संघ की प्रेरणा से अपनी शाखाओं को मजबूत करेगी कांग्रेस
देश के इतिहास में पिछले 70 सालों में जो पार्टियां सत्ता में आई है या गई है उसमें विचारधारा का एक बड़ा महत्वपूर्ण रोल रहा है। चाहे वह कांग्रेस की विचारधारा हो या समाजवादियों की विचारधारा या फिर अब भाजपा की विचारधारा हो।
आप अपने विचारधारा को लेकर जितना समर्पित रहेंगे उतना ही आपका कल्याण होगा। यह बात लगातार कही जाती है और हमारे बड़े भी इसे लेकर हमें सचेत करते रहते हैं। आपकी कामयाबी और नाकामयाबी के पीछे विचारधारा का बड़ा योगदान होता है। यही विराचधारा राजनीति में भी देखने को मिलती रही है। लेकिन वर्तमान राजनीति को देखे तो ऐसा लगता है कि विचारधारा कहीं ना कहीं पीछे छूटती जा रही है और स्वार्थ हावी होता जा रहा है। हमें नित्य नए-नए उदाहरण भी देखने को मिलते हैं जब दूसरे और विपरीत विचारधारा वाला व्यक्ति किसी विपरीत विचारधारा वाली पार्टी से जुड़ जाता है। हालांकि विचारधारा जितना कल महत्वपूर्ण था, उतना आज भी है और आगे भी रहने वाला है। सत्ता में आना और सत्ता से बाहर होने में भी विचारधारा का एक बड़ा अहम किरदार होता है। विचारधारा सार्वजनिक जीवन में हर क्षण मूल्यवान है और इसकी कीमत लगातार बढ़ती ही रहती है।
Congress Sources: Three 'preraks' to be appointed at divisional level. Out of the three, one will be a woman and one from SC/ST/Minority/ OBC background, where each division will constitute of 4-5 districts. https://t.co/9l0L3V9T1d
— ANI (@ANI) September 12, 2019
देश के इतिहास में पिछले 70 सालों में जो पार्टियां सत्ता में आई है या गई है उसमें विचारधारा का एक बड़ा महत्वपूर्ण रोल रहा है। चाहे वह कांग्रेस की विचारधारा हो या समाजवादियों की विचारधारा या फिर अब भाजपा की विचारधारा हो। अपनी विचारधारा से लोगों को जोड़ना और उसमें कामयाब होना इन पार्टियों ने देखा है, सीखा है और समझा भी है। आज अगर भाजपा सत्ता में है तो उसके हिंदुत्व और दक्षिणपंथी विचारधारा का बड़ा योगदान है। लेकिन इस विचारधारा को लोगों तक किसने पहुंचाया, विचारधारा लोगों को कैसे आकर्षित किया। किस तरीके से भाजपा को लगातार फायदा पहुंचा? इस पर हम सभी सोचते हैं और इसे समझने की भी कोशिश करते हैं परंतु सच तो यही है कि भाजपा आज जो कुछ भी है उसमे उसके कार्यकर्ताओं की विचारधारा के प्रति कठोर समर्पण भी है। लेकिन भाजपा की सफलता में संघ की भी भूमिका अहम रही है।
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संघ ने भी भाजपा की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने में अहम योगदान निभाया है। संघ के प्रचारक हिंदुत्व और दक्षिणपंथी विचारधारा तथा राष्ट्रवाद की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाते हैं और जाहिर सी बात है इसका फायदा सीधे सीधे भाजपा को ही होता है। भाजपा ने भी पन्ना कार्यकर्ताओं और अपने नेताओं के जरिए लोगों के संपर्क में रही है। लगातार दो आम चुनावों में भीषण पराजय का सामना करने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने भी अब अपने विचारधारा से लोगों को एक बार फिर जोड़ने में जुट गई है। इसके लिए एक कार्य योजना की रूपरेखा को तैयार किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस संघ के प्रचारक के तौर पर प्रेरक तैयार करने जा रही है। यह प्रेरक संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी देंगे। हालांकि इन प्रेरकों का सबसे बड़ा काम पार्टी के विचारधारा के साथ लोगों को जोड़ना होगा।
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कौन बन सकता है प्रेरक और कैसे होगा चुनाव?
सूत्रों की मानें तो प्रेरक बनने के लिए नेताओं के पास संगठन का अच्छा-खासा अनुभव होना चाहिए। इसके अलावा वह कार्यकर्ताओं की जरूरत को समझते हों और उन्हें सम्मान देते हों। साथ ही साथ इसके लिए कांग्रेस पार्टी के विचारधारा के प्रति समर्पण भी जरूरी है। पार्टी ऐसे लोगों को भी प्रेरक बना सकती है जो ऊर्जावान हों और भरोसे लायक हों। प्रेरक बनने के लिए आपकों गुटबाजी से दूर रहना होगा और बराबरी का व्यव्हार करना होगा। अगर इसके चयन प्रकिया की बात करें तो इनका चुनाव प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मुख्य सचिव करेगा और शुरूआत में प्रत्येक डिविजन में 3 प्रेरकों की नियुक्ति होगी। इसमें प्रेरकों में 1 महिला और 1 SC/ST या अन्य पिछड़ा वर्ग या फिर अल्पसंख्यक होना जरूरी है। प्रेरक बनने के लिए आवेदन किए जा सकेंगे। बाद में उनको ट्रेनिंग भी दी जाएगी। हालांकि प्रेरक के तौर पर नियुक्ति तभी की जाएगी जब आवेदक महीने तक जमीनी दौरा करेंगे।
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