हिमाचल में कोरोना के मामले अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने महामारी से निपटने में अन्य राज्यों से हिमाचल प्रदेश की तुलना करते हुए कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां कोविड-19 मामले बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित पंजाब में कोरोना वायरस के कारण हुयी मौतों की संख्या हिमाचल प्रदेश में अभी उपचाराधीन मरीजों की कुल संख्या से अधिक है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि कोरोना वायरस से निपटने में उनकी सरकार का प्रदर्शन कई अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर रहा है। मुख्यमंत्री के करीब डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने लगातार हंगामा किया। वे कुछ समय के लिए आसन के समीप भी आ गए। विपक्षी सदस्यों से मुख्यमंत्री ने कहा, हो सकता है कि आप ताली बजाते हुए पैदा हुए थे। ठाकुर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री द्वारा पेश स्थगन प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने महामारी से निपटने में अन्य राज्यों से हिमाचल प्रदेश की तुलना करते हुए कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां कोविड-19 मामले बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित पंजाब में कोरोना वायरस के कारण हुयी मौतों की संख्या हिमाचल प्रदेश में अभी उपचाराधीन मरीजों की कुल संख्या से अधिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस-शिवसेना गठबंधन द्वारा शासित महाराष्ट्र में कोरोना वायरस रोगियों का ठीक से इलाज नहीं हो रहा है। ठाकुर ने कहा कि 40 लाख की आबादी वाले त्रिपुरा में कोरोना वायरस के 16,154 मामले हैं जबकि केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में कुल 6,370 मामले हैं। हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले और मौतों की संख्या बहुत कम है क्योंकि यहां बेहतर व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग तालियां बजा रहे हैं, अगर उनकी सरकार होती तो वे इस संकट के दौरान राज्य को लूट लेते।’’ राज्य में मंगलवार तक कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 7,832 थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों में फंसे हजारों निवासियों को राज्य के खर्च पर हिमाचल प्रदेश वापस लाया गया। 

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उन्होंने कहा कि महामारी से पहले राज्य में केवल 60 वेंटिलेटर थे, लेकिन अब यह संख्या 640 हो गई है और उनमें से 500 केंद्र ने दिए हैं। जब मुख्यमंत्री स्थगन प्रस्ताव पर अपना जवाब समाप्त कर रहे थे, कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाकआउट किया। उनका आरोप था कि चार विपक्षी विधायकों को चर्चा में भाग लेने का अवसर नहीं दिया गया। इससे पहले विधानसभाध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा के 13 और विपक्ष के 15 सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव पर छह घंटे 25 मिनट हुयी चर्चा में भाग लिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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