Ayodhya में लगातार रामलला के दर्शन करने उमड़ रही भक्तों की भीड़, Ram Mandir में पहली बार मनाई जा रही Ram Navami

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रितिका कमठान । Apr 17 2024 11:26AM

रामलला के मस्तक के केंद्र पर तिलक लगाने की सही अवधि लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट है, जिसमें दो मिनट पूर्ण रोशनी होती है। सूर्य तिलक के दौरान, भक्तों को राम मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी।

देशभर में जोरशोर से रामनवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। रामनवमी का त्योहार इस वर्ष काफी खास है क्योंकि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद ये पहला मौका है जब राम नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दौरान भव्य तरीके से राम मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होगी। रामलला का सूर्याभिषेक भी किया जाएगा। राम मंदिर में राममला का विशेष श्रृंगार होगा। राम नवमी के खास मौके के लिए राम मंदिर को भी विशेष रूप से सजाया गया है।

बता दें कि राम नवमी के मौके पर राम मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है, जिसके मद्देनजर सुबह 3.30 बजे ही मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोले गए। आज के दिन भक्त रात 11 बजे तक रामलला के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर में सुबह से ही भक्तों का सैलाब उमड़ा हुआ है। दोपहर 12.16 बजे के शुभ मुहूर्त पर रामलला का भव्य सूर्यतिलक किया जाना है।

राम मंदिर में दर्शन करने के साथ ही भक्त बड़ी संख्या में सरयू नदी में आस्था और श्रद्धा की डूबकी भी लगाएंगे। रामनवमी के मौके पर पूरा अयोध्या जय श्रीराम के नारों से गूंज रहा है। वहीं पुलिस ने भी सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हुए है। 

सूर्य की किरणें करेंगी रामलला का अभिषेक

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान श्री रामलला के सूर्य तिलक के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। बुधवार को रामनवमी के दिन दोपहर के समय सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी और दर्पण व लेंस से जुड़े एक विस्तृत तंत्र द्वारा उनका सूर्य तिलक संभव हो सकेगा। इस प्रणाली का परीक्षण वैज्ञानिकों ने मंगलवार को किया। इसे सूर्य तिलक परियोजना का नाम दिया गया है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ एस के पाणिग्रही ने पीटीआई- को बताया कि सूर्य तिलक परियोजना का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन श्री राम की मूर्ति के मस्तक पर एक तिलक लगाना है। परियोजना के तहत, श्री रामनवमी के दिन दोपहर के समय भगवान राम के मस्तकपर सूर्य की रोशनी लाई जाएगी। 

 

उन्‍होंने बताया कि सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया जाएगा और हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है। उन्‍होंने कहा कि विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि हर 19 साल में दोहरायी जाती है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार, नियोजित तिलक का आकार 58 मिमी है। उन्होंने बताया कि रामलला के मस्तक के केंद्र पर तिलक लगाने की सही अवधि लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट है, जिसमें दो मिनट पूर्ण रोशनी होती है। इस बीच, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने पीटीआई- से कहा, सूर्य तिलक के दौरान, भक्तों को राम मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा लगभग 100 एलईडी और सरकार द्वारा 50 एलईडी लगाई जा रही हैं। जो रामनवमी समारोह को दिखाएगा, लोग जहां मौजूद हैं वहां से उत्सव देख सकेंगे। इस अद्वितीय तंत्र को स्थापित करने में अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. डी. पी. कानूनगो ने कहा, वास्तव में यह अत्यंत सटीकता प्राप्त करने के लिए सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध, डिजाइन और कार्यान्वित किया गया है। 

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