहीं कर लेता।
पाटिल ने हालांकि पीठ से कहा कि विशेष एनआईए अदालत ने मामले में आरोप तय करने की तारीख आज के लिये ही निर्धारित की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा क्योंकि एनआईए अदालत अब तक तैयार नहीं है। महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
पिछले साल 27 दिसंबर को विशेष एनआईए अदालत ने पुरोहित, सह आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और छह अन्य की आरोप मुक्त करने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
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