कोरोना संक्रमण से पोल्ट्री फॉर्मों में भी महामारी का खतरा बढ़ा, भोपाल पोल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन ने सरकार से लगाई गुहार

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जनता को एक और महामारी का खतरा है जो पोल्ट्री फॉर्म में पनप रहा है। उनका कहना है कि चूँकि पोल्ट्री फॉर्म जायदातर शहर के आस-पास बसे गाँवों में है वहाँ पर इन पाक्षियों के मरने से पैदा होने वाली बिमारी से ग्रामीणों के साथ वहाँ उत्पन्न होने वाली फसलों और गाँव के लोगों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।

भोपाल। कोरोना संक्रमण के खिलाफ युद्ध में लगी मध्यप्रदेश सरकार के सामने आने वाले दिनों में एक और महामारी का खतरा सिर उठा रहा है। यह महामारी पोल्ट्री फॉर्म में मरने वाले चूजों और मुर्गा- मुर्गी से उत्पन्न होने वाली बिमारी से होगी। जिसको लेकर सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है। यह कहना है भोपाल पोल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा का, शर्मा कहते है कि इसको लेकर उन्होनें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिखा है। दरआसल इसके पीछे पोल्ट्री फॉर्म में कोरोना संक्रमण की वजह से अंडा और चिकिन की बिक्री में आई कमी और पोल्ट्री फॉर्मों में हो रही दाने की कमी को बताया जा रहा है।

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भोपाल पोल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि मध्य प्रदेश के सभी मुर्गी पालक किसान विगत दो महीनों से भारी विपत्ति का सामना कर रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जबसे लोगों के बीच कई तरह की अफवाह फैली है, जिसके चलते मुर्गी व्यवसायी भारी आर्थिक नुकसान से गुजर रहे हैं। हमारा माल लागत से काफी कम दाम में पिछले दो माह से बिक रहा है। जिससे हम सभी मुर्गी पालक किसान भारी आर्थिक घाटे में चल रहे हैं एवं वर्तमान में जनता कर्फ्यू वाले दिन से सभी चिकन शॉप एवं अंडे की दुकान प्रशासन ने खुलने नहीं दी है। जिससे हम अपने बचे हुए उत्पाद को बेच भी नहीं पा रहे हैं। जिसके चलते हमारे पास अब पोल्ट्री फॉर्म में मौजूद चूजों और मुर्गा-मुर्गीयों को आगे दाने खिलाने के पैसे नहीं है ना ही हमारी आर्थिक स्थिति अब इस लायक बची है कि हम दाना खरीद पाएं। हमारा माल अब भूख से मरने की कगार पर है।

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पोल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि सरकार उनके हित में दुकाने खोलने की अनुमति प्रदान करवाएं जिससे हम अपना बचा हुआ माल बेचकर इस मुसीबत से छुटकारा पा ले या फिर प्रशासन हमारे बचे हुए माल को को डिस्ट्रॉय करवा कर डी-कंपोज करवाने की कृपा करें। क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों को डी-कंपोज करवाना हम लोगों के बस के बाहर है। भोपाल पोल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि अगर जल्द से जल्द सरकार कोई निर्णय नहीं लेती तो कोरोना संक्रमण से जूझ रही जनता को एक और महामारी का खतरा है जो पोल्ट्री फॉर्म में पनप रहा है। उनका कहना है कि चूँकि पोल्ट्री फॉर्म जायदातर शहर के आस-पास बसे गाँवों में है वहाँ पर इन पाक्षियों के मरने से पैदा होने वाली बिमारी से ग्रामीणों के साथ वहाँ उत्पन्न होने वाली फसलों और गाँव के लोगों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।

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वही एक खबर के मुताबिक भारत सरकार के पशुपालन मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि चिकन खाने से किसी के शरीर पर कोरोना वायरस का प्रभाव नहीं पड़ता है। मंत्रालय का मानना है कि कुछ असामाजिक तत्व अपने फायदे के लिए न केवल पोल्ट्री कारोबारियों को भ्रमित कर रहे हैं, बल्कि देश के नागरिकों को भी गुमराह कर रहे हैं। इन बे-बुनियाद और मनगढ़ंत अफवाहों के कारण न केवल देश के पोल्ट्री व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है, बल्कि इस कारोबार से जुड़े देश के लाखों किसानों को भी बेवजह दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार के पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि चिकन उपभोक्ताओं को कोरोना वायरस की बाबत फैलाए जा रहे दुष्‍प्रचार की जानकारी दी जाए। उपभोक्‍ताओं को यह भी बताया जाए कि पोल्ट्री उत्पादों का कोरोना वायरस से कोई भी संबंध नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा था कि यदि इस सूचना के प्रति किसी भी नागरिक या संस्था को संदेह है, तो वह भारत सरकार के पशुपालन विभाग से संपर्क कर सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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