माकपा ने कहा- हिंदी को आम भाषा बनाने से देश कमजोर होगा
वाम दल ने कहा कि संघ परिवार की ‘‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान विचारधारा’’ को लागू करने की कोशिश से ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जिसमें ‘देश में भाषाओं को लेकर संघर्ष हो सकता है।’ इसने कहा कि केंद्र सरकार में रोजगार पाने या शिक्षा प्राप्त करने के लिए हिंदी जानने की जरूरत को लेकर युवाओं में चिंता बढ़ रही है।
केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को केंद्र पर, हिंदी को पूरे भारत में साझा बनाने के उसके प्रस्तावित कदम को लेकर निशाना साधा और दावा किया कि यह देश की एकता को कमजोर करेगा और ‘‘भाषाओं को लेकर संघर्ष’’ का कारण भी बन सकता है। माकपा राज्य सचिवालय ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार को पूरे देश में अंग्रेजी की जगह हिंदी को साझा बनाने का अपना प्रस्ताव वापस लेना चाहिए।
वाम दल ने कहा कि संघ परिवार की ‘‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान विचारधारा’’ को लागू करने की कोशिश से ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जिसमें ‘‘देश में भाषाओं को लेकर संघर्ष हो सकता है।’’ इसने कहा कि केंद्र सरकार में रोजगार पाने या शिक्षा प्राप्त करने के लिए हिंदी जानने की जरूरत को लेकर युवाओं में चिंता बढ़ रही है। वाम दल एक संसदीय समिति की एक हालिया सिफारिश पर प्रतिक्रिया जता रहा था जिसमें कहा गया था कि हिंदी भाषी राज्यों में तकनीकी और गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों जैसे आईआईटी में शिक्षा का माध्यम हिंदी और भारत के अन्य हिस्सों में उनकी संबंधित स्थानीय होनी चाहिए।
इसमें कहा गया है कि अंग्रेजी के इस्तेमाल को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए। भर्ती परीक्षाओं में अनिवार्य अंग्रेजी के प्रश्न पत्र की समाप्ति और हिंदी भाषी राज्यों में उच्च न्यायालयों के आदेशों के हिंदी अनुवाद की पर्याप्त व्यवस्था समिति कीनवीनतम रिपोर्ट में की गई 100 से अधिक सिफारिशों में से एक है। वामपंथी दल ने कहा कि देश की विविधता को शामिल करने वाली नीति नहीं अपनाने से उसकी एकता कमजोर हो सकती है, जैसा कि पड़ोसी देशों श्रीलंका और बांग्लादेश में देखा गया है।
हिंदी के मुद्दे के अलावा, माकपा ने न्यूनतम गारंटीकृत कर्मचारी योजना को कथित तौर पर खत्म करने की कोशिश के लिए भी केंद्र पर निशाना साधा। इसने कहा कि इस योजना को समाप्त करने से राज्य के गरीब परिवारों को और कठिनाई होगी। माकपा ने भाजपा और कांग्रेस नीत यूडीएफ पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का इस्तेमाल करके केरल में एलडीएफ सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया, जो कथित तौर पर वाम मोर्चे के नेताओं को निशाना बना रहा है।
वाम दल ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय का हाल का वह आदेश एलडीएफ सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के लिए एक झटका था जिसमें उसने ईडी द्वारा माकपा के वरिष्ठ नेता थॉमस आईज़ैक और केआईआईएफबी के अधिकारियों को औरसमन जारी करने पर रोक लगा दी थी। माकपा राज्य सचिवालय ने अपने बयान में यह भी कहा कि हाल ही में केरल में मानव बलि की क्रूर घटना ने राज्य की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और यह हमारे समाज की सोच में पुनर्जागरण की आवश्यकता को दर्शाती है।
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