MCD Election 2022 के लिए चुनाव प्रचार समाप्त, अंतिम दिन BJP और AAP ने किये कई बड़े और नये वादे

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विशेष आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी की अधिकतर आबादी सिंघु से लेकर गाजीपुर तक फैले उनके अधिकार क्षेत्र वाले आठ जिलों में रहती है, लिहाजा यह इलाका विभिन्न राजनीतिक दलों का ज्यादा ध्यान आकर्षित कर रहा है।

दिल्ली नगर निगम चुनावों के लिए आज शाम चुनाव प्रचार समाप्त हो गया। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। चुनाव प्रचार थमने से महज कुछ घंटे पहले भाजपा ने साप्ताहिक बाजारों में रेहड़ी लगाने वालों को नियमित करने का बड़ा ‘वादा’ किया तो वहीं आम आदमी पार्टी ने भी बाजारों का विकास करने का वादा किया। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि दिल्ली में 11 जोन हैं जहां पर रात्रि बाजार लगेंगे और विशेष महिला बाजार भी लगाए जाएंगे। उन्होंने रेहड़ी-पटरी वालों की वसूली से रक्षा करने का भरोसा देते हुए वादा किया कि उन्हें सभी सुविधाएं दी जाएंगी। वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि निगम की सत्ता मिलने पर हम लाइसेंस सारा खत्म कर देंगे या ऑनलाइन कर देंगे। अब देखना होगा कि जनता किसके वादे पर अपनी मुहर लगाती है यानि ईवीएम का बटन दबाती है।

निगम चुनावों से जुड़ी अन्य बड़ी खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मतदान के दिन चार दिसंबर को मेट्रो की सभी लाइन पर ट्रेन सेवाएं तड़के चार बजे से शुरू होंगी। एमसीडी के सभी 250 वार्ड पर रविवार सुबह आठ बजे मतदान शुरू होगा और शाम साढ़े पांच बजे समाप्त होगा। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने एक बयान में कहा, “चार दिसंबर को दिल्ली नगर निगम चुनाव के दिन दिल्ली मेट्रो की सभी लाइन पर ट्रेन सेवाएं तड़के चार बजे से शुरू होंगी।” बयान में कहा गया है, “सुबह छह बजे तक सभी लाइन पर 30-30 मिनट के अंतराल पर ट्रेन चलेंगी। सुबह छह बजे के बाद रविवार की सामान्य समय सारिणी के अनुसार ट्रेन चलेंगी।''

वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले निकाय चुनावों में दिल्ली पुलिस का जोर निगरानी बढ़ाने, सांप्रदायिक तनाव की आशंका पर लगाम लगाने और प्रत्याशियों को अवैध माध्यमों से ‘मतदाताओं को लुभाने’ से रोकने पर है। दिल्ली में तेज हुई राजनीतिक सरगर्मी के बीच विशेष आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की अधिकतर आबादी सिंघु से लेकर गाजीपुर तक फैले उनके अधिकार क्षेत्र वाले आठ जिलों में रहती है, लिहाजा यह इलाका विभिन्न राजनीतिक दलों का ज्यादा ध्यान आकर्षित कर रहा है। दीपेंद्र पाठक ने कहा, “पिछले छह से आठ हफ्तों से हमारी पुलिसिंग एमसीडी चुनावों पर केंद्रित है। नियमित गश्त, सतर्कता बरतने और स्थानीय स्तर पर खुफिया जानकारी जुटाने पर ध्यान दिया जा रहा है। हम सूचनाओं का मिलान कर रहे हैं और क्षेत्रवार आंकड़ों का विश्लेषण कर रणनीति तैयार कर रहे हैं...।”

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उन्होंने कहा, “हम क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना और वहां से किस्मत आजमा रहे उम्मीदवारों का भी विश्लेषण कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर अगर किसी क्षेत्र में ‘झुग्गी बस्तियां’ अधिक हैं तो ये क्षेत्र अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।” दीपेंद्र पाठक ने आगे कहा कि झुग्गी बस्तियों में पुलिस की तैनाती बढ़ाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि वहां मतदाताओं को शराब का लालच दिए जाने और सीमा पार से बदमाशों के आने की आशंका अधिक रहती है। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों को स्कैन किया जाएगा, स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा और उसके अनुसार रणनीति बनाई जाएगी।

