कोर्ट में हिरासत में चल रहे व्यक्तियों की अपील में देरी पर उदार रूख अपनाना चाहिए: HC

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[email protected] । Jun 6 2019 5:52PM

न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा, ‘‘अदालतें हिरासत में चल रहे व्यक्ति की ओर से दोषसिद्धि के विरूद्ध अपील दायर करने में देरी को माफ करने की मांग पर विचार करते हुए बिल्कुल तकनीकी रूख नहीं अपना सकती हैं।’’

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि जब हिरासत में चल रहे व्यक्ति अपनी दोषसिद्धि के विरूद्ध देर से अपील दायर करते हैं तो अदालतों को उदार रूख अपनाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि जेल में बंद या हिरासत में चल रहे व्यक्ति के लिए यह देरी फायदे में नहीं होती है क्योंकि उन्हें अपनी मर्जी से वकील से संपर्क करने और कानूनी सलाह लेने की सुविधा मयस्सर नहीं होती है जो किसी स्वतंत्र व्यक्ति को होती है।

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न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा, ‘‘अदालतें हिरासत में चल रहे व्यक्ति की ओर से दोषसिद्धि के विरूद्ध अपील दायर करने में देरी को माफ करने की मांग पर विचार करते हुए बिल्कुल तकनीकी रूख नहीं अपना सकती हैं।’’

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उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश के उस आदेश को दरकिनार करते हुए यह आदेश जारी किया जिसने डकैती के एक मामले में एक व्यक्ति की अपील बस इस आधार पर खारिज कर दी थी कि यह 220 दिनों की देरी के बाद दायर की गयी।उच्च न्यायालय ने देरी माफ कर दी और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में अपील बहाल कर दी। उसने कहा कि इस मामले को जुलाई में निचली अदालत में सूचीबद्ध किया जाए। संबंधित व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में कहा था कि वह गरीब है और जेल में था। उसकी पत्नी भी अशिक्षित है एवं वकील के लिए पैसा जुटाने की स्थिति में नहीं थी।

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