पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी को कांग्रेस ने बताया चुनावी झुनझुना
वित्त मंत्री अरुण जेटली को पूर्णकालिक ब्लॉगर और अल्पकालिक मंत्री करार देते हुए उनपर चुटकी लेते हुए खेड़ा ने आरोप लगाया कि जेटली अपने दावे में झूठ बोल रहे हैं कि कर आधार में बढ़ोतरी से सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई है।
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने पेट्रोल और डीजल के दामों में ढाई रुपये प्रति लीटर की कमी पर रविवार को कहा कि यह पांच राज्यों में चुनावों के मद्देनजर ‘मतदाता को झुनझुना’ थमाया गया है और नरेंद्र मोदी सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि गुरूवार को दामों की कमी के बाद से पेट्रोल-डीजल का मूल्य फिर से बढ़ने लगा है। यह सरकार के दोहरेपन और आडंबर को दिखाता है। उन्होंने तेल के दाम नियंत्रण मुक्त होने के सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह चुनावी कैलेंडर पर निर्भर करता है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान 17 दिन तक पेट्रोल के दामों में बदलाव नहीं हुआ था। गुजरात चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला।खेड़ा ने कहा, ‘‘हम पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की अपनी मांग दोहराते हैं ताकि महज चुनावी मौसम से पहले श्रेय लेने के इस आडंबर को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।’’ उन्होंने कहा कि यह सरकार अल्पकालिक वाहवाही के लिए प्रतीकात्मक चीजों में भरोसा करती है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ‘घर-घर मोदी’ के बाद अब ‘बाय-बाय मोदी’ का समय आ गया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली को पूर्णकालिक ब्लॉगर और अल्पकालिक मंत्री करार देते हुए उनपर चुटकी लेते हुए खेड़ा ने आरोप लगाया कि जेटली अपने दावे में झूठ बोल रहे हैं कि कर आधार में बढ़ोतरी से सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि तेल विपणन कंपनियों ने 13 लाख करोड़ से ज्यादा कमाये हैं जिससे सरकार का खजाना बढ़ रहा है।उन्होंने कहा कि सरकार ने इस धन का इस्तेमाल प्रचार प्रबंधन में किया है और आयुष्मान भारत के लिए केवल 2000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
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