सुनंदा पुष्कर मौत की एसआईटी जांच के सवाल पर केन्द्र का रूख पूछा

सुनंदा पुष्कर के मौत की जांच सीबीआई की अगुवायी वाले विशेष जांच दल से न्यायालय की निगरानी में कराने संबंधी याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज केन्द्र का रूख जानना चाहा।
सुनंदा पुष्कर के मौत की जांच सीबीआई की अगुवायी वाले विशेष जांच दल से न्यायालय की निगरानी में कराने संबंधी याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज केन्द्र का रूख जानना चाहा। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा की मौत की जांच को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यह याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और पीएस तेजी की पीठ ने कहा कि उसे याचिका पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई और दिल्ली पुलिस का पक्ष सुनना है। पीठ ने इस मामले में कोई नोटिस जारी नहीं किया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवायी के लिए 20 जुलाई की तारीख तय की है। स्वामी का आरोप है कि मामले की जांच में असामान्य रूप से देरी हुई है जो ‘‘न्याय प्रणाली पर धब्बा है।’’ कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर का शव 17 जनवरी 2014 को दक्षिण दिल्ली के एक पांच सितारा होटल के कमरे से मिला था। खुद दलील पेश कर रहे स्वामी ने अदालत में कहा कि सुनंदा की मौत के मामले की जांच अभी प्राथमिकी स्तर पर ही है और अभी तक कोई साक्ष्य नहीं जुटाया गया है। वकील इश्करण सिंह भंडारी सहित स्वामी ने आरोप लगाया कि मामले के कई साक्ष्य नष्ट कर दिये गये हैं।
स्वामी ने कहा, ‘‘मामला राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी वाला है, क्योंकि पीड़िता क्रिकेट में कथित भ्रष्टाचार को ऊजागर करने वाली थी। उन्होंने इसी संबंध में खुलासा करने के लिए अपनी मृत्यु से पहले संवाददाता सम्मेलन भी बुलाया था।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद मामले की जांच को प्रभावित कर रहे हैं। इस पर अदालत ने जवाब दिया, ‘‘ना उनकी पार्टी (कांग्रेस) सत्ता में है, और ना ही वह मंत्री हैं।’’ अदालत ने कहा कि कोई आदेश देने से पहले उसे अन्य पक्षों को सुनना होगा, इसलिए गृह मंत्रालय का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल को अगली सुनवायी की तिथि से पहले मामले की सूचना दी जानी चाहिए। पिछले सप्ताह दायर याचिका में अनुरोध किया गया था कि मामले की जांच करने के लिए संयुक्त रूप से खुफिया ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, रॉ और दिल्ली पुलिस के विशेष जांच दल का गठन किया जाए, जिसकी अध्यक्षता सीबीआई करे।
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