Delhi High Court ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ी याचिकाओं पर दो फरवरी को करेगा सुनवाई

delhi highcourt
ANI Image

संशोधित नागरिकता अधिनियम,2019 पेश किये जाने के मद्देनजर दिये गये कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए कार्रवाई की मांग के अलावा विशेष जांच दल गठित करने सहित अन्य राहत देने तथा हिंसा में कथित तौर पर संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की गई है।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई दो फरवरी के लिए मंगलवार को सूचीबद्ध कर दी। इन याचिकाओं में कुछ नेताओं के कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण से जुड़ी याचिकाएं भी शामिल हैं। साथ ही, अदालत ने केंद्र से यह बताने को कहा कि जिन भाषणों का जिक्र किया गया है, क्या वे उच्चतम न्यायालय में सुनवाई योग्य विषय हैं।

कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की शेख मुजतबा फारूक की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि क्या नफरत फैलाने वाले ये भाषण उच्चतम न्यायालय के समक्ष उठाये जाने वाले विषय हैं? हम क्या करने जा रहे हैं? ’’

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण से जुड़ी कई याचिकाएं शीर्ष न्यायालय में लंबित हैं और उन पर अगले महीने सुनवाई होनी है। इसके बाद, अदालत ने फारूक की याचिका के साथ-साथ दंगों से जुड़ी कुछ अन्य याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी तथा केंद्र के वकील को अदालत के सवाल पर निर्देश हासिल करने के लिए वक्त दिया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि हमें यह पता लगाने दीजिए कि उच्चतम न्यायालय में क्या लंबित है। फारूक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेस नेहिंसा की घटना की तारीखों के आसपास दिये गये कथित भड़काऊ बयानों का जिक्र किया। फारूक ने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज करने की मांग की थी।

संशोधित नागरिकता अधिनियम,2019 पेश किये जाने के मद्देनजर दिये गये कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए कार्रवाई की मांग के अलावा विशेष जांच दल गठित करने सहित अन्य राहत देने तथा हिंसा में कथित तौर पर संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की गई है। याचिकाकर्ता ‘लॉयर्स वॉयस’ ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के सिलसिले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा तथा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान, एआईएमआईएम नेता अकबरूद्दीन ओवैसी और पूर्व विधायक वारिस पठान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने इसके अलावा नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और बंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बीजी कोलसे पाटिल व अन्य के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करने की अपील की है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़