Jharkhand में छोड़ दिये गए घायल पशुओं के लिए दम्पती ने आश्रय स्थल बनाया

 injured animals
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दंपती ने कहा कि आश्रय में लगभग शारीरिक रूप से 50 अक्षम कुत्ते हैं, जिन्हें राजधानी शहर के विभिन्न हिस्सों से लाया गया था। उन्होंने कहा कि ये कुत्ते या तो वाहनों से कुचले हुए होते हैं या मानवीय क्रूरता के शिकार होते हैं।

कोलकाता में जन्मे एक दंपती ने झारखंड के रांची जिले में बीमार, छोड़ दिये गए, घायल और अपंग आवारा पशुओं की देखभाल के लिए एक आश्रय स्थल बनाया है। सोमेन मजूमदार (45) और सोनाली मजूमदार (45) रांची शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर अंगारा ब्लॉक के तांग-तांग टोली गांव में सार्वजनिक चंदे की मदद से 120 से अधिक आवारा कुत्तों का आश्रय स्थल चलाते हैं। दंपती ने कहा कि आश्रय में लगभग शारीरिक रूप से 50 अक्षम कुत्ते हैं, जिन्हें राजधानी शहर के विभिन्न हिस्सों से लाया गया था। उन्होंने कहा कि ये कुत्ते या तो वाहनों से कुचले हुए होते हैं या मानवीय क्रूरता के शिकार होते हैं।

दंपती ने न केवल उन्हें आश्रय दिया है बल्कि उपचार भी प्रदान किया है ताकि वे अपने जीने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकें। हालांकि, कुत्तों के लिए उनके प्यार का परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों ने स्वागत नहीं किया। सोनाली ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमारे परिवार या रिश्तेदारों में से कोई भी हमसे मिलने नहीं आता क्योंकि हम कुत्तों के साथ रहते हैं, खाते हैं और सोते हैं। शुरुआत में, यह हमें चुभता था लेकिन अब, हमें इसका पछतावा नहीं है। हम अपने बच्चों (कुत्तों) के साथ खुशी से रहते हैं, वे हमारे एकमात्र परिवार हैं।’’

उन्होंने कहा कि उनके इकलौते 21 वर्षीय बेटे शौर्य ने भी संगीत के प्रति अपने जुनून के अलावा अपना जीवन कुत्तों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। 2017 में स्थापित आश्रय स्थल में विभिन्न वर्ग हैं, जैसे विदेशी नस्ल के कुत्तों के लिए रहने की जगह, आक्रामक कुत्तों के लिए पिंजरे, अपंग कुत्तों के लिए अलग जगह तथा उनके इलाज के लिए क्लीनिक। आश्रय स्थल में 100 कुत्तों को रखने की जगह है लेकिन यहां कुत्तों की संख्या पहले ही 120 का आंकड़ा पार कर चुकी है।

उन्होंने कहा, ‘‘जगह की कमी के कारण हम और कुत्तों को नहीं रख सकते लेकिन अगर कुत्तों को अपनाया जाता है, तो हम यहां सुविधा बढ़ा सकते हैं और क्षमता को 500 जानवरों तक के लिए बढ़ा सकते हैं।’’ सोमेन ने दावा किया कि उन्होंने अपनी परियोजना के लिए देश की 512 कंपनियों से कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कोष से दान के लिए से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘‘सभी ने हमारे काम की सराहना की लेकिन, हमें कोई कोष नहीं मिला, क्योंकि उन्होंने कहा कि उनके पास जानवरों के लिए कोई वित्तपोषण योजना नहीं है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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