पाठक ने कहा, “यह प्रक्रिया पिछले छह से आठ सप्ताह से चल रही है। इन कारकों के आधार पर स्थानीय और जिला पुलिस अपनी गश्ती की योजना तैयार कर रही है और उनका ध्यान सूचनाएं एकत्रित करने पर है।” उन्होंने कहा, “अगर यह एक सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाका है तो क्षेत्र में क्या चल रहा है, हमें इसकी विस्तृत जानकारी हासिल करने की जरूरत है। हम सट्टेबाजी के अलावा शराब और नशीले पदार्थों की आपूर्ति की आशंकाओं के मद्देनजर भी कड़ी नजर रख रहे हैं।” पाठक ने कहा कि पुलिस पिछले चुनावों के आंकड़ों के आधार पर भी कार्रवाई करेगी कि किस राजनीतिक दल से कौन कितना सक्रिय रहा और उसने किस तरह के अपराध किए। उन्होंने बताया कि पुलिस मतदान केंद्रों, मतगणना केंद्रों और स्ट्रांग रूम (जहां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) रखी जाती हैं) की संवेदनशीलता के आधार पर उन पर नजर रख रही है।

पाठक के मुताबिक, होमगार्ड, अर्धसैनिक बलों और उड़न दस्तों को उसी के हिसाब से तैनात किया जाएगा और इस बाबत विस्तृत व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को रात में कार्यालय में रुकने का निर्देश जारी किया गया है, जबकि थाना प्रभारी (एसएचओ) से गिरोहों के बीच झगड़े, झड़पों और उन मुद्दों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने को कहा गया है, जो सांप्रदायिक रंग ले सकते हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया और पुलिस व्यवस्था एक व्यापक और संपूर्ण अभ्यास है, जिसमें चुनाव के पहले, चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद के चरणों की तैयारियां शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “अगर दो राजनीतिक दल आमने-सामने आ रहे हैं तो झड़पों और टकराव की आशंका को टालने के लिए पुलिस की मौजूदगी जरूरी है। किसी भी स्थिति को अनियंत्रित होने से रोकने के लिए निगरानी और तत्काल हस्तक्षेप अहम है।” पाठक के अनुसार, वाहनों की जांच बढ़ा दी गई है और यह पता लगाने के लिए व्यक्तियों की भी तलाशी ली जा रही है कि कहीं कोई अवैध हथियार तो नहीं ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमने बहुत विस्तृत पुलिस व्यवस्था कर रखी है। चुनावों के लिए हमारे हजारों जवान और बाहरी बल तैनात किए जाएंगे। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए हर जिले में अर्धसैनिक बलों की पांच से छह कंपनियां तैनात की जाएंगी। आवाजाही पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ-साथ पुलिस की 24×7 मौजूदगी सुनिश्चित की जा रही है।” पाठक के मुताबिक, मतदान वाले दिन सभी बूथ और परिसरों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए जाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि निर्वाचन आयोग के सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा और मतदाताओं में ‘आत्मविश्वास का संचार’ करने के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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पाठक ने कहा, “हम लोगों, सिविल सोसाइटी के सदस्यों, ‘अमन समितियों’, बाजार संघों, सभी कार्यालयों और सड़क किनारे की छोटी दुकानों के मालिकों से पहले ही बात कर चुके हैं। सुचारू चुनाव सुनिश्चित करने के लिए हर क्षेत्र महत्वपूर्ण है।” इस बात पर जोर देते हुए कि पुलिस की भूमिका चुनाव के साथ समाप्त नहीं हो जाती, पाठक ने कहा कि मतगणना और जीत के जश्न से जुड़े कार्यक्रमों के बाद भी सुरक्षा बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा, “हम चुनाव प्रक्रिया में शामिल निर्वाचन आयोग और निकाय एजेंसियों के साथ सहज समन्वय के साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने और एक बहुत ही सुरक्षित वातावरण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।” पाठक ने कहा, “अगर कानून व्यवस्था या चुनाव प्रक्रिया में कोई भी व्यवधान डाला जाएगा तो उचित पुलिस एवं कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

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