कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के बाद लोगों की आखें और त्वचा प्रभावित : चिकित्सक

Covid

विशेषज्ञों का मानना है कि यह आमतौर पर संक्रमण की शुरुआत से लेकर अगले तीन महीने तक देखा जा सकता है और कम से कम दो महीने तक इसके बने रहने की संभावना है।

 नयी दिल्ली| कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के बाद लोगों में सांस फूलना, आंखों में समस्या, मांसपेशियों में कमजोरी आना, एकाग्रता में कमी, वजन घटना, नींद नहीं आना जैसी समस्याएं आमतौर पर देखी गई हैं।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि भले ही भारत में कोविड-19 के मामले स्थिर हो गए थे, लेकिन लंबे समय तक कोविड के कई स्वरूप विभिन्न लक्षणों के साथ देखे गए थे। लंबे समय तक कोविड से जूझने वाले रोगियों की आधिकारिक तौर पर कोई निश्चित संख्या नहीं है।

लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान साक्ष्य बताते हैं कि लगभग 10 से 20 प्रतिशत लोग प्रारंभिक संक्रमण से उबरने के बाद भी विभिन्न प्रकार के दीर्घकालिक प्रभावों का सामना करते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह आमतौर पर संक्रमण की शुरुआत से लेकर अगले तीन महीने तक देखा जा सकता है और कम से कम दो महीने तक इसके बने रहने की संभावना है। अमेरिका के बाद भारत में सबसे अधिक संख्या में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आये हैं। यहां लगभग 4,30,40,947 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए औरलगभग 5,21,747 मरीजों की मौत हो गई।

द्वारका में स्थित आकाश हेल्थकेयर में वरिष्ठ सलाहकार और आंतरिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ राकेश पंडित ने पीटीआई- से कहा कि 25 से 50 वर्ष के आयु वर्ग के लोग कोविड से लंबे समय तक प्रभावित रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कोविड की विभिन्न लहर के दौरान फेफड़ा संबंधी परेशानी वाले जिन मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी थी उनके फेफड़े अब स्थायी रूप से खराब हो गये हैं।

लंबे समय तक रहने वाले कोविड के लक्षणों से तंत्रिका तंत्र (न्यूरोलॉजिकल सिस्टम), किडनी, पेट संबंधी परेशानियां (गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट) और तंत्रिका पेशीय (न्यूरोमस्कुलर) और (मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम) यानी कंकाल और मांसपेशियों के एक साथ काम करने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ा है। चिकित्सक ने कहा कि सांस फूलने की समस्या भी लंबे समय तक रहने वाले कोविड के विशिष्ट प्रभावों में से एक है।

उन्होंने कहा कि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम एक और गंभीर लक्षण है, और कुछ लोगों के फेफड़ों को स्थायी नुकसान होने का पता चला है। डॉक्टर पंडित ने कहा कि उनमें से कुछ को डिमेंशिया और बालों के झड़ने की भी समस्या हुई है। इसके अलावा कुछ लोगों में त्वचा संबंधी और आखों से संबंधित समस्या का भी पता चला है। कुछ लोगों का वजन लगभग 15 से 20 किग्रा तक कम हो गया, तो कुछ लोगों को भूख न लगने की परेशानी का सामना करना पड़ा, जिससे वे अब तक उबर नहीं पाए हैं।

दिल्ली के शालीमार बाग में स्थित फोर्टिस अस्पताल में श्वसन चिकित्सा विभाग के प्रमुख निदेशक डॉ विकास मौर्य ने कहा कि रोगियों में देखे जा रहे लंबे समय वाले कोविड लक्षणों में हृदय गति का बढ़ना, गंध और स्वाद की कमी, अवसाद और चिंता, बुखार, खड़े होने पर चक्कर आना जैसी समस्याएं भी हैं और कोई भी शारीरिक या मानसिक गतिविधि करने के बाद यह स्थिति और गंभीर हो जाती हैं।

उन्होंने कहा, पहले से अन्य बीमारियों से ग्रसित या बुजुर्गों में ये लक्षण गंभीर हैं। जिन रोगियों में हल्के कोविड के लक्षण थे, उनमें भी ये लक्षण प्रदर्शित हो सकते हैं। कुछ राज्यों में सामने आये कोविड के मामलों में हालिया वृद्धि को देखते हुए, डॉ मौर्य ने अस्पतालों में एक पोस्ट-कोविड क्लिनिक, लॉन्ग-कोविड क्लिनिक बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उनका मानना है कि कई रोगियों को विशिष्ट उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

उन्होंने कहा कि क्लिनिक में कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, पल्मोनोलॉजिस्ट और ईएनटी विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए।

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक, डॉ शुचिन बजाज ने कहा, लंबे समय तक रहने वाले कोविड के कई लक्षणों का मुख्य उपचार जो हमने आजमाया है, वह सहायक है।

उन्होंने कहा , लंबे समय तक रहने वाले कोविड के लिए हमारे पास कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। पर,चिकित्सा, योग, भौतिक चिकित्सा, दर्द निवारक या मल्टी-विटामिन कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें हमने इस दौरान आजमाया है और इसमें सफल रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़