एडजंक्ट फैकल्टी मुकेश कुमार और दिलीप मंडल को लेकर एमसीयू में विवाद

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दिनेश शुक्ल । Dec 14 2019 7:08AM

मामला एडजंक्ट फैकल्टी मुकेश कुमार और दिलीप मंडल की सोशल मीडिया पर जातिगत टिप्पडी को लेकर है। जिससे गुस्साए पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कुलपति से इन्हें हटाने की मांग पर अड़ गए। विवाद इतना बढ़ा की विद्यार्थीयों ने विश्वविद्यालय परिसर में तोड़ फोड़ कर दी। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस बुलाई।

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) में एडजंक्ट फैकल्टी के रूप में नियुक्त हुए मुकेश कुमार और दिलीप मंडल को लेकर विवाद बढ़ गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन से दिलीप मंडल और मुकेश कुमार को हटाने की मांग पर अडे विद्यार्थीयों ने कुलपति कक्ष के सामने नारेबाजी करते हुए धरना दे दिया, आंदोलन कर रहे उग्र विद्यार्थीयों ने विश्वविद्यालय परिसर में तोड़फोड भी की  जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पुलिस बुलाने पर मजबूर हो गया।

मामला एडजंक्ट फैकल्टी मुकेश कुमार और दिलीप मंडल की सोशल मीडिया पर जातिगत टिप्पडी को लेकर है। जिससे गुस्साए पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कुलपति से इन्हें हटाने की मांग पर अड़ गए। विवाद इतना बढ़ा की विद्यार्थीयों ने विश्वविद्यालय परिसर में तोड़फोड़ कर दी। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस बुलाई। इस दौरान कुलपति दीपक तिवारी ने आंदोलन कर रहे विद्यार्थीयों से संवाद बनाने की कोशिश भी की लेकिन अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर विद्यार्थीय अड़े रहे।

हालंकि कुलपति दीपक तिवारी ने आंदोलन कर रहे विद्यार्थीयों से चर्चा कर उन्हें आश्वासन दिया कि मुकेश कुमार और दिलीप मंडल के मामले में जाँच की जाएगी और जाँच के दौरान इन दोनों एडजंक्ट फैकल्टी के विश्वविद्यालय आने पर रोक रहेगी साथ ही जाँच समिति में 5 छात्रों को भी रखा जाएगा। लेकिन बाद में रजिस्ट्रार दीपेन्द्र सिंह बघेल ने इन दोनों प्रस्तावों को लागू करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद आंदोलन कर रहे विद्यार्थी और आक्रोशित हो गए। हालंकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने रैक्टर प्रो. श्रीकांत सिंह की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय जांच समिति बनाई है जो कि 15 दिन में इस पूरे मामले की रिपोर्ट देगी। जारी आदेश में लिखा है कि समिति अगर उपयुक्त समझेगी तो विद्यार्थियों को सुनवाई के लिए आमंत्रित कर सकेगी।

लेकिन आंदोलन कर रहे विद्यार्थीयों ने इस पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए फिर धरने पर बैठ गए। विद्यार्थीयों का कहना है समिति में हर डिपार्टमेंट से एक-एक या कम से कम 5 छात्रों को स्थान दिया जाना चाहिए। वही विश्वविद्यालय प्रशासन और अंदोलन कर रहे पत्रकारिता के विद्यार्थीयों के बीच सहमति ने बनने और विद्यार्थीयों द्वारा परिसर में तोड़फोड और कुलपति के खिलाफ लगाए जा रहे नारो के बाद विश्वविद्यालय परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया।

वही इस मामले पर विश्वविद्याल के कुलपति दीपक तिवारी का कहना है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए कमेटी बनाई गई है, इसके बाद भी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने ही विश्वविद्याल में तोड़फोड कर अभद्रता कर रहे है यह उचित नहीं है। फिर भी हम विद्यार्थीयों के भविष्य को देखते हुए उनका नुकसान नहीं होने देगें। जाँच समिति का जो भी निर्णय होगा उस पर कार्यवाई की जाएगी।

तो दूसरी ओर सूत्रों की माने तो एजंक्ट फैकल्टी को मामले को लेकर विश्वविद्याल से जुडे कुछ लोगों ने हवा दी है जो कि इस मामले को तूल देकर पूर्व कुलपति बी.के.कुठियाला के समय हुई नियुक्तियों और भ्रष्ट्राचार को दबाने की कोशिश में लगे है। पूर्व कुलपति रहे बी.के.कुठियाला सहित विश्वविद्याल में कार्यरत कई अधिकारीयों और कर्मचारीयों पर ईओडब्ल्यू में जाँच चल रही है।

